जोधपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने सोमवार को जोधपुर केंद्रीय जेल की पैरोल समिति को पैरोल नियमों के तहत स्वयंभू संत आसाराम के आवेदन पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई और न्यायमूर्ति योगेन्द्र कुमार पुरोहित की पीठ ने आसाराम के आवेदन को खारिज करने के पैरोल समिति के फैसले को रद्द कर दिया और छह सप्ताह के भीतर इस पर नये सिरे से निर्णय लेने का निर्देश दिया।
जोधपुर जेल में बदं है आसाराम
आसाराम (81) वर्तमान में वर्ष 2013 में राजस्थान में अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में जोधपुर की जेल में है। पहले जिला पैरोल सलाहकार समिति ने 20 दिन की पैरोल के अनुरोध वाले आसाराम के आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वह राजस्थान पैरोल रिहाई नियम, 2021 के तहत इसका हकदार नहीं है। इस फैसले को आसाराम ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
इस वजह से नहीं मिली पैरोल
दरअसल,आसाराम की ओर से 20 को आवेदन देकर 20 दिनों की पैरोल की मांग की गई थी। आसाराम की इस याचिका को पैराल समिति ने ठुकरा दिया । पैरोल समिति की तरफ से कहा कि 2021 के नए नियम के मुताबिक आसाराम पैरोल लेने के हकदार नहीं है।
इस मामले को लेकर आसाराम के वकील हाईकोर्ट पहुंच गए। आसाराम के वकील की तरफ से दलील दी गई कि यह मामला 2021 से पुराना है इसलिए आसाराम पर नियम भी पुराने ही लागू होंगे। वहीं इस मसले पर राज्य सरकार के वकील अनिल जोशी ने कहा है कि नए नियम के अनुसार ही आसाराम की पैरोल खारिज हुई है।
पहले यह नियम था लागू
अब पुराने नियम को देखने के लिए राज्य सरकार की ओर समय मांगा गया है। अब मामले की सुनवाई 6 हफ्ते के बाद होगी। बता दें कि 1958 के नियम के मुताबिक कुछ सालों की सजा काटने के बाद कैदी को पैरोल दे दी जाती थी । लेकिन नए नियम के मुताबिक रेप और पोक्सो एक्ट के कैदियों की रिहाई पर पाबंदी है।
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