कण-कण में भगवान हैं तो हम तीर्थ क्यों करते हैं, सुनिए प्रेमानंद महाराज ने क्या कहा…
– हम गृहस्थ जीवन में रहते हैं
– कभी न कभी हमसे पाप हो जाता है
– गलती को सुधारने के लिए तीर्थ होता है
कण-कण में भगवान हैं तो हम तीर्थ क्यों करते हैं, सुनिए प्रेमानंद महाराज ने क्या कहा…
– हम गृहस्थ जीवन में रहते हैं
– कभी न कभी हमसे पाप हो जाता है
– गलती को सुधारने के लिए तीर्थ होता है