Prabhat Jha Passed Away: करीब सन् 2000 का समय की बात है जब दीनदयाल परिसर में खाकी हाफ पेंट पहने प्रभात जी, मोघे जी और सौदान सिंह जी तीनो भोजनालय में बैठे दिग्विजय काल को घेरने की योजना बना रहे थे। तभी मैं वहां पहुंचा। दिल्ली से आने के बाद उनको मिलने गया था। जैसा कि रामशंकर अग्निहोत्री जी ने कहा था!
सफ़र शुरू ही हुआ था, कि फिर पार्षद पिटाई काण्ड हुआ। मैं तब भेल के कस्तूरबा अस्पताल में ड्यूटी पर था। शिवराज जी तब सांसद थे। शिवराज जी, सौदान जी और प्रभात जी, तीनो मेरे कक्ष में आ गए।
सभी पिटे पार्षदों को सुरक्षित जगह शिफ्ट करना था। प्रभात जी का आदेश था और हम जुट गए।
नौकरी को दांव पर लगा कर सभी को ICU में और वार्ड में भारती कर दिया। रात्रि 2 बजे उमा जी भी केदारनाथ बीच में छोड़कर अस्पताल आ गयी थीं।
तब उनसे भी परिचय प्रभात जी ने ही कराया था। साधिकार हमेशा तब से आज तक हमेशा अपना समझा।
कभी भी उनसे मन की बात करते संकोच नहीं हुआ। वे व्यावहारिक नेता थे। भावुक सम्बन्ध रखते थे। मीडिया का परिचय भी उन्होंने ही कराया।
फिर प्रवक्ता से मीडिया प्रभारी की यात्रा और वहां से वापस प्रवक्ता का सफ़र उन्ही के संज्ञान में पूरा हुआ।
बहुत कुछ सिखाया, समर्थन किया
राजनीति में एक पालक की तरह हमेशा रहे और कभी सोचा न था, कि ऐसे अचानक कहीं चले जाएंगे। शाखा से उन्होंने पकड़ा था। आज उसी समिधा शाखा में पुनः छोड़ कर चले गए।
आपकी कमी शायद ही कोई पूरी करेगा प्रभात जी!
पर अब आपकी तलाश में शाखा फिर प्रारंभ की है जो आपको जरूर अच्छा लगेगा ऐसा लगता है।
ॐ शांति….
लेखक “डॉ.हितेष वाजपेयी” (मप्र बीजेपी के प्रवक्ता और पूर्व मीडिया प्रभारी हैं)