Consumer Protection Commission Jodhpur : रेलवे की एक छोटी सी गलती उसके लिए इतनी भरी पड़ी की न सिर्फ रेलवे ने माफ़ी मांगी बल्कि 50 हजार रुपये का जुर्माना भी भरना पड़ा।दरअसल 13 साल पहले के एक मामले में जोधपुर उपभोक्ता संरक्षण आयोग (Consumer Protection Commission) ने अपना फैसला सुनाया जिसमें रेलवे को यात्री को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए ये जुर्माना लगाया गया आइए जानते है क्या है पूरा मामला –
ये थी रेलवे की गलती
13 साल पहले भोपालगढ़ निवासी महेश ने 29 सितंबर 2009 को अहमदाबाद से जोधपुर यात्रा के लिये टिकिट किया था उनके अलावा, उनकी मां और बहन के आरक्षण टिकट के लिए फार्म भरा था जिसमें रेलवे कर्मचारी ने टिकिट बुक करते समय गलती कर दी थी जिसमें यात्री के मां और बहन के साथ उन्हें भी महिला दर्शा दिया था। यात्री के शिकायत करने के बावजूद भी कर्मचारी ने अपनी गलती नहीं सुधरी यात्री को ट्रैन में यात्रा करते समय तो कोई परेशानी नहीं आई जैसे ही उसने यात्रा की समाप्ति पर जब वह ट्रेन से उतरा तो जोधपुर रेलवे स्टेशन पर उसका टिकिट चेक किया उसने समझने की कोशिश की लेकिन महेश को बगैर टिकिट मानते हुए उस पर जबरन 330 रुपये जुर्माना लगा दिया।
रेलवे ने यात्री बताया दोषी
जब जबरन पीड़ित यात्री महेश पर जुर्माना लगाया तो उपभोक्ता संरक्षण आयोग में इसको लेकर शिकायत दर्ज कराई थी दोनों पक्ष की बात सुनने के बाद जोधपुर डीआरएम की ओर से जवाब पेश कर इसके लिए खुद परिवार को ही गलत माना था लेकिन अब यात्री को इंसाफ मिल गया है। आयोग ने उन आपत्तियों को सही नहीं माना था। आयोग ने इस मामले में रेलवे को दोषी मानते हुये न सिर्फ पीड़ित यात्री को जुर्माना राशि लौटने का आदेश दिया बल्कि रेलवे पर पचास हज़ार का जुर्माना भी लगा दिया।
सुनवाई के बाद आयोग ये आदेश दिए
आयोग अध्यक्ष डॉ. श्याम सुन्दर लाटा, सदस्य डॉ. अनुराधा व्यास और आनंद सिंह सोलंकी ने अपने निर्णय में कहा कि टिकिट चेकिंग के परिवादी के पक्ष को सुने बिना ही गलत तरीके से जुर्माना वसूला था जो कि पूर्णतः गलत है । आयोग ने इसे रेलवे की सेवा में भारी कमी और अनुचित व्यापार-व्यवहार माना। रेलवे परिवादी को शारीरिक और मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति के लिये 50 हजार रुपये राशि देने का आदेश दिया है। जिसके बाद कहा जा सकता है कि रेलवे ने जो बड़ी भरी गलती 13 साल पहले कि थी उसकी सजा जुर्माने के तौर पर दी गई है।