भोपाल। दमोह लोकसभा संसदीय क्षेत्र से सांसद और मप्र के वरिष्ठ नेताओं में से एक प्रहलाद सिंह पटेल (Prahlad Singh Patel) का जन्म आज ही के दिन, यानी 28 जून 1960 को गोटेगांव, जिला नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश) में हुआ था। पटेल आज 61 साल के हो गए हैं। मध्य प्रदेश में उन्हें पिछड़े वर्ग का बड़ा नेता माना जाता है। ऐसे में आज हम आपको उनसे जुड़ा एक किस्सा बताएंगे।
फिल्मी कहानी से कम नहीं है उनकी कहानी
कहा जाता है कि पटेल का राजनीति में आना किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। कभी राज्य प्रशासनिक सेवा की परीक्षा पास करने वाले प्रहलाद पटेल के पास डीएसपी बनने का मौका था। लेकिन उन्होंने ऐसो आराम की नौकरी छोड़ राजनीति में आने का फैसला किया।
कभी ठुकरा दिया था DSP का पद
पटेल ने वकालत की पढ़ाई की है और इसी दौरान उन्होंने राज्य प्रशासनिक सेवा पास की थी। अगर वे चाहते तो उस वक्त डीएसपी के पद पर तैनात हो सकते थे और ऐसो आराम की जिंदगी जी सकते थे। हालांकि आज उनकी जिंदगी कुछ वैसी ही है। लेकिन जरा सोचिए जिस समय वो राजनीति में आए भी नहीं थे और उन्होंने DSP का पद ठुकरा दिया था तब उनकी क्या स्थिति रही होगी। उस समय तो राजनीति को लेकर भी 10 बातें होती थी।
राजनीतिक जीवन में कई उतार चढ़ाव देखे हैं
हालांकि आज उन्हें बुंदलेखंड का बड़ा नेता माना जाता है। साथ ही वे एक कुशल वक्त हैं और स्थानीय एवं राष्ट्रीय मुद्दों पर गहरी पकड़ रखते हैं। पटेल ने अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार चढ़ाव देखे हैं। एक समय में उन्हें उमा भारती का कट्टर समर्थक माना जाता था। यही कारण है कि जब साल 2005 में उमा भारती ने भाजपा से अलग होकर ‘भारतीय जनशक्ति पार्टी’ की स्थापना की थी, तो पटेल भी उनके साथ हो गए थे। हालांकि तीन साल बाद ही मार्च 2009 में उन्होंने भाजपा में घर वापसी कर ली थी। पटेल लोकसभा में एक अनुभवी सांसद हैं। पहली बार वे 1989 में लोकसभा के सदस्य चुने गए थे।
जबलपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे
पटेल अपने छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गये थे। साल 1980 वे जबलपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे। इसके बाद उन्होंने राजनीति में कभी पलट कर नहीं देखा और लगातार आगे बढ़ते गए। पटेल भाजपा की युवा शाखा ‘भारतीय जनता युवा मोर्चा’ के प्रदेश में कई अहम पदों पर भी रहे हैं। मूलरूप से नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव के रहने वाले प्रहलाद पटेल 1989 में पहली बार में ही लोकसभा सांसद चुन लिए गए थे। इसके बाद 1996 में दूसरी बार और 1999 में तीसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। इस दौरान वे लोकसभा के विभिन्न समितियों के सदस्य भी रहे।
2003 में आया राजनीति में एकदम से उछाल
लेकिन उनके राजनीतिक सफर में एकदम से उछाल आया साल 2003 में जब उन्हें अटल सरकार में कोयला राज्य मंत्री बनाया गया। इसके अलावा उमा भारती प्रकरण के बाद वे जैसे ही बीजेपी में वापस आए उन्हें कई और जिम्मेदारियां दी गईं। उन्हें भारतीय जनता मजदूर महासंघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष और भारतीय जनता मजदूर मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया।
हिंदुत्व की राह पर चलने वाले नेता
पटेल उन गिने चुने राजनेताओं में से हैं जिन्होने नर्मदा परिक्रमा की है। नर्मदा नदी के दोनों किनारों पर लगभग 3300 किलोमीटर की यह पैदल परिक्रमा नर्मदा भक्तों में पवित्र मानी जाती है। पटले ने इस परिक्रमा को किया है। वे विशुद्ध शाकाहरी हैं तथा हिंदुत्व की राह पर चलने वाले नेता हैं।