नई दिल्ली। वैसे तो मंदिरों में भगवान की Radha Krishna Temple Indore प्रतिमा की पूजा की बात आपने सुनी होगी। लेकिन क्या कभी ऐसा मंदिर देखा है जहां मूर्ति की नहीं बल्कि भगवान के मुकुट और ग्रंथ की पूजा होती है। आइए हम बताते है आपको कौन सा है वो मंदिर
इंदौर का राधा—कृष्ण मंदिर
मप्र के इंदौर में एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान की मूर्ति नहीं है पर फिर भी इसे राधा—कृष्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर की खासियत यह है कि यहां भगवान के मुकुट और ग्रंथों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि यहां पर पूजा करने से सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं। मंदिर का इतिहास और यहां की परंपरा भी अनोखी है।
यहां स्थित है मंदिर
इंदौर के गौराकुंड चौराहे से पहले यह प्राचीन राधा-कृष्ण मंदिर है। जिसे प्रणामी संप्रदाय का माना जाता है। मंदिर में प्रवेश करने पर सामने चार मूर्तियां दिखती हैं। वास्तव में वे मूर्तियां नहीं बल्कि ग्रंथ व मोर मुकुट है।
ग्रंथों का होता भगवान जैसा श्रृंगार
चांदी के सिंहासन पर 400 साल पुराने श्रीकृष्ण स्वरूप Radha Krishna Temple Indore साहब ग्रंथ स्थापित है। इन ग्रंथों को मोर का मुकुट पहनाया जाता है। इतना ही नहीं इन्हें पोशाक भी राधा-कृष्ण के स्वरूप के समान ही पहनाई जाती है। इनका श्रृंगार ऐसा होता है मानो साक्षात राधा-कृष्ण की मूर्तियां ही हों।
जन्माष्टमी पर होती है विशेष पूजा
जन्माष्टमी पर जैसे भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा का पूजन किया जाता है ठीक उसी तरह यहां पर प्रतिदिन पांच बार ग्रंथ का पूजन किया जाता है। इसी के साथ ग्रंथों को झूला भी झुलाते हैं। प्रणामी संप्रदाय के अलावा अन्य समुदाय के अनुयायी भी यहां बड़ी संख्या में यहां आते हैं। जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। इसके अलावा मंदिर की खासियत यह भी है कि यहां पर पान का भोग लगाया जाता है।
100 साल प्राचीन है मंदिर
कहते हैं इस मंदिर का निर्माण होलकर राजघराने के पंच मांगीलाल भंडारी द्वारा करवाया गया था। ऐसा कहते हैं कि प्रणामी संप्रदाय के गुरु प्राणनाथ द्वारा ग्रंथों का अध्ययन करने पर पाया गया कि मूर्तियों की तरह ही ग्रंथ भी प्रभावशाली होते हैं। और तभी से उन्हीं के निर्देशानुसार यहां पर ग्रंथों की पूजा की जाती है