Pitrapaksha Mela 2023: आज से बिहार के गयाजी में पितृपक्ष मेला शुरू हो गया है, जो 14 अक्टूबर तक चलेगा। यहां पितरों का तर्पण करने से सौभाग्य प्राप्त होता है।
पितृपक्ष में लगने वाले इस मेले का खासा महत्व है। शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान श्री हरि विष्णु ने यहां अपना दाहिना पांव गयासुर पर रखा था। साथ ही शमी वृक्ष के पत्ते के समान पिंड का दाना भी गया क्षेत्र विष्णुपद में रख देने मात्र से 7 गोत्र और 121 कुलों का उद्धार हो जाता है।
54 स्थानों पर होता है पिंडदान
पिंडदान करने के शहर में 54 स्थान हैं, जहां देश-विदेश के तीर्थयात्री अलग-अलग तिथि को वहां पिंडदान करत हैं। गया जी में प्रेतशिला, रामशिला, देव घाट, अक्षयवट, गोदावरी समेत 54 वेदियों पर विशेष रूप से पिंडदान व तर्पण किया जाता है।
इस मेले में पंडा जी परिचय पत्र के साथ मौजूद रहते हैं। जो आप को रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर मिल जाएंगे। वहीं यात्री बस या छोटे यात्री वाहनों के पड़ाव वाले स्थान पर भी पंडा जी परिचय पत्र के साथ मौजूद रहते हैं।
क्यों करते हैं पिंडदान?
शास्त्रों के अनुसार जब किसी कारणवश किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, जो उसकी आत्मा भटकती रहती है। जिसकी शांति के लिए पितृपक्ष में लोग पिंडदान करते हैं। कहा जाता है कि आत्मा की शांति के बाद पूर्वज सिद्धेश्वर लोक चलते जाते हैं और वहां से अपने परजिनों को आशीर्वाद देते हैं।
क्या है महत्व?
पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि पितृ पक्ष में अपने पितरों को याद करने व विधिवत पूजा करने से वे प्रसंन होते हैं। साथ ही अपनी पीड़ी के लोगों के जीवन की सभी बाधाओं को दूर कर देते हैं।
पितृ पक्ष में व्यक्ति को पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। इसके आलाव पवित्र ग्रंथों को पढ़ना भी शुभ माना जाता है।
प्रशासन ने की तैयारियां
इस साल प्रशासन ने निशुल्क टेंट सिटी की तैयारी की है। जिसे गांधी मैदान में बनाया गया है। यहां रहने के लिए तीर्थयात्रियों को कोई शुल्क नहीं देना होगा। तीर्थयात्री यहां रह कर अपने संबंधित पंडा से पिंडदान तर्पण का कर्मकांड करा सकते हैं।
श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां
29 सितंबर – प्रतिपदा श्राद्ध
30 सितंबर – द्वितीया श्राद्ध
1 अक्टूबर – तृतीया श्राद्ध
2 अक्टूबर – चतुर्थी श्राद्ध
3 अक्टूबर – पंचमी श्राद्ध
4 अक्टूबर – षष्ठी श्राद्ध
5 अक्टूबर – सप्तमी श्राद्ध
6 अक्टूबर – अष्टमी श्राद्ध
7 अक्टूबर – नवमी श्राद्ध
8 अक्टूबर – दशमी श्राद्ध
9 अक्टूबर – एकादशी श्राद्ध
11 अक्टूबर – द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर – त्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर – चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर – सर्व पितृ अमावस्या
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