हाइलाइट्स
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शहर में ना सफाई हो रही और ना ही बिजली-पानी की सप्लाई
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तीन विभागों के बीच उलझी लोगों की मूलभूत सुविधाएं
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निगम और हाउसिंग बोर्ड के अफसर समन्वय से निपटाएंगे समस्याएं
Raipur News: रायपुर में सरकारी विभागों की लापरवाही की वजह से पांच साल से आरडीए और
हाउसिंग बोर्ड की करीब 34 कॉलोनियों के डेढ़ लाख से ज्यादा रहवासी सफाई, पानी और सड़क के लिए परेशान हो रहे हैं।
यहां ना तो पार्क हैं और ना ही बिजली की पर्याप्त व्यवस्था। इस सब के बावजूद तीनों विभाग हैंडओवर को तैयार (Raipur News) हैं, लेकिन काम फाइलों में ही अटका है।
अब अफसर आचार संहिता का हवाला देकर अगले छह महीने में इस काम को पूरा करने की बात कह रहे हैं।
लोगों की परेशानी – ना सफाई हो रही ना बिजली-पानी मिल रहा
छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड की कई कॉलोनियां ऐसी हैं जहां लोगों को अभी केवल एक टाइम ही पानी दिया जा रहा है।
सफाई का काम निजी ठेकेदारों को दे दिया गया है। इसलिए वे अपनी मर्जी से ही सफाई करवाते हैं।
किस कॉलोनी में कितने सफाई कर्मी लगे हैं लोगों को इसकी तक जानकारी नहीं दी जा रही है। निगम की गाड़ियां कचरा उठाने के लिए इसलिए इन कॉलोनियों में नहीं जाती, क्योंकि वे निगम को कोई शुल्क नहीं देते हैं।
आरडीए और हाउसिंग बोर्ड की कई कॉलोनियां ऐसी हैं जहां अभी तक सड़कें तक नहीं बनाई गई हैं। बोर्ड एजेंसियों का कहना है कि निगम को हैंडओवर की प्रक्रिया जारी है।
इसलिए शहर की सड़क भी निगम ही (Raipur News) बनाएगा।
ये कॉलोनी होना हैं निगम को हैंडओवर
हाउसिंग बोर्ड की कचना, कचना फेस 2, कबीर नगर, हीरापुर, दोंदेखुर्द, धनसुली, सेजबहार, परसुलीडीह, खिलौरा और आरडीए की
इंद्रप्रस्थ रायपुरा, शैलेंद्र नगर, राजेंद्र नगर, न्यू राजेंद्र नगर, टिकरापारा, गबरापारा, मैकेनिक नगर, रांवाभाठा, डॉ. खूबचंद बघेल ट्रांसपोर्ट नगर, श्यामा
प्रसाद मुखर्जी आवासीय एवं व्यावसायिक क्षेत्र समेत कुल 34 कॉलोनियां निगम को हैंडओवर होनी हैं। इन कॉलोनियों से निगम संपत्ति कर भी वसूल रहा है।
इसके बावजूद पांच साल से यह मामला अटका (Raipur News) है।
15 करोड़ में अवैध कॉलोनियों को वैध किया
करीब पांच साल पहले ही 2019 में निगम ने 20 अवैध कॉलोनियों को वैध कर दिया। उस समय इन कॉलोनियों से निगम को करीब 15 करोड़ का राजस्व मिला था।
इनमें से अधिकतर कॉलोनियां प्राइवेट बिल्डरों की थी। अवैध को वैध करने में निगम अफसरों ने बेहद फुर्ती दिखाई।
लेकिन जो कॉलोनियां वैध हैं जिनका निर्माण भी सरकारी एजेंसियों ने कराया है उन्हें हैंडओवर लेने में निगम वाले आनाकानी कर रहे (Raipur News) हैं।
लोगों का कहना है कि जितनी तेजी अवैध को वैध करने में दिखाई गई उतनी तेजी दिखाई जाती तो अभी एक भी कॉलोनी हैंडओवर होने से नहीं बचती।
विभागों के अपने-अपने तर्क
- निगम का कहना है कि हैंडओवर करने से पहले विभाग पूरी तरह आश्वस्त होना चाहता है कि इन कॉलोनियों में हाउसिंग बोर्ड और आरडीए की ओर से मेंटेनेंस में कोई कमी तो नहीं है।
- हर बार यही फैसला लिया कि हाउसिंग बोर्ड, आरडीए और निगम के इंजीनियरों की संयुक्त टीम सर्वे करेगी। सभी कॉलोनियों की जांच चरणबद्ध होगी। इस रिपोर्ट के बाद ही हैंडओवर होगा।
- हाउसिंग बोर्ड और आरडीए का कहना है कि निगम इन मकानों से संपत्तिकर वसूल रहा है। इसके बावजूद पांच साल से इन कॉलोनियों को निगम क्षेत्र में शामिल नहीं कर रहा है।
- मकानों के मेंटेनेंस का काम हाउसिंग बोर्ड और आरडीए वाले करेंगे। लेकिन निगम को हैंडओवर के बाद यहां की सफाई और सड़क मार्गों का निर्माण उन्हीं को ही करना होगा।
- कालोनियों की जिम्मेदारी नहीं लेने की एक वजह यह भी है कि अधिकांश कालोनियां पुरानी हो चुकी है। इनके रख-रखाव और मरम्मत के लिए बड़ी राशि की जरूरत होगी।
हैंडओवर नहीं होने से यह नुकसान
- कॉलोनियों में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन नहीं हो रहा।
- घरों में दो टाइम साफ पानी नहीं मिल रहा। अभी 24 घंटे पानी वाली सुविधा भी नहीं मिलेगी।
- सीवर लाइनों व सैप्टिक टैंक की सफाई और निस्तारण के लिए अभी कई तरह की परेशानी।
- सड़क नहीं बन रही, स्ट्रीट लाइट नहीं लग रही, बिजली का मेंटनेंस भी नहीं।
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सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही लेंगे हैंडओवर- कमिश्नर
रायपुर (Raipur News) नगर निगम कमश्नर अबिनाश मिश्रा का कहना है कि जिन कॉलोनियों को निगम हैंडओवर लेगा उसकी सूची तैयार है।
कुछ तकनीकी दिक्कतें हैं जिन्हें चुनाव के बाद दूर कर लिया जाएगा। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही हैंडओवर लेंगे।
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हैंडओवर की प्रक्रिया 6 महीने में पूरी कर लेंगे- कुंदन कुमार
छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के कमिश्नर कुंदन कुमार ने बताया कि हैंडओवर की प्रक्रिया में जो भी अड़चनें हैं।
उसे छह महीने में पूरा कर लेंगे।रायपुर (Raipur News) निगम के साथ समन्वय के साथ काम किया जा रहा है। अभी जहां जो दिक्कत है उसे दूर कर रहे हैं।