जनता ने विपक्ष के झूठ व पाखंड को खारिज किया: भाजपा -

जनता ने विपक्ष के झूठ व पाखंड को खारिज किया: भाजपा

नयी दिल्ली, छह जनवरी (भाषा) भाजपा ने बुधवार को कर्नाटक ग्राम पंचायत चुनाव के परिणामों का हवाला देते हुए कहा कि जनता ने विपक्ष के ‘‘झूठ और पाखंड’’ की राजनीति को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही पार्टी ने यह दावा भी किया कि ये परिणाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकास कार्यों पर जनता के विश्वास को दर्शाते हैं।

भाजपा प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि विपक्षी दल नागरिकों के एक समूह को भड़काने की कोशिश करते हैं। इन आरोपों के पक्ष में उन्होंने राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर चल रहे किसानों के आंदोलन और उससे पहले संशोधित नागरिकता कानून को लेकर हुए प्रदर्शनों का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि कर्नाटक में हाल में विभिन्न चुनावों में भाजपा को जीत मिली है, चाहे वह विधानसभा के उपचुनाव हों या विधान परिषद के चुनाव या फिर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय निकायों के चुनाव।

चंद्रशेखर ने कहा कि विपक्षी दलों और ‘‘झूठ व पाखंड की उनकी राजनीति’’ के खिलाफ भाजपा को मिला यह ‘‘भारी’’ जनादेश प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के नेतृत्व पर जनता के भरोसे को दर्शाता है।

उन्होंने दावा किया कि जनता ने कृषि के क्षेत्र में केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए कदमों का समर्थन किया है।

उन्होंने कहा कि सरकार आंदोलन को समाप्त करने को लेकर किसान संगठनों से चल रही वार्ता पर गंभीर है और भाजपा की किसानों के लिए प्रतिबद्धता ‘‘विश्वास के सिद्धांत’’ पर आधारित है।

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि लोगों ने कर्नाटक के ग्राम पंचायतों के चुनाव में भाजपा और मोदी की नीतियों पर विश्वास जताते हुए निर्णायक बहुमत दिया है जबकि ये चुनाव कृषि सुधार कानूनों पर फैलाये जा रहे झूठ के बीच हुआ था।

उन्होंने कहा कि इसमें से 55 प्रतिशत ग्राम पंचायत भाजपा समर्थित हैं और 53 प्रतिशत सदस्य भाजपा समर्थित हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इसका सीधा मतलब है कि कर्नाटक के किसानों ने बड़ा सीधा और स्पष्ट संदेश दिया है कि उन्हें मोदी जी के विजन और पिछले कुछ वर्षों में किसानों के फायदे के लिए सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं पर पूर्ण विश्वास है।’’

मालूम हो कि दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसान पिछले लगभग चार सप्ताह से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान इन कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं जबकि सरकार इन कानूनों पर बिन्दुवार चर्चा चाहती है। अब तक सरकार और किसान संगठनों के बीच सात दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन यह बेनतीजा रही। अब आठ जनवरी को आठवें दौर की वार्ता होनी है।

भाषा ब्रजेन्द्र

ब्रजेन्द्र अविनाश

अविनाश

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