Police Recruitment Rojgar Panjiyan: सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश को सही ठहराया है, जिसमें कहा गया था कि पुलिस आरक्षक भर्ती के लिए रोजगार कार्यालय का पंजीकरण अनिवार्य नहीं है। हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।
आरक्षक पद के लिए चयनित उम्मीदवारों ने दलील दी कि उनके आवेदन के समय रोजगार कार्यालय का पंजीकरण कार्ड नहीं होने के कारण उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गई थी।
हाई कोर्ट ने उनके पक्ष में आदेश देते हुए कहा कि पुलिस आरक्षक पद के लिए उम्मीदवार की पात्रता, योग्यता या फिटनेस तय करने में रोजगार कार्यालय का पंजीकरण कार्ड अनिवार्य शर्त नहीं है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि सार्वजनिक रोजगार के लिए विचार किया जाना संविधान के अनुच्छेद-16 के तहत मौलिक अधिकार है और इसे अनावश्यक शर्तों से सीमित नहीं किया जा सकता।
शिक्षिका को जाति प्रमाण पत्र न मानने के कारण पद से हटाया गया
उत्तर प्रदेश के लखनऊ से विवाह कर मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में आई एक शिक्षिका के ओबीसी जाति प्रमाण पत्र को स्कूल शिक्षा विभाग ने अस्वीकार कर दिया। इसके बाद 21 महीने तक सेवा देने के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया। पीड़ित शिक्षिका आरती मौर्य ने मध्य प्रदेश सरकार के इस निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है।
शिक्षिका की दलील
आरती मौर्य ने सवाल उठाया है कि बेटियां चाहे किसी भी राज्य में जन्मी हों, विवाह के बाद पति का शहर और घर ही उनका घर हो जाता है। ऐसे में उनके जन्म स्थान से जारी जाति प्रमाण पत्र को अस्वीकार कर सेवा से हटाना अन्यायपूर्ण है। उनकी ओर से हाई कोर्ट में अधिवक्ता मनोज अग्रवाल और दीक्षा अग्रवाल पैरवी करेंगी।
गेस्ट फैकल्टी को साक्षात्कार में शामिल करने का आदेश दिया
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) को निर्देश दिया है कि असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती-2022 के लिए आयोजित होने वाले साक्षात्कार में गेस्ट फैकल्टी को शामिल किया जाए।
जस्टिस डीडी बंसल की एकल पीठ ने यह आदेश दिया। सतना निवासी डॉ. दीपा सिंह और रीवा निवासी डॉ. तरन्नुम खान ने याचिका दायर की थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने 2022 में लिखित परीक्षा दी थी और उत्तीर्ण होने के बाद उनके नाम चयन सूची में भी आए थे।
हालांकि, परीक्षा का परिणाम 8 अक्टूबर 2024 को आया, और गेस्ट फैकल्टी होने के कारण उन्हें परिणाम की जानकारी नहीं मिल पाई। हाई कोर्ट ने कहा कि चूंकि दस्तावेज परीक्षण की अंतिम तिथि निकल चुकी है, इसलिए एमपीपीएससी याचिकाकर्ताओं से अतिरिक्त शुल्क वसूलने के लिए स्वतंत्र है।
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