Mauni Amavasya Stampede: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महाकुंभ-2025 के दौरान हुए हादसों में मारे गए और लापता हुए लोगों के मामले की जांच करने के लिए एक न्यायिक आयोग गठित करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि यह जांच पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए, ताकि पीड़ितों के परिवारों को न्याय मिल सके।
महाकुंभ के दौरान 29 जनवरी को हुए भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई, ये सरकारी आंकड़े हैं इसके साथ कई लोग लापता हो गए थे। इन घटनाओं में भगदड़, नाव दुर्घटना और अन्य दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं शामिल हैं। पीड़ितों के परिवारों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
आयोग जांच करेगा क्या प्रशासन ने सही इंतजाम किए थे- हाई कोर्ट
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि न्यायिक आयोग इन हादसों के कारणों, प्रशासनिक लापरवाही और जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका की जांच करेगा। आयोग को यह भी देखना होगा कि क्या प्रशासन ने सुरक्षा और प्रबंधन के पर्याप्त इंतजाम किए थे।
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शासन की जिम्मेदारी है कि वह सुरक्षा और प्रबंधन के पुख्ता इंतजाम करे- हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा, “महाकुंभ जैसे महापर्व में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। ऐसे में प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह सुरक्षा और प्रबंधन के पुख्ता इंतजाम करे। यदि इसमें कोई कमी रह जाती है, तो उसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।”
तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश
न्यायिक आयोग को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है। आयोग को यह भी देखना होगा कि क्या पीड़ितों के परिवारों को पर्याप्त मुआवजा और सहायता प्रदान की गई है। इस आदेश के बाद पीड़ितों के परिवारों ने राहत की सांस ली है।
उन्होंने कहा कि उन्हें अब न्याय की उम्मीद है। वहीं, विपक्ष ने प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने महाकुंभ के प्रबंधन में गंभीर लापरवाही बरती है। प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश का स्वागत किया है और कहा है कि वह आयोग को पूरा सहयोग प्रदान करेगा। सरकार ने कहा कि वह पीड़ितों के परिवारों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।