नई दिल्ली। Pitru Paksha 2023: इस साल पितृपक्ष की शुरूआत 29 सितंबर से हो रही है। जो पूरे 15 दिन तक चलेंगे। इनकी समाप्ति 14 अक्टूबर को पितृ मोक्ष अमावस्या के साथ होगी। इन दिनों लोग अपने पितरों की शांति के लिए उपाय करेंगे। घर के बड़े और छोटे पितरों को पानी देते हैं।
वैसे तो ज्योतिषाचार्य आपको बताते हैं कि आपको पितृ दोष है या नहीं, लेकिन फिर भी सवाल ये है कि यदि आप ऐसा न कर पाएं तो आपको कैसे पता चलेगा कि आपको पितृ दोष है या नहीं। तो चलिए आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर कैसे पता किया जाए कि आपको पितृ दोष है या नहीं।
ऐसे पता करें कि आपको तो नहीं पितृदोष
पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार कुंडली में पितृ दोष (Pitru Paksha 2023) होने से व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए जब कभी जीवन में समस्याएं आती हैं तो ज्योतिषाचार्य कुंडली में सबसे पहले पितृदोष (Pitru Dosh) देखते हैं। जिसके अनुसार पितृ दोष को अशुभ फल देने वाला दोष माना गया है। जिनकी कुंडली में यह दोष होता है। उनके हर कार्य में बाधा आती है। मान-सम्मान बढ़ता नहीं है। जीवन भर की जमा पूंजी नष्ट हो जाती है। बीमारियां भी घेरने लगती हैं।
कब मनाएं पितरों का श्राद्ध
वैसे तो घर के बड़ों का इस बात का पता होता है कि पितरों का श्राद्ध कब है। या जिस दिन उन्हें मुखाग्नि दी जाती है। उसी दिन श्राद्ध मनाया जाता है, लेकिन फिर भी अगर आपको इसके बारे में नहीं पता है। तो इसके लिए सर्व पितृ अमावस्या (Pitru Moksha Amavashya) पर उनका श्राद्ध किया जा सकता है।
क्या है श्राद्ध का महत्व
पितरों का तर्पण न होने से उन्हें मुक्ति नहीं मिलती इसलिए उनकी मुक्ति के लिए तर्पण करना जरूरी होता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण का कार्य पितरों की शांति के लिए किया जाता है। तर्पण कर पितरों का आशीर्वाद लेने से जीवन में आने परेशानियों से दूर हो जाती हैंं।
पहला श्राद्ध कब है?
हिन्दु पंचांग के अनुसार 29 सितंबर को इस वर्ष का पहला श्राद्ध है। शनिवार को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की तिथि से इसकी शुरूआत है। नियम और अनुशासन का पालन करके ही इसका लाभ लिया जा सकता है।
पितृ पक्ष 2023 की तिथियां
पूर्णिमा श्राद्ध – 29 सितंबर
प्रतिपदा – 30 सितंबर
द्वितीया , तृतीया श्राद्ध – 1 अक्टूबर
चतुर्थी श्राद्ध – 2 अक्टूबर
पंचमी श्राद्ध – 3 अक्टूबर
षष्ठी श्राद्ध – 4 अक्टूबर
सप्तमी श्राद्ध – 5 अक्टूबर
अष्टमी श्राद्ध – 6 अक्टूबर
नवमी श्राद्ध – 7 अक्टूबर
खाली श्राद्ध – 8 अक्टूबर
दशमी श्राद्ध – 9 अक्टूबर
एकादशी श्राद्ध – 10 अक्टूबर
द्वादशी श्राद्ध – 11 अक्टूबर
त्रयोदशी श्राद्ध – 12 अक्टूबर
चतुर्दशी श्राद्ध – 13 अक्टूबर
पितृ पक्ष समाप्त – 14 अक्टूबर
नोट : इस लेख में दी गई सभी सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित है। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने के पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले लें।
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