हाइलाइट्स
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सीवर सफाई के लिए उतरने पर 2 मजदूरों की मौत
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नगर प्रशासन नहीं करता सफाई उपकरणों की व्यवस्था
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राज्यों को सुप्रीम कोर्ट दे चुका निर्देश, नहीं होता पालन
CG News: राजधानी रायपुर में जहरीली गैस की चपेट में आने से बड़ा हादसा हो गया है. तेलीबांधा स्थित अशोका बिरयानी रेस्टोरेंट के पास सीवर लाइन में उतरे सफाई कर्मी गैस की चपेट में आ गए. घटना में दोनों सफाईकर्मियों की मौत हो गई है. ऐसे में नगर पालिका के सफाई कर्मियों के लिए उपलब्ध सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो रहे है.
सीवर में दम घुटने से मजदूरों की मौत
सफाई करते समय सीवर से निकली जहरीली गैस से दोनों सफाई कर्मियों का दम घुट गया. जिसकी वजह से दोनों मजदूरों की मौत हो गई. अशोका बिरयानी रेस्टोरेंट के कर्मचारी बताए जा रहे हैं. इस मामले में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है.
बिरयानी रेस्टोरेंट के कर्मचारी थे दोनों सफाई कर्मी
हादसे में जिन 2 मजदूरों की मौत हुई है वे बिरयानी रेस्टोरेंट में काम करते थे. रेस्टोरेंट के पास पानी रुकने पर वे सफाई करने सीवर में उतरे थे. इसी दौरान जहरीली गैस से उनका दम घुट गया. आशोका बिरयानी रेस्टोरेंट के मैनेजर मामले को दवाने में जुटे हुए हैं.
देश में हर साल सैंकड़ों मजदूर तोड़ते हैं दम
सीवर लाइन में मैनुअल काम करने उतरने वाले सीवर मजदूर जहरीली गैस की चपेट में आने से दम तोड़ देते हैं. देश में हर साल ऐसे सैंकड़ों मजदूर सीवर में जहरीली गैस की चपेट में आते हैं. इसको लेकर कानून भी बने लेकिन फिर भी हरसाल मौत होती हैं.
कानून का नहीं होता पालन
मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास (पीईएमएसआर) अधिनियम, 2013 के तहत हाथ से मैला ढोना प्रतिबंधित है. ये अधिनियम किसी भी व्यक्ति को किसी भी प्रकार से मानव मल की हाथ से सफाई, मैला ले जाना, उसका निपटान करना या उसको संभालने पर प्रतिबंध लगाता है.
इसके बावजूद भी बड़ी संख्या में लोग इस काम को कर रहे हैं. केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के डाटा के अनुसार देश के 766 जिलों में से केवल 508 जिलों ने ही खुद को मैला ढोने से मुक्त घोषित किया है. वहीं देश के 34 प्रतिशत जिलों में आज भी इंसानों द्वारा मैला ढोया जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में मुआवजा बढ़ाने के दिए थे निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में दिल्ली में सरकार को सफाई कर्मी की सीवर में मौत पर 10 लाख की जगह 30 लाख का मुआवजा देने के लिए कहा था. वहीं इसके पहले कोर्ट सभी राज्यों को सीवर की सफाई के लिए मैनुअल काम की जगह आधुनिक उपकरणों और मशीनों का सहारा लेने के लिए निर्देश दे चुका है. लेकिन नगर प्रशासन इस संबंध में उपकरण नहीं उपलब्ध कराती हैं. वहीं शासन भी इसओर ध्यान नहीं देता है.