हाइलाइट्स
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संशोधित नियम में तीन साल की वकालत जरूरी
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बिना एटीकेटी के एलएलबी परीक्षा में 70 % अंक
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न्यायिक सेवा में ओबीसी को 14 % आरक्षण
Civil Judge Exam: जबलपुर। एमपी हाईकोर्ट ने सिविल जज भर्ती परीक्षा के संशोधित नियमों को लेकर चुनौती देने वाली याचिकाएं लगाई गई थी। इन 15 याचिकाओं को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।
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— Bansal News (@BansalNewsMPCG) April 16, 2024
चीफ जस्टिस (Civil Judge Exam) रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने कहा न्यायहित और जनहित में संशोधित नियम पूरी तरह उचित है। बता दें कि कोर्ट ने 20 फरवरी को सुनवाई की थी। इसके बाद फेसला सुरक्षित रखा था।
कोर्ट ने की गुणवत्ता में वृद्धि
एमपी हाईकोर्ट (MP High Court) ने अपने फैसले में कहा कि गुणवत्ता को केंद्र में रखकर नियमों में संशोधन किया गया है। न्यायपालिका का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना भी है कि श्रेष्ठ में से सर्वश्रेष्ठ कैंडिडेट्स का चयन हो।
ताकि वह अच्छे निर्णायक की भूमिका अदा कर सकें और अदालत न्यायाधीशों (Civil Judge Exam) से सर्वोत्तम सेवाएं प्राप्त करें।
एक गुणात्मक निर्णय या फैसला तभी सुनाया जा सकता है न्यायाधीश ऐसे गुणों से सुसज्जित हो। न्यायपालिका का सर्वोपरि उद्देश्य वादियों को गुणवत्तापूर्ण न्याय प्रदान करना है।
कोर्ट ने कहा कि दशकों तक न्यूनतम योग्यता पर्याप्त थीं। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पहली बार ऐसा प्रयास किया है कि गुणवत्ता में वृद्धि हो। यह संशोधन पक्षकारों और समाज के व्यापक हित में किया गया है।
लगाई गई चाचिकाएं की खारिज
बता दें कि एमपी के नरसिंहपुर की वर्षा पटेल और अन्य 15 याचिकाएं सिविल जज की परीक्षा (Civil Judge Exam) पात्रता के लिए बदले गए नियमों को चुनौती देने लगाई गई थी।
इन सभी याचिकाओं को लेकर दायर याचिकाओं को हाईकोर्ट (MP High Court) ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि गुणवत्तात्मक निर्णय के लिए चयन प्रक्रिया के नियमों में बदलाव जरूरी था और यह सही भी है।
ओबीसी को 14% आरक्षण
इधर एमपी हाईकोर्ट (MP High Court) की अनुशंसा पर राज्य सरकार ने 23 जून 2023 को संशोधन करके ओबीसी (OBC) वर्ग के लिए सभी योग्यताएं अनारक्षित (Civil Judge Exam) वर्ग के समतुल्य कर दी थीं।
न्यायिक सेवा में ओबीसी (OBC) को मात्र 14 फीसदी आरक्षण दिया गया है। इसके अलावा हाईकोर्ट ने किसी भी नियम की चुनौती को स्वीकार नहीं किया है।