हाइलाइट्स
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आदिवासी संगठन के 58 सदस्यीय दल ने की जांच
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पीड़िया नक्सली मुठभेड़ में निर्दोष ग्रामीणों को मारा
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बैठक में निर्णय, चरणबद्ध आंदोलन की तैयारी शुरू
Pedia Naxalite Encounter Controversy: छत्तीसगढ़ के जगदलपुर इलाके में पिछले दिनों हुई पुलिस-नक्सली मुठभेड़ मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
बस्तर के बीजापुर पीड़िया में हुई मुठभेड़ में 12 नक्सली के मारे जाने के बाद नया विवाद खड़ा हो गया है। ग्रामीणों ने पुलिस के द्वारा स्थानीय लोगों को मारने की बात कही है और नक्स्ली मुठभेड़ को झूठा बताया है।
वहीं कांग्रेस भी इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार पर गंभीर आरोप लगा रही है।
इसी मामले में अब सर्व आदिवासी समाज ने बैठक आयोजित की। बैठक के दौरान पीड़िया में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ को लेकर चर्चा की गई।
इस दौरान ग्रामीणों ने अपनी-अपनी राय रखी। वहीं चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि यह मुठभेड़ झूठी है। पुलिस के द्वारा नक्सलियों की जगह निहत्थे ग्रामीणों को मारा गया है। यह एनकाउंटर फर्जी है।
58 सदस्यीय दल ने बताई पीड़ा
सर्व आदिवासी समाज (Sarv Adivasi Samaj Chhattisgarh) ने 58 सदस्यों का दल पीड़िया पुलिस-नक्सली मुठभेड़ मामले की जांच के लिए भेजा था। इस दल ने पीड़िया इलाके और घटनास्थल की जांच की।
इसके साथ ही जिन परिवार के परिजनों को मार दिया गया, उन लोगों से भी चर्चा की गई। वहीं इस इलाके के पूरे गांवों के लोगों से भी चर्चा की गई।
इस दौरान सामने आया कि पीड़िया में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ फर्जी (Pedia Naxalite Encounter Controversy) है। पुलिस के द्वारा निर्दोष लोगों को फंसाया जाता है। निर्दोष ग्रामीणों को मारा जाता है। इससे सर्व आदिवासी समाज में आक्रोश व्याप्त है।
24 मई को सीएम के नाम देंगे ज्ञापन
पीड़िया मामले को लेकर हुई सर्व आदिवासी समाज की बैठक में समाज ने पुलिस और सरकार के खिलाफ कठोर कदम उठाने का निर्णय लिया है।
बस्तर इलाके में हो रही फर्जी नक्सली मुठभेड़ (Pedia Naxalite Encounter Controversy) के खिलाफ आंदोलन की तैयारी भी संगठन ने कर रही है।
पहले चरण में सर्व आदिवासी समाज 24 मई को मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन देंगे।
28 मई को बस्तर संभाग बंद का ऐलान
सर्व आदिवासी समाज के द्वारा भेजा गया 58 सदस्यों का दल पीड़िया (Pedia Naxalite Encounter) से वापस लौटा। दल ने कहा कि मुठभेड़ में मारे गए सभी लोग निर्दोष हैं।
पुलिस-नक्सली की फर्जी मुठभेड़ (Pedia Naxalite Encounter Controversy) के खिलाफ 28 मई को सर्व आदिवासी समाज ने बस्तर संभाग बंद बुलाया है। इसको लेकर समाज ने प्रचार-प्रसार शुरू भी कर दिया है।
7 जून से अनिश्चित कालीन धरना
सर्व आदिवासी समाज के वरिष्ठ पदाधिकारी प्रकाश ठाकुर ने जानकारी दी कि 28 मई को बस्तर संभाग बंद बुलाया है।
यदि इसके बाद भी समाधान नहीं होता है तो सर्व आदिवासी समाज अपनी मांगों और न्याय को लेकर 7 जून से अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन करेंगे। वहीं उन्होंने कहा कि इसके बाद यदि जरूरत पड़ी तो कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगे।
निर्दोष ग्रामीणों को मारती है पुलिस
सर्व आदिवासी समाज के वरिष्ठ पदाधिकारी प्रकाश ठाकुर ने बताया कि जो 58 सदस्यीय दल गया था, उस दल को ग्रामीणों ने कई अहम जानकारी दी है।
उन्होंने बताया कि बस्तर संभाग में पुलिस के द्वारा लगातार ग्रामीणों को परेशान किया जा रहा है। पुलिस कभी भी किसी भी गांव में पहुंच जाती है और निर्दोष ग्रामीणों को मारती है।
इससे ग्रामीण कई बार डर से जंगल की ओर भाग जाते हैं।
आत्मसमर्पण कराकर छोड़ देते हैं
सर्व आदिवासी समाज के वरिष्ठ पदाधिकारी प्रकाश ठाकुर ने बताया कि अब गांव में ऐसी हालत है कि 16 साल से ऊपर के लोग ऐसे हैं, जो पुलिस के मार के डर से पुलिस (Pedia Naxalite Encounter Controversy) को देखते ही डर के मारे जंगल की ओर भाग जाते हैं।
ये भागते इसलिए हैं क्योंकि पुलिस निर्दोष को पकड़कर मारती है। गांव वालों को जवरदस्ती ले जाकर आत्मसमर्पण कराती है और दूसरे दिन छोड़ देती है।
आत्मसमर्पण के बाद जो पैसा आता है उसे वापस छीन लिया जाता है। उस ग्रामीण को कुछ नहीं मिलता। पुलिस गांव वालों को पैसे का लालच देकर मारती है।
निर्दोष को मारकर घोषित किया इनामी नक्सली
प्रकाश ठाकुर ने आगे जानकारी दी कि जांच दल से जानकारी मिली है कि पिछले दिनों हुई नक्सली मुठभेड़ (Pedia Naxalite Encounter Controversy) में पुलिस के द्वारा कई इनामी नक्सलियों को मार गिराने की बात कही थी।
इनमें तीन नक्सली (Pedia Naxalite Encounter Controversy) ऐसे थे जिन पर पांच-पांच लाख का इनाम था। इन पांच लाख के इनामी नक्सलियों की जगह दूसरे निर्दोष लोगों को मार दिया गया, जिनके प्रमाण भी हमारे पास हैं।
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नक्सली-पुलिस दोनों मार रहे
प्रकाश ठाकुर का कहना है कि बस्तर इलाके में हालत ऐसी हो गई है कि आदिवासी परेशान हो गए हैं। वह पुलिस की प्रताड़ना से परेशान हैं। एक तरफ नक्सली (Pedia Naxalite Encounter Controversy) आदिवासियों को मार रहे और दूसरी तरफ पुलिस भी निर्दोष आदिवासियों को मार रही।
ऐसे में अब आदिवासी ग्रामीण कहां जाएं। ऐसे में अब आदिवासियों के पास आंदोलन के सिवा कोई अन्य रास्ता नहीं बचा है।