Prithviraj Chauhan : आज से अक्षय कुमार और मानुषी छिल्लर की फिल्म सम्राट पृथ्वीराज (Prithviraj Chauhan) सिनेमाघरों में आ चुकी है। फिल्म को लेकर काफी चर्चा भी होने लगी है। पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) भारत के महान सम्राटों में से एक थे। उनकी बहादुरी के किस्से आज भी सुनाए जाते है। उन्ही के जीवन पर आधारित यह फिल्म सिनेमाघरों में देखी जा रही है। फिल्म की खास बात यह है कि फिल्म में हिंदू राजाओं के बारे में छिपाए गए तथ्यों को बताया गया है। क्योंकि अबतक हिंदू शासको की विजय गाथा गलत तरीके से बताई गई थी। भारतीय इतिहास की किताओं में प्रथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) को मोहम्मद गोरी से हारा हुआ बताया गया है।
पृथ्वीराज ने गोरी को किया था माफ
पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) ने पहली बार 1191 में तराइन की लड़ाई के दौरान मोहम्मद गोरी को हराकर उनकी सेना पर कब्जा कर लिया था। हिंदू शासक ने बाद में मोहम्मद गोरी को माफ कर दिया था और उसे अफगानिस्तान भेज दिया था। लेकिन किताबों में यह बताया गया कि पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) मोहम्मद गोरी से हार गए थे। पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) की बहादुरी और उनकी वीरता की कहानी को इतिहास की किताबों में कभी जगह नहीं मिली बहादुर हिंदू शासकों और उनकी वीरता की कहानियों को गुप्त रखा गया। जबकि पाठ्यक्रमों में आक्रमणकारियों को नायक के तौर पर पेश किया गया।
मुस्लिम शासकों का महिमामंडन
खबरों के अनुसार एक सर्वेक्षण के मुताबिक, मुस्लिम शासक अकबर का नाम 97 बार और शाहजहां और औरंगजेब का 30 बार जिक्र किया गया है। महान हिंदू शासक छत्रपति शिवाजी महाराज का एनसीईआरटी की किताबों में केवल 8 बार जिक्र किया गया है। राणा सांगा और महाराणा प्रताप जैसे बहादुरों का जिक्र केवल एक या दो बार किया गया है। इतिहास की ज्यादातर किताबों में लिखा गया है कि इस्लामी आक्रमणकारी मोहम्मद गोरी ने चौहान वंश के राजा पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) को तराइन के दूसरे युद्ध में हराया था। लेकिन सच्चाई यह है कि वर्ष 1191 में मोहम्मद गोरी को तराइन के पहले युद्ध में पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) से पराजित होना पड़ा था। उस वक्त पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) ने उसे नहीं मारा था। उसकी सेना को अफगानिस्तान वापस लौटा दिया था। भारत इस दौर में दुनिया के सबसे धनी देशों में से एक था। दुनिया के हर आक्रमणकारी की नजर भारत पर थी। मोहम्मद गोरी जैसे आक्रमणकारी इन संसाधनों को लूटना चाहते थे। यही वजह थी कि 1192 में, तराइन की पहली लड़ाई के एक साल बाद, वह फिर से पृथ्वीराज चौहान से लड़ा लेकिन इस बार वह छल की वजह से लड़ाई जीतने में कामयाब हो गया।
पृथ्वीराज दूसरी लड़ाई में गोरी से क्यों हारे?
पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) जहां अपनी जमीन के लिए बलिदान देने को हमेशा तैयार थे वहीं कुछ भारतीय राजा सत्ता की लालच के लिए दुश्मनों से भी हाथ मिलाने के लिए तैयार थे। उनकी लालच की वजह से मोहम्मद गोरी दूसरी लड़ाई हार गए। उस वक्त कन्नौज के राजा जयचंद की गद्दारी ने देश की तस्वीर बदल थी। जयचंद, पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) के मौसेरे भाई थे। जयचंद चाहता मोहम्मद गोरी से जा मिला। मोहम्मद गोरी का समर्थन हासिल करने के बाद उसे लगा कि अब दिल्ली की गद्दी उसी की है। मोहम्मद गोरी की दोस्ती जयचंद पर भारी पड़ी थी। मोहम्मद गोरी ने युद्ध के तत्काल बाद जयचंद को मार डाला था।