नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म पेटीएम (Paytm) की पैरंट कंपनी One 97 Communications की आज शेयर बाजर में लिस्टिंग हो गई। हालांकि, पेटीएम IPO बड़ी गिरावट के साथ लिस्ट हुआ है। 2,080-2150 रूपये के प्राइस बैंड वाला शेयर 1,950 रूपे में सूचीबद्ध हुआ। कमजोर लिस्टिंग के अलावा इसके शेयर में भी लगातार गिरावट देखने को मिली। लेकिन आज हम इसकी गिरावट के बारे में बात नहीं करेंगे, आज हम आपको Paytm के शुरुआती दिनों के बारे में बताने जा रहे हैं।
पिता ने कहा बंद कर दे कंपनी
कभी पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा 10 हजार रूपये महीना कमाते थे। इतनी कम सैलरी के कारण कोई भी उससे शादी नहीं करना चाहता था। इस वाक्ये का जिक्र खुद विजय शेखर ने किया है। उन्होंने कहा कि साल 2004-05 में मेरे पिता ने कहा कि मैं अपनी कंपनी बंद कर दूं और कोई 30 हजार रूपये महीना की नौकरी कर लूं। विजय शेखर पेशे से इंजनियर थे और अपनी एक छोटी सी कंपनी चलाते थे, जिसके जरिए मोबाइल कॉन्टेंट बेचा करते थे। विजय बताते हैं कि जब लड़की वालों को उनकी आय का पता चलता था तो वे शादी करने से इनकार कर देते थे।
2017 में सबसे कम उम्र के अरबपति बने
पर किस्मत कुछ ऐसी बदली कि वे साल 2017 में भारत के सबसे कम उम्र के अरबपति बने गए। पिछले हफ्ते 43 साल के शर्मा की कंपनी पेटीएम ने इनिशिअल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) के जरिए 2.5 अरब डॉलर यानी लगभग एक खरब 34 अरब रुपये जुटाए हैं। फाइनेंस-टेक कंपनी पेटीएम अब भारत की सबसे मशहूर कंपनियों में से एक बन गई है और नए उद्योगपतियों के लिए एक प्रेरणा भी।
बेटा क्या करता है घरवालों को नहीं पता था
शर्मा कहते हैं कि बहुत समय तक उनके माता-पिता को पता ही नहीं था कि उनका बेटा करता क्या है। लेकिन एक बार उनकी मां ने अपने बेटे के बारे में अखबार में पढ़ा जब उन्हें पता चला कि उनका बेटा इतना अमीर हो गया है। उन्होंने अपने बेटे से पूछा कि वाकई तेरे पास इतना पैसा है? विजय अपनी मां की बात पर हंस पड़े।
नोटबंदी ने किया मालामाल
बतादें कि पेटीएम की शुरुआत करीब एक दशक पहले हई थी। तब यह सिर्फ मोबाइल रिचार्ज कराने वाली कंपनी थी। लेकिन ऊबर ने जब से भारत में इस कंपनी को अपना पेमेंट पार्टनर बनाया, पेटीएम की किस्मत बदल गई। इस सफलता में एक और उछाल साल 2016 में आया, जब भारत सरकार ने नोटबंदी कर दी और डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा दिया। नोटबंदी के बाद तो पेटीएम बड़े बड़े शोरूम से लेकर ठेले-रिक्शा तक पहुंच गया। सबके यहां पेटीएम के स्टिकर नजर आने लगे। सॉफ्टबैंक और बर्कशर जैसी मल्टीनेशनल कंपनियों के समर्थन वाली पेटीएम अब अपनी शाखाएं दूसरे उद्योगों में भी फैला रही है। यह सोना बेच रही है। फिल्में बना रही है, विमानों की टिकट और बैंक डिपॉजिट भी अब उपलब्ध करवा रही है।
नोटबंदी के बाद शर्मा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2017 में पेटीएम ने कनाडा में भी एक पेमेंट ऐप शुरू किया और उसके एक साल बाद जापान में भी अपना मोबाइल पेमेंट ऐप लॉन्च किया। अब कंपनी की नजर सैन फ्रांसिस्को, न्यू यॉर्क और लंदन पर है।