- रायपुर-विशाखापट्टनम सिक्स लेन ग्रीन कारिडोर के बहुचर्चित मुआवजा घोटाले में कार्रवाई
- शशिकांत मुआवजा घोटाले के दौरान अभनपुर के तहसीलदार रहे
- 324 करोड़ के स्कैम का मास्टरमाइंड बताया
Raipur-Visakhapatnam Land Scam, Deputy Collector Suspend: रायपुर-विशाखापट्टनम सिक्स लेन ग्रीन कॉरिडोर के मुआवजा घोटाले में छत्तीसगढ़ सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे को सस्पेंड कर दिया गया है। शशिकांत 2019 से 2021 तक अभनपुर के तहसीलदार रहे और उन्हें इस घोटाले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है।
लगातार दूसरे दिन हुई कार्रवाई
इस घोटाले के चलते कल अभनपुर के एसडीएम निर्भय साहू को भी निलंबित कर दिया गया था। अब सरकार ने दूसरी बड़ी कार्रवाई करते हुए डिप्टी कलेक्टर को सस्पेंड किया है। रायपुर कलेक्टर की जांच रिपोर्ट में शशिकांत कुर्रे की संलिप्तता की पुष्टि हुई है।
तहसीलदार का प्रमोशन बना सवाल
रिपोर्ट के अनुसार, मुआवजा घोटाले को अंजाम देने वाले तत्कालीन तहसीलदार को 2021 में प्रमोट कर डिप्टी कलेक्टर बना दिया गया था। वर्तमान में वे कोरबा में पदस्थ हैं। बताया जा रहा है कि एक मंत्री के करीबी होने के कारण अब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।
कैसे हुआ 324 करोड़ का मुआवजा घोटाला?
भारत सरकार की भारतमाला परियोजना के तहत जमीन अधिग्रहण में बड़े स्तर पर हेरफेर किया गया। शशिकांत कुर्रे ने 32 खसरों को 247 छोटे टुकड़ों में बांट दिया ताकि अधिक मुआवजा लिया जा सके। इस खेल में कई भू-माफिया, सेठ-साहूकार और अधिकारी शामिल बताए जा रहे हैं।
क्या किया गया घोटाले में?
- किसानों से जमीन के एग्रीमेंट कराए गए और उनके नाम पर खाता खुलवाकर पैसा ट्रांसफर किया गया।
- जमीनों को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर मुआवजा दर आठ गुना बढ़ाई गई।
- महासमुंद में स्थित एक बैंक में किसानों के नाम पर खाते खुलवाए गए, जिससे मुआवजा धनराशि को आसानी से ट्रांसफर किया जा सके।
अब तक हुई कार्रवाई
- रायपुर कलेक्टर ने राजस्व विभाग को जांच रिपोर्ट सौंप दी है।
- इस घोटाले में अब तक अभनपुर के एसडीएम, गोबरा नवापारा के तहसीलदार और दो पटवारी सस्पेंड हो चुके हैं।
- हालांकि, प्रमुख आरोपी शशिकांत कुर्रे पर अब तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
भू-माफिया और सेठ-साहूकारों पर क्या होगी कार्रवाई?
घोटाले में शामिल भूमाफिया, सेठ-साहूकार और अधिकारियों ने प्रतिबंध के बावजूद अपने रिश्तेदारों और कर्मचारियों के नाम पर जमीन खरीद ली। इस मामले में अभी तक किसी भू-माफिया पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
324 करोड़ का घोटाला, मगर एफआईआर नहीं!
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 324 करोड़ रुपये के इस बड़े घोटाले पर अब तक कोई प्राथमिकी (FIR) दर्ज नहीं की गई है। राजस्व विभाग ने पुलिस में सामान्य रिपोर्ट तक दर्ज नहीं कराई है। जबकि, छोटे सरकारी मामलों में भी पुलिस तुरंत कार्रवाई करती है।
आगे क्या होगा?
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सरकार इस घोटाले में शामिल अन्य अधिकारियों और माफियाओं पर भी कार्रवाई करेगी? या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
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