Porsche Accident Case: बहुचर्चित पुणे पोर्श एक्सीडेंट केस (Porsche Accident Case) में बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने मंगलवार, 25 जून को आरोपी नाबालिग की जमानत याचिका मंजूर कर दी। साथ ही उसे बाल सुधार गृह से तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि हमें आरोपी के साथ वैसे ही पेश आना होगा, जैसे हम कानून का उल्लंघन करने वाले किसी और बच्चे के साथ पेश आते हैं। फिर चाहे अपराध कितना भी गंभीर क्यों ना हो।
नाबालिग ने कार से बाइक सवार युवक-युवती को कुचला था
नाबालिग आरोपी ने 18-19 मई की रात पुणे के कल्याणी नगर इलाके में IT सेक्टर में काम करने वाले बाइक सवार युवक-युवती को टक्कर मारी थी, जिससे दोनों की मौत हो गई थी।
घटना के समय आरोपी नशे में था। वह 200 किमी प्रति घंटे की स्पीड से पोर्श स्पोर्ट्स कार दौड़ा रहा था।
उसे 22 मई 2024 को बाल सुधार गृह भेजा गया था।
याचिका पर 21 जून को फैसला रिजर्व रखा गया
बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने यह आदेश आरोपी लड़के की आंटी की तरफ से दाखिल जमानत याचिका पर दिया।
याचिका पिछले हफ्ते दाखिल की गई। इस याचिका में कहा गया था कि लड़के को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया है। उसे तत्काल रिहा किया जाना चाहिए।
याचिका में यह भी कहा गया था कि लोगों के गुस्से और राजनीतिक एजेंडे के चलते पुलिस जांच के सही रास्ते से भटक गई।
इस वजह से जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट का उद्देश्य पूरा नहीं हो सका है।
याचिका पर हाईकोर्ट में 21 जून को सुनवाई हुई थी। इसके बाद कोर्ट ने आदेश रिजर्व रख लिया था और फैसला सुनाने के लिए आज की तारीख तय की थी।
हाईकोर्ट ने कहा- आरोपी की उम्र को ध्यान में रखना जरूरी
जस्टिस भारती डांगरे और मंजुशा देशपांडे ने आरोपी को ऑब्जर्वेशन होम भेजने के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के आदेश को रद्द कर दिया।
दोनों जस्टिस ने कहा कि हम नाबालिग की आंटी की तरफ से दाखिल याचिका को स्वीकार करते हुए उसे रिहा करने का आदेश देते हैं।
चाइल्ड इन कॉन्फ्लिक्ट विद लॉ (CCL) को याचिकाकर्ता (आरोपी की आंटी) की कस्टडी में रखा जाएगा।
बेंच ने यह भी नोट किया कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का आदेश अवैध था और बिना जुरिस्डिक्शन (Jurisdiction) के जारी किया गया था।
एक्सीडेंट को लेकर रिएक्शन और लोगों के गुस्से के बीच आरोपी नाबालिग की उम्र पर ध्यान नहीं दिया गया।
आरोपी 18 साल से कम उम्र का है, लिहाजा उसकी उम्र को ध्यान में रखना जरूरी है।
नाबालिग आरोपी के साथ बड़े आरोपियों जैसा बर्ताव नहीं कर सकते- कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि हम कानून और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के उद्देश्य से बंधे हुए हैं और हमें आरोपी के साथ वैसे ही पेश आना होगा,
जैसे हम कानून का उल्लंघन करने वाले किसी और बच्चे के साथ पेश आते। फिर चाहे अपराध कितना भी गंभीर क्यों ना हो।
आरोपी रिहैबिलिटेशन में है, जो कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का मुख्य उद्देश्य है।
वह साइकोलॉजिस्ट की सलाह भी ले रहा है और इसे आगे भी जारी रखा जाएगा।
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पिता-दादा सहित अब तक 11 गिरफ्तार
रिपोर्ट के मुताबिक घटना के पहले नाबालिग आरोपी ने बहुत शराब पी थी।
इसकी पुष्टि बार में लगे CCTV से हुई थी, लेकिन ब्लड रिपोर्ट एल्कोहॉल निगेटिव आने पर पुलिस को शक हुआ।
इसके बाद जांच में पता चला कि नाबालिग के ब्लड सैंपल को ससून अस्पताल में बदला गया।
इसके लिए नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल से 50 लाख रुपए की डील हुई। आरोपी की जगह उसकी मां के सैंपल से बदला गया।
इस केस में अस्पातल के डॉ. तावरे, डॉ. हलनोर और एक स्टाफ को 27 मई को गिरफ्तार किया गया।
डॉ. हलनोर ने पूरी डील को कबूल किया। बताया इस डील की पहली किस्त 3 लाख रुपए का पेमेंट भी हो गया था।
केस में अस्पताल के डॉक्टर व स्टाफ के अलावा 11 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं।
मामले में नाबालिग की मां को 1 मई, पिता को 21 मई, दादा को 25 मई को गिरफ्तार किया गया
। पब के मालिक-मैजेनर और स्टाफ को शुरुआत में ही गिरफ्तार कर लिया गया था।