PMFBY: क्या है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, जानें कैसे होता है इससे किसानों को लाभ

Image source-@pmfby
नई दिल्ली। भारतीय किसानों को प्राकृतिक आपदा के चलते काफी नुकसान उठाना पड़ता है। तुफान, बाढ़, आंधी, ओले और तेज बारिश के कारण उनकी फसलें खराब हो जाती है। कई किसान तो इस चीज से इतने परेशान हो जाते हैं कि वो आत्महत्या तक कर लेते हैं। इन्हीं सब चीजों से बचाने के लिए केद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने आज से पांच साल पहले 13 जनवरी 2016 को एक योजना की शुरूआत की। जिसे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजाना का नाम दिया गया।
क्या है PMFBY?
यह योजना उन किसानों के लिए है। जिनके फसल खराब हो गए हैं। इस स्थिती में सरकार उन किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है। इसके लिए प्रीमियम राशि सभी खरीफ फसलों पर 2 प्रतिशत, हॉटिकल्चर फसलों के लिए 5 प्रतिशत और रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत रखी गई है और शेष राशि का भूगतान केंद्र व राज्य सरकार बराबर-बराबर के हिस्सेदारी में करती है। केंद्र सरकार इस योजना के लिए 5,501 करोड़ रूपये सालाना आवंटित करती है। जबकि एक आंकडे अनुसार किसानों को 8,800 करोड़ रूपये की सालाना जरूरत है।
इस योजना से किन किसानों को है लाभ
मुख्यरूप से ये योजना सभी किसानों के लिए है। लेकिन कर्ज लेने वाले किसानों के लिए अनिवार्य है, जबकि अन्य किसान इस योजना का स्वैच्छिक लाभ ले सकते हैं।
कृषि बीमा की शरूआत सबसे पहले 1915 में की गई थी
भारत में कृषि बीमा कोई नई बात नहीं है। सबसे पहले वर्ष 1915 में मैसूर स्टेट ने अपने किसानों को सूखे से बचाने के लिए वर्षा आधारित बीमा योजना उपलब्ध करवाया था। इसके बाद मध्य प्रदेश के देवास स्टेट ने भी 1943 में अपने किसानों के लिए कृषि बीमा उपलब्ध करवाया था। आजाद भारत में भी सबसे पहले 1973 में गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में कृषि बीमा योजना की शुरूआत की गई थी। वहीं संपूर्ण देश के लिए केंद्र सरकार ने साल 1985-86 में फसल बीमा योजना को लागू किया। जिसे समय-समय पर अलग-अलग नाम दिए गए। लेकिन किसानों की स्थिती जस के तस बनी रही।
PMFBY पुरानी योजनाओं से कैसे है अलग
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पुरानी योजनाओं से इस मायने में अलग है कि पहले की सभी योजनाओं में सरकारें अपनी हिस्सेदारी ‘दावों के निपटारे’ में दे देती थी, जो कभी समय पर नहीं होता था। लेकिन इस योजना के तहत राज्य एवं केंद्र सरकार को प्रीमियम में हिस्सा देना है। जिसमें राज्य सरकार पहले प्रीमियम जमा कराएगी। हालांकि इस कारण से राज्यों पर बोझ काफी बढ़ लगा है लेकिन लाभुक किसानों को इससे फायदा भी हुआ है। यही कारण है कि कई राज्य सरकारों ने प्रीमियम को अपने-अपने तरीके से तय किया है।