Post Card : आज दुनिया में जहां पर विश्व पोस्ट डे मनाया जा रहा है वहीं पर डाक दिवस के मौके पर कई चीजे ऐसी है जिनसे हम जुडे़ हुए है जिनका साथ हमे आज भी याद है क्या आपको पुराने जमाने का पोस्टकार्ड याद है जिसके जरिए हम अपनी चिट्ठिया अपनों को भेजते रहे है। आज के जमाने में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आने से संदेश भेजने के लिए अब पोस्टकार्ड को आउट ऑफ ट्रेंड कहा जा रहा है। क्या आपको इसका इतिहास पता है कि, कैसे दुनिया में पोस्टकार्ड को लाया गया था और क्या थी इसकी कीमत।
153 साल का हुआ पोस्टकार्ड
आपको बताते चलें कि, हाल ही में एक अक्तूबर को पोस्टकार्ड का 153 साल का सफर पूरा हो गया जिसकी शुरूआत एक अक्तूबर 1869 को ऑस्ट्रिया में की गई थी। इस दौरान पोस्टकार्ड का विचार सबसे पहले ऑस्ट्रियाई प्रतिनिधि कोल्बेंस्टीनर के दिमाग में आया था, जिन्होंने इसके बारे में वीनर न्योस्टॉ में सैन्य अकादमी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. एमैनुएल हर्मेन को बताया। एक दौर में पोस्टकार्ड खत भेजने का प्रमुख जरिया था। शादी-विवाह, शुभकामनाओं से लेकर मौत की खबरों तक को पोस्टकार्डों ने सहेजा है। तमाम राजनेताओं से लेकर साहित्यकार व आंदोलनकारियों ने भी पोस्टकार्ड का बखूबी प्रयोग किया है।
भारत में कब आया था पोस्टकार्ड
आपको बताते चलें कि, पोस्टकार्ड भारत में पहली बार 1869 में जारी किया गया। हल्के भूरे रंग में छपे इस पहले पोस्टकार्ड की कीमत तीन पैसे थी और इस कार्ड पर ‘ईस्ट इंडिया पोस्टकार्ड’ छपा था। बीच में ग्रेट ब्रिटेन का राजचिन्ह छपा था। इसे लोगों ने हाथोंहाथ लिया। पोस्टकार्ड की बात की जाए तो इनकी खासियत और प्रकार होते है। मेघदूत पोस्टकार्ड, सामान्य पोस्टकार्ड, प्रिंटेड पोस्टकार्ड और कम्पटीशन पोस्टकार्ड । ये क्रमश : 25 पैसे, 50 पैसे, 6 रूपये और 10 रूपये में उपलब्ध हैं। कम्पटीशन पोस्टकार्ड फिलहाल बंद हो गया है। इन चारों पोस्टकार्ड की लंबाई 14 सेंटीमीटर और चौड़ाई 9 सेंटीमीटर होती है। आपको बताते चलें कि, अब पोस्टकार्ड का प्रयोग कम हो गया है लेकिन सरकारी कामकाज में इसका प्रयोग किया जाता है।