हाइलाइट्स
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काफी महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है रायपुर लोकसभा सीट
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1952 में पहली बार अस्तित्व में आई थी यह सीट
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2019 में यहां सुनील कुमार सोनी बने थे बीजेपी से सांसद
Raipur Lok Sabha Seat: छत्तीसगढ़ की रायपुर लोकसभा सीट VIP सीट मानी जाती है. रायपुर लोकसभा सीट पहली बार 1952 में अस्तित्व में आई थी. यहां करीब तीन दशक से बीजेपी का कब्जा है. वर्तमान में यहां से बीजेपी के सुनील कुमार सोनी सांसद हैं. इस बाद बीजेपी के प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल और कांग्रेस प्रत्याशी विकास उपाध्याय के बीच मुकाबला होना है. विकास उपाध्याय 2018 के चुनाव में मंत्री राजेश मूणत से हार गए थे. जिसके बाद कांग्रेस ने बीजेपी के किले में सेंध लगाने के लिए उपाध्याय को चुनाव मैदान में उतारा है. रायपुर लोकसभा में 7 मई को मतदान होगा और परिणाम 4 जून को आएंगे.
1996 से अब तक रहा बीजेपी का कब्जा
रायपुर लोकसभा सीट (Raipur Lok Sabha Seat) का इतिहास काफी दिलचस्प रहा है. प्रदेश के राजनीतिक सफर पर गौर करें तो बीते 20 सालों से यहां बीजेपी का कब्जा रहा है. इस सीट के चुनावी इतिहास पर गौर करें तो 1951 से अभी तक 17 बार चुनाव हुए हैं. जिनमें 8 बार मतदाताओं ने कांग्रेस को चुना. 1996 में रमेश बैस ने विद्याचरण के बड़े भाई श्यामाचरण शुक्ल को हराया. बैस 1996, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 तक लगातार चुनाव जीते. रमेश लगातार 23 साल तक सांसद बने रहे. 6 बार सांसद रहे रमेश बैस को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया है.
इसके बाद बीजेपी ने 2019 में सुनील कुमार सोनी को टिकट दिया. उन्होंने कांग्रेस के प्रमोद दुबे को हराया. बीजेपी के सुनील कुमार सोनी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रमोद दुबे को 3,48,238 वोटों से हराया था. सुनील कुमार सोनी को 8,37,902 वोट, तो वहीं प्रमोद दुबे को 489,664 वोट मिले थे. वहीं, तीसरे नंबर पर बीएसपी के खिलेश कुमार साहू रहे थे. खिलेश्वर को सिर्फ 10,597 हजार वोट मिले थे. यहां इस साल 68 फीसदी वोटिंग हुई थी. तो वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के रमेश बैस ने कांग्रेस के सत्य नारायण शर्मा को हराया था.
रायपुर लोकसभा में विधानसभा की कुल आठ सीटें-
बलौदाबाजार- टंकराम वर्मा (भाजपा)
भाटापारा- शिवरतन शर्मा (भाजपा)
धरसींवा- अनुज शर्मा (भाजपा)
रायपुर नगर पश्चिम- राजेश मूणत (भाजपा)
रायपुर नगर उत्तर-पुरंदर मिश्रा (भाजपा)
रायपुर नगर दक्षिण-बृजमोहन अग्रवाल (भाजपा)
रायपुर ग्रामीण-मोतीलाल साहू (भाजपा)
अभनपुर-इंद्रकुमार साहू (भाजपा)
आरंग-गुरु खुशवंत सिंह साहेब (भाजपा)
रायपुर लोकसभा सीट पर इतने वोटर्स
रायपुर लोकसभा सीट पर लगभग 20 लाख 46 हजार 014 मतदाता हैं. इनमें से 10 लाख 39 हजार 867 पुरुष वोटर्स हैं, तो वहीं 10 लाख 05 हजार 871 महिला वोटर्स हैं. यहां महिलाओं की तुलना में पुरुष मतदाता ज्यादा हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में यहां 13 लाख 96 हजार 250 मतदाताओं ने मतदान किया था. इस साल यहां 68 फीसदी मतदान हुआ था. यहां शहरी जनसंख्या 48.46 प्रतिशत है. वहीं आदिवासियों की आबादी 6 फीसदी और दलितों की आबादी 17 फीसदी है.
क्या हैं रायपुर लोकसभा क्षेत्र के मुद्दे?
कांग्रेस को यहां जमीन तलाशने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है, जबकि बीजेपी के पास एक बार फिर सीट जीतने की चुनौती है.यहां राष्ट्रीय मुद्दों के बीच स्थानीय मुद्दे जनता की आवाज बने हुए हैं. गांवों और शहर दोनों की अपनी-अपनी मांगें हैं. लोग सौंदर्यीकरण के साथ भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन और बेहतर कानून व्यवस्था पर प्रत्याशियों से बात कर रहे हैं. साथ ही पक्की चौड़ी सड़क,नाली, तालाबों की साफ-सफाई भी यहां बड़ा मुद्दा है. इस बार यहां से बीजेपी प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल और कांग्रेस प्रत्याशी विकास उपाध्याय आमने-सामने हैं. जहां बीजेपी केंद्र सरकार की उपलब्धियां गिना रही है. तो कांग्रेस राहुल गांधी की 5 गारंटी लेकर जनता के बीच जा रही है.
रायपुर सीट का जातीय समीकरण
रायपुर लोकसभा क्षेत्र के भाठापारा, बलौदाबाजार, धरसींवा और अन्य सीटों पर कुर्मी वोटर्स की संख्या अधिक हैं. इसी तरह अभनपुर, आरंग, बलौदाबाजार, धरसींवा और भाठापारा में सतनामी मतदाताओं की भी बहुलता है. वहीं रायपुर ग्रामीण, अभनपुर, आरंग, भाठापारा, बलौदाबाजार, धरसींवा और रायपुर पश्चिम में साहू मतदाता ज्यादा हैं. इन सीटों के साहू, कुर्मी और सतनामी वोटर्स लोकसभा सदस्य चुनने में अहम भूमिका निभाते हैं.
आठ बार के विधायक और पूर्व विधायक के बीच टक्कर
रायपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और आठ बार विधायक बृजमोहन अग्रवाल के सामने कांग्रेस के युवा नेता और पूर्व विधायक विकास उपाध्याय हैं. बीजेपी ने 20 सालों से अजेय सीट की लीड बरकरार रखने के लिए बृजमोहन अग्रवाल को मैदान पर उतारा, जिसने हार का स्वाद चखा ही नहीं. वहीं कांग्रेस ने रायपुर लोकसभा सीट पर कई कद्दावर नेताओं की भीड़ में विकास उपाध्याय को टिकट दिया, जो पिछला विधानसभा चुनाव हार गए हैं. हालांकि विकास उपाध्याय 2018 के चुनाव में मंत्री राजेश मूणत को हराकर सुर्खियां बटोर चुके हैं. उन्हें राहुल गांधी से नजदीकी का फायदा मिला. अब दोनों प्रत्याशी अपने मुद्दों को लेकर जनता के पास जा रहे हैं. अब देखना होगा कि कांग्रेस के सिपहसालार विकास उपाध्याय इस चुनाव में जनता का भरोसा जीत पाते हैं या नहीं?
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