Modi-Rahul Debate: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बहस करने की चुनौती स्वीकार कर ली है। लखनऊ में राष्ट्रीय संविधान सम्मेलन में उन्होंने कहा कि मैं 100 परसेंट किसी से भी डिबेट करने को तैयार हूं, प्रधानमंत्री से भी। मगर मैं प्रधानमंत्री को जानता हूं, प्रधानमंत्री मुझसे डिबेट नहीं करेंगे।
मैं 100% किसी भी मंच पर प्रधानमंत्री से ‘जनता के मुद्दों’ पर डिबेट करने को तैयार हूं,
पर मैं उन्हें जानता हूं, वो 100% मुझसे डिबेट नहीं करेंगे। pic.twitter.com/lxB8AqlzfN
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 10, 2024
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और 2 पत्रकारों ने दी थी डिबेट की चुनौती
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मदन बी लोकुर और 2 पत्रकारों ने राहुल गांधी और पीएम मोदी को लोकसभा चुनाव को लेकर पब्लिक डिबेट की चुनौती दी। उन्होंने दोनों के नाम पत्र लिखा जिसमें कहा गया कि पब्लिक इस बात से चिंतित है कि दोनों तरफ से सिर्फ आरोप और चुनौतियां ही सुनने को मिली हैं, कोई सार्थक जवाब अब तक नहीं मिला है। लोकतांत्रिक देश होने के नाते हमारे चुनावों पर दुनिया की नजर है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को गैर-पार्टी और गैर-व्यावसायिक प्लेटफॉर्म पर डिबेट करनी चाहिए।
इस पत्र में और क्या-क्या लिखा…
पत्र में लिखा है कि हम भारत के नागरिक होने के नाते आपको ये पत्र लिख रहे हैं। हमने अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी जिम्मेदारियां निभाई हैं। हम आपके साथ एक प्रस्ताव रख रहे हैं, जो हमें लगता है किसी पार्टी के प्रति पक्षपात नहीं करता है और जो सभी नागरिकों के हित में है।
18वीं लोकसभा के लिए लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया आधी हो गई है। रैलियां और भाषणों में सत्ताधारी पार्टी भाजपा और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस दोनों ने ही हमारे संवैधानिक लोकतंत्र से जुड़े अहम सवाल पूछे हैं।
हमारे प्रधानमंत्री ने सबके सामने कांग्रेस को आरक्षण, आर्टिकल 370 और संपत्ति के बंटवारे पर घेरा है। वहीं, कांग्रेस प्रेसिडेंट मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी से संविधान, इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम, चीन के अतिक्रमण पर सवाल पूछे हैं और उन्हें पब्लिक डिबट के लिए भी चैलेंज किया है।
हमें लगता है कि अगर एक गैर-पार्टी और गैर-कॉमर्शियल प्लेटफॉर्म पर पब्लिक डिबेट के जरिए जनता सीधे तौर पर हमारे नेताओं का पक्ष सुनेगी तो इससे जनता को फायदा होगा। बेहतर होगा कि पब्लिक न सिर्फ दोनों तरफ के सवाल सुने बल्कि जवाब भी सुने। हमें लगता है कि इससे हमारी संविधानिक प्रक्रिया को मजबूती मिलेगी।
दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी होने के नाते सारी दुनिया हमारे चुनावों को गौर से देख रही है। ऐसे में यह ज्यादा सही रहेगा कि दोनों नेता पब्लिक डिबेट करें। ऐसा पब्लिक डिबेट एक मिसाल बनेगा, क्योंकि इससे न सिर्फ पब्लिक को सही जानकारी मिलेगी, बल्कि स्वस्थ और जीती-जागती डेमोक्रेसी की इमेज भी सबके सामने आएगी।
ये पब्लिक डिबेट कहां होगी, कितनी देर की होगी, इसमें सवाल कौन पूछेगा और इसका फॉर्मेट क्या रहेगा, यह पीएम मोदी और राहुल दोनों की सलाह पर तय किया जा सकता है। अगर ये दोनों नेता डिबेट के लिए नहीं आ सकते हैं, तो वे अपनी तरफ से किसी को नॉमिनेट कर सकते हैं।