भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग manavadhikar aayog fine ने पीडि़तों को 50-50 हजार का हर्जाना देने की सिफारिश मुख्य सचिव और डीजीपी से की है। सभवत: प्रदेश का यह पहला मामला है जब आयोग द्वारा कराई गई जांच में पुलिसकर्मियों को झूठी कार्रवाई कर गलत रिपोर्ट बनाकर रोजनामचे में चढ़ाने का दोषी पाया गया।
इस लिए लगाया हर्जाना
राजधानी के अयोध्या नगर थाने के दो पुलिसकर्मियों ने लॉकअप में हथकड़ी लगाकर बंद करने के बाद फोटो खींचकर वायरल किया था। इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जांच के आदेश मप्र पुलिस के अलावा यूपी पुलिस को दिए थे। मप्र पुलिस ने जांच में तत्कालीन थाना प्रभारी और एएसआई को दोषी माना। इस पर एएसआई सुमेर सिंह टेकाम को सस्पेंड किया गया। वहीं थाना प्रभारी बलजीत सिंह को एक हजार के फाइन के साथ निंदा की सजा दी गई।
मामले में मैं अपील करूंगा
तत्कालीन थाना प्रभारी अयोध्या नगर बलजीत सिंह का कहना है कि पति और पत्नी का विवाद था। महिला ने प्रकरण दर्ज कराया था। वर्ष 2018 में मैं थाना प्रभारी था। इसलिए जांच में मेरा नाम भी आया है। मानवाधिकार आयोग ने क्या आदेश जारी किया है, उसकी जानकारी नहीं है। इस मामले में मैं अपील करूंगा।
अयोध्या नगर थाने में केस दर्ज कराया था
जानकारी के अनुसार जुलाई 2018 में खूशबू उर्फ खुशी ने पति एम घनश्याम और देवर के खिलाफ भोपाल के अयोध्या नगर थाने में केस दर्ज कराया था। पुलिस ने दोनाें को जुलाई 2018 में गिरफ्तार किया था। दोनों के खिलाफ 151 के तहत प्रकरण दर्ज कर एसडीएम कोर्ट में पेश किया गया था। यहां उनसे एक-एक लाख की मुचलके राशि भरने को कहा गया था। दोनों के पास तत्काल इतनी राशि नहीं थी तो उन्हें जेल भेज दिया गया था।