भोपाल। दक्षिणी अफ्रीका के एक देश Namibia से भारत में चीतों को बसाने के प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में 8 चीते लाए जा रहे हैं, जिन्हें जंबो जेट विमान से मध्यप्रदेश के ग्वालियर Gwalior में उतारा जाएगा। इससे पहले विमान को राजस्थान Rajasthan के जयपुर Jaipur में लैंड कराया जाना था, लेकिन लॉजिस्टिक परेशानियों के चलते अब ग्वालियर में लाए जाने का फैसला किया गया है। 17 सितंबर की सुबह चीते जंबो जेट विमान में ग्वालियर पहुंचेंगे। जयपुर के मुकाबले ग्वालियर से कूनो नेशनल पार्क पास है। यहां से तीन हेलीकॉप्टरों के जरिये चीतों को कूनो नेशनल पार्क पहुंचाया जाएगा। पीएम मोदी दो चीतों की बाड़े में एंट्री कराएंगे।
25 से ज्यादा चीते लाए जाने हैं
दक्षिण अफ्रीका से 25 से ज्यादा चीते लाए जाने की योजना है। 17 सितंबर को पहले चरण में नामीबिया से आठ चीते लाए जा रहे हैं, जिनमें पांच मादा, तीन नर हैं। 17 सितंबर को पीएम मोदी अपने जन्म दिन पर रिमोर्ट का बटन दबाकर चीतों को पार्क में छोड़ेंगे। ऐसा दुनिया में पहली बार हो रहा है जब दो महाद्वीपों के बीच किसी जानवर को लाया जा रहा है।
ग्वालियर से 8 बजे कूनो लाया जाएगा
16 सितंबर को चीते नामीबिया से विमान में उड़ान भरेंगे। 11 घंटे का सफर तय कर 17 सितंबर को ग्वालियर पहुंचेंगे । इन 8 चीतों को ग्वालियर से 8 बजे कूनो लाया जाएगा। PM नरेंद्र मोदी 11 बजे कूनो पहुंचेंगे। जिसके बाद चीतों को पार्क में छोड़ा जाएगा। हावाई सफर के दौरान कुछ परेशानियों से बचाने के लिए इन चीतों को 16 घंटे भूखा रखा जाएगा। सुपरस्टार शाहरूख खान की आवाज में अफ्रीकी चीतों का टीजर लॉन्च कर दिया गया है। कूनो में चीतों की सुरक्षा के लिए पूर्व सैनिकों की भी तैनाती भी कर दी गई है।
बढ़ गए जमीन के दाम
प्रोजेक्ट चीता के बाद से कूने नेशनल पार्क के आसपास जमीन के दाम अचानक के बढ़ गए हैं। 1 लाख रुपए बीघे वाली जमीन 11.5 लाख में बिक रही है। जमीन के दामों में चीतों जैसी तेजी देखी जा रही है। पर्यटन बढ़ने की संभावना में यहां रिसॉर्ट और होटल कारोबार के फलने-फूलने की उम्मीदें बढ गई हैं। पालपुर राजपरिवार से ताल्लुक रखने वाले ऋषिराज सिंह ने तो रिसोर्ट का निर्माण शुरू करवा दिया। जमीन खरीदने वालों में कई लोग राजस्थान के हैं। वे कूनो से रणथंभौर की 150 किलोमीटर की दूरी में भविष्य के पर्यटन की उम्मीद खोज रहे हैं। उन्हें लगता है कि रणथंभौर के बाघ देखने आने वाले पर्यटकों को कूनो के लुभावने ऑफर मिले तो वे यहां जरूर आएंगे। एक जानकारी के मुताबिक 1970 के दशक में ईरान के शाह भारत को चीते देने के लिए तैयार ख थे, लेकिन बदले में उन्होंने शेर मांगे थे।
भारत में चीते का इतिहास
दरअसल भारत में राजा महराजा चीतों को दूसरे जानवारों का शिकार करवाने के लिए इस्तेमाल करते थे। 15वीं और 16 वीं शताब्दी भारत में चीतों का सुनहरा दौर था। अकबर के पास कम से कम 1 हजार चीते थे। जहांगीर द्वारा लिखे गए लेख के अनुसार उनके पिता के जीवनकाल में 9 हजार चीते पाले थे। बैलगाड़ी में बैठाकर उन्हें शिकार के लिए ले जाते थे। पालतू चीते हिरण जैसे छोटे जानवरों पर हमला कर उन्हें मार डालते थे। जहांगीर के शासनकाल में पालतू चीते के प्रसव की घटना मिलती है। मादा चीता द्वारा तीन शावकों के जन्म के दस्तावेज उपलब्ध हैं। 1918 से 1945 तक भारतीय राजाओं ने 200 अफ्रीकी चीतों को आयात किया।
चकित करता चीता
चीता दुनिया का सबसे तेज रफ्तार से दौड़ने वाला जानवर है। यह 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है। दौड़ते समय आधे वक्त हवा में रहता है। यह 3 सेकेंड में 23 फीट लंबी छलांग लगा सकता है। पूरी दुनिया में सिर्फ अफ्रीका में गिने-चुने चीते बचे हैं। एक जानकारी के मुताबिक चीतों के बच्चे बड़ी मुश्किल से बचते हैं। वयस्क होने से पहले ही ज्यादातर बच्चों की मौत हो जाती है। चीते शेर और बाघ की तरह दहाड़ नहीं सकते।
कॉलर आईडी से करेंगे ट्रैस
नेशनल पार्क में कॉलर ID से चीतों की लोकेशन ट्रैस की जाएगी। 5 किलोमीटर के दायरे में सीसीटीवी सर्विलांस होगा। नेशनल पार्क में बनाए गए 500 हेक्टेयर के बाड़े में चीतों में माइक्रोचिप लगाई जाएगी। चीतों को 30 दिन क्वारैंटाइन रखा जाएगा। धीरे-धीरे उन्हें बड़े बाड़ों में शिफ्ट किया जाएगा।
चीतों की चुनौतियां
चीतों के लिए कूनो जलवायु और वातावरण के लिहाज से नई जगह है। नई परिस्थितियों के अनुकूल चीतों को ढलना होगा। तेज दौड़ने के वाले चीतों के लिए अफ्रिका के तुलना में यहां छोटे जंगल मिलेंगे। अफ्रीका के अध्ययन में पता चला कि मादा चीता अकेली रहती है। नर चीता अपने छोटे क्षेत्र की रक्षा करता है। अफ्रीका में तेंदुओं ने चीतों का शिकार किया है। कूनो में लगभग 139 से ज्यादा तेंदुए और 100 से ज्यादा भालू भी हैं। चीते के शावकों के लिए तेंदुए बड़ा खतरा हो सकते हैं।
आप ऐसे पहुंचे कुनो
मध्यप्रदेश के कुनो नेशनल पार्क पहुंचने के लिए पर्यटक यहां हवाई सेवा से जयपुर व ग्वालियर पहुंच सकते हैं। यहां से रेल मार्ग के जरिए भी श्योपुर पहुंचा जा सकता है। निजी वाहनों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।