Public Servant Salary High Court: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत लोकसेवकों (पब्लिक सर्वेंट) के वेतन की जानकारी प्रदान करना अनिवार्य है। गोपनीयता के आधार पर इसे देने से इंकार नहीं किया जा सकता। जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने लोकसेवकों के वेतन की जानकारी न देने के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने कहा कि लोकसेवकों के वेतन की जानकारी सार्वजनिक महत्व की है और इसे गोपनीय नहीं रखा जा सकता।
पूर्व में जारी आदेश को निरस्त
सूचना आयोग और लोक सूचना अधिकारी ने इस जानकारी को गोपनीय माना था। ऐसे में हाईकोर्ट की एकल पीठ ने इन दोनों के पहले के आदेशों को भी निरस्त कर दिया। इसके साथ ही, याचिकाकर्ता को एक माह के भीतर सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
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निजी बताकर नहींं छिपा सकेंगे जिम्मेदार पब्लिक सर्वेंट
याचिकाकर्ता छिंदवाड़ा के निवासी एमएम शर्मा ने यह तर्क दिया था कि लोक सेवकों के वेतन की जानकारी को सार्वजनिक करना सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा-चार के तहत अनिवार्य है। ऐसे में, लोक सेवकों के वेतन की जानकारी को धारा 8 (1)(जे) के तहत व्यक्तिगत या तृतीय पक्ष की जानकारी बताते हुए छिपाना अधिनियम के उद्देश्यों और पारदर्शिता के सिद्धांतों के खिलाफ है। यह तर्क दिया गया कि संबंधित कर्मचारियों से उनकी सहमति मांगी गई थी, लेकिन उनके उत्तर न मिलने की वजह से जानकारी को गोपनीय मानते हुए प्रदान नहीं किया जा सकता।
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