नई दिल्ली। क्वाड (QUAD) का पहला शिखर सम्मेलन शुक्रवार को हुआ। इसमें भारत समेत कई दशों के शीर्ष नेताओं ने भाग लिया। प्रधानमंत्री मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के अलावा जापान और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस दौरान कोरोना वैक्सीन और जलवायु परिवर्तन जैसे अहम विषयों पर चर्चा हुई। वहीं दूसरी चर्चा ये है कि इस सम्मेलन से चीन खासा परेशान है। ऐसा क्यों है और ये संगठन क्या है आज हम यही जानने की कोशिश करेंगे।
इस कारण से परेशान है चीन
दरअसल, इस संगठन के माध्यम से कई मुद्दों के साथ समुद्र में चीन की बढ़ती दादगिरी को क्वाड में शामिल देश कंट्रोल करेंगे और चीन इसी को लेकर परेशान है। वहीं अगर क्वाड की बात करें तो इसका अर्थ है क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग। ये डायलॉग भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक बहुपक्षीय समझौता है। जिसके तहत समुद्री रास्तों से व्यापार को आसान बनाना है। साथ ही साथ सैनिक बेस को भी मजबूत बनाना है ताकि समुंद्र में शक्ति संतुलन को बनाए रखा जा सके।
पहले पड़ोसी देशों को धमकाता था चीन
मालूम हो कि साल 2007 में एशिया-प्रशांत महासागर में चीन ने अपना वर्चस्व बढ़ाना शुरू कर दिया था। वह कई देशों को धमकाने भी लगा था। साथ ही साथ समुद्र में अपने सैन्य बेस को लगातार बढ़ा रहा था। इसी को देखते हुए जापान के तात्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने भारत समेत कई देशों को एक ऐसे संगठन बनाने का प्रस्ताव दिया, जिसमें समुद्र क्षेत्र में आने वाले ताकतवर देश शामिल हो सकें। इसी संगठन का नाम है क्वाड (QUAD)।
चीन दो दशक से समुद्र पर अपना कब्जा जमाए हुए है
क्वाड के तहत प्रशांत महासागर, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में फैले विशाल नेटवर्क को जापान और भारत के साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन क्वाड के इस कदम से चीन बौखला गया है। उसे डर सताने लगा है कि अगर भारत और जापान समुद्र में पास आ जाते हैं तो इससे उसके अस्तित्व को खतरा हो सकता है। क्योंकि चीन ने बीते दो दशक से समुद्र में अपना कब्जा जमाया हुआ है। वहीं अब अगर भारत और जापान जैसे ताकतवर देश समुद्र के रास्ते व्यापार पर जोर देते हैं तो उसकी यहां दादागीरी कम होगी। साथ ही उसे अब यह भी डर सताने लगा है कि भारत, जापान और अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश उसके खिलाफ मिलकर रणनीति बनाएंगे। जिससे उसे भविष्य में आसानी से टारगेट किया जा सकता है।
भारत और जापान एक दूसरे को समुद्र में सैन्य सहायता देंगे
वहीं भारत और जापान ने भी समुद्र में सहायता को लेकर एक अहम समझौता किया है। जिसके तहत दोनों देश एक दुसरे को सैनिक सहायता देंगे। इसका साफ मकसद है चीन से उपजे खतरे को कम करना। इस समझौते को नाम दिया गया है म्यूचुअल लॉजिस्टिक सपोर्ट अरेंजमेंट यानी (MLSA)। लेकिन रक्षा जानकार इसे एंटी-चाइना समझौता भी कह रहे हैं। क्योंकि इसके तहत भारतीय सेनाओं को जापानी सेनाएं अपने अड्डों पर जरूरी सामग्री की आपूर्ति कर सकेंगी। साथ ही भारतीय सेनाओं के रक्षा सामानों की सर्विसिंग भी देंगी। वहीं अगर भारतीय सैन्य अड्डा है तो वहां जापानी सेनाओं को भी यही सुविधा दी जाएगी। कुल मिलाकर कहें कि अगर समुद्र में युद्ध की स्थिति बनती है। तो ऐसे में ये सेवाएं बेहद अहम हो जाएंगी।