रायपुर। सीएम भूपेश बघेल ने अपने जन्मदिन के मौक पर रायपुर के मल्टीलेवल पार्किंग स्थल पर करीब डेढ़ फीट का लंबा केक काटा है। सीएम के जन्मदिन पर यह खास किस्म का केक तैयार किया गया था। इसकी लंबाई 150 फीट बताई जा रही है वहीं इसका वजन 430 किलोग्राम है।
65 लोगों की टीम के तैयार किया केक
इस केक को बेकिंग और आइसिंग डिवीजन के 65 लोगों की टीम के द्वारा तैयार किया गया है। इसको बनाने में कर्मचारियों को 24 घटें मेहनत करनी पड़ी है। इस केक में छत्तीसगढ़ सरकार की प्रमुख फ्लैगशिप योजनाएं और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तस्वीरों की मिनी स्टैंडी भी लगाई गई हैं।
सीएम को मिल रहे शुभकानाओं के संदेश
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 63वां जन्मदिन मना रहे हैं। जन्मदिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने जन्मदिन की बधाई देकर लंबी उम्र की कामना की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने फोन पर बधाई और शुभकामनाएं दी वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करते हुए जन्मदिवस के अवसर पर बधाई और शुभकामनाएं दी उन्होंने भूपेश बघेल के सुदीर्घ और स्वथ्य जीवन की कामना की।
सीएम भूपेश बघेल का सियासी सफर
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जन्म 23 अगस्त 1961 को दुर्ग जिले के बेलौदी गांव में हुआ था। रायपुर के साइंस कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1990 में की। जहां वो दुर्ग जिले से युवक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने थे।
एमपी युवक कांग्रेस के रहे उपाध्यक्ष
इसके बाद 1994 में एमपी युवक कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष बने। 32 साल की उम्र में 1993 में वह पहली बार पाटन विधानसभा से जीतकर विधायक बने थे। फिर 1998 में दूसरी बार भी पाटन से चुने गए।
पाटन से पांचवीं बार जीते चुनाव
2003 में तीसरी बार, 2013 में चौथी बार और 2018 में पांचवीं बार पाटन से चुनाव जीते थे सीएम बघेल। वो मध्यप्रदेश के परिवहन मंत्री और परिवहन निगम के अध्यक्ष भी रह चुके है। 2003 से 2018 तक लगातार वो सशक्त विपक्ष की भूमिका में रहे। इसके बाद 2003 से 2008 के बीच वो विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष भी रहे
2013 में कांग्रेस बने अध्यक्ष
2013 में उनको छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली थी। गुटबाजी में उलझी कांग्रेस को ना केवल उन्होंने साधा बल्कि कांग्रेस की सत्ता की आस में फांस लगाने वालों को भी पार्टी के बाहर का रास्ता दिखाया।
नतीजा ये रहा कि पिछले 15 सालों से सत्ता का वनवास भोग रही कांग्रेस को 2018 विधानसभा चुनाव में बड़े बहुमत से जीत मिली। पहले साल जहां छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी के नारे को उन्होंने घर-घर पहुंचाया। वहीं छत्तीसगढ़ की संस्कृति और अस्मिता की अलख घर-घर पहुंचाई है।
ये भी पढे़ें:
RPSC Recruitment 2023: असिस्टेंट इंजीनियर के पद पर आज से आवेदन शुरु, इस लिंक से करें आवेदन
Dream Girl 2 Advance Booking: गदर 2 और ओएमजी 2 से टकराएगी पूजा, बुकिंग के पहले दिन बिके इतने टिकट
MP Election 2023: भाजपा के घोषित 39 प्रत्याशी पहुंचे BJP दफ्तर, CM Shivraj देंगे जीत का मंत्र
Putrada Ekadashi 2023: सावन पुत्रदा एकादशी पर करें ये काम, संतान सुख की इच्छा होगी पूरी