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Putrada Ekadashi 2025: इस कथा के बिना अधूरा है पुत्रदा एकादशी का व्रत, देखें पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट, पूजा विधि

Paush Putrada Ekadashi 2025: इस कथा के बिना अधूरा है पुत्रदा एकादशी का व्रत, देखें पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट, पूजा विधि paush-putrada-ekadashi-2025-katha-puja-vidhi-shubh-muhurat-upay-jan-vrat-tyohar-hindi-news-pds

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Preeti Dwivedi
Putrada Ekadashi 2025: इस कथा के बिना अधूरा है पुत्रदा एकादशी का व्रत, देखें पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट, पूजा विधि

Putrada Ekadashi 2025 Katha Puja Samagri: अगर आप भी संतान की दीर्घायु के लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत रखते हैं तो ये खबर आपको जरूर पढ़ लेनी चाहिए। इस साल पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी शुक्रवार को रखा जाएगा। इस दिन का व्रत करने से संतान दीर्घायु होती है। चलिए जानते हैं पुत्रदा एकादशी व्रत की पूजा विधि क्या है, पुत्रदा एकादशी व्रत कथा और नियम भी जान लें। पुत्रदा एकादशी व्रत का मुहूर्त क्या है।

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कब है पुत्रदा एकादशी 10 या 11 जनवरी

ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार वैसे तो एकादशी तिथि आज गुरुवार रात 11:08 मिनट से लग जाएगी। पर उदया तिथि के अनुसार पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी को रखा जाएगा।

पुत्रदा एकादशी किसे कहते हैं

हिन्दू धर्म के अनुसार पौष माह के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस बार पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी शुक्रवार को रखा जाएगा। ऐसी मान्यता के अनुसार एकादशी के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती हे। इस व्रत को करने से व्यक्ति को सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा (Putrada Ekadashi 2025 Vrat Katha)

भद्रावती नामक नगरी में सुकेतुमान नामक एक राजा राज्य करता था। उसकी पत्नी का नाम शैव्या था। लेकिन उनका कोई पुत्र नहीं था।

राजा की पत्नी अपने राज्य को एक राजकुमार न दे पाने के कारण सदैव चिंतित रहा करती थी। वहीं दूसरी ओर राजा के पितर भी रो-रोकर पिंड लिया करते थे, क्योंकि उन्हें इस बात की परेशानी थी कि इसके बाद हमको कौन पिंड देगा। राजा भी हमेशा मायूस रहता था। उसके पास भाई, अपार धन, हाथी, घोड़े, राज्य और मंत्री हर एक चीज होने के बाद उसे संतोष नहीं होता था।

राजा सदैव यही विचार करता था कि मेरे मरने के बाद मुझे कौन पिंडदान करेगा। बिना पुत्र के पितरों और देवताओं का ऋण मैं कैसे चुका सकूंगा। जिस घर में पुत्र न हो उस घर में सदैव अंधेरा ही रहता है। इसलिए पुत्र उत्पत्ति के लिए प्रयत्न करना चाहिए।

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जिस मनुष्य ने पुत्र का मुख देखा है, वह धन्य है। उसको इस लोक में यश और परलोक में शांति मिलती है अर्थात उनके दोनों लोक सुधर जाते हैं। पूर्व जन्म के कर्म से ही इस जन्म में पुत्र, धन आदि प्राप्त होते हैं। राजा इसी प्रकार रात-दिन चिंता में लगा रहता था।

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राजा चिंतित होकर पुत्र प्राप्ति के लिए हर एक प्रयास करने लगा। एक दिन वह अपने नगर के एक खूबसूरत सरोवर के पास पहुंचा। जहां पर कुछ ऋषि-मुनि मौजूद थे। वहां पहुंचकर राजा से उन्हें प्रणाम किया।

चिंतित और मायूस राजा को देखकर ऋषि- मुनियों ने कहा- हे राजन! हम तुमसे अत्यंत प्रसन्न हैं। तुम्हारी क्या इच्छा है, सो कहो। इस बात पर राजा ने मुनियों से पूछा- महाराज आप कौन हैं और किसलिए यहां आए हैं। कृपा करके हमें बताइए।

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इस प्रश्न पर मुनि कहने लगे कि हे राजन! आज संतान देने वाली पुत्रदा एकादशी है, हम लोग विश्वदेव हैं और इस सरोवर में स्नान करने के लिए आए हैं। यह सुनकर राजा कहने लगा कि महाराज मेरे भी कोई संतान नहीं है, यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो एक पुत्र का वरदान दीजिए। मुनि बोले- हे राजन! आज पुत्रदा एकादशी है। आप अवश्य ही इसका व्रत करें, भगवान की कृपा से अवश्य ही आपके घर में पुत्र होगा।

मुनि के वचनों को सुनकर राजा ने उसी दिन एकादशी का ‍व्रत किया और द्वादशी को उसका पारण किया। इसके पश्चात मुनियों को प्रणाम करके महल में वापस आ गया। कुछ समय बीतने के बाद रानी ने गर्भ धारण किया और नौ महीने के पश्चात उनके एक पुत्र हुआ। वह राजकुमार अत्यंत शूरवीर, यशस्वी और प्रजापालक हुआ।

पुत्रदा एकादशी 2025 पूजा सामग्री लिस्ट

  • भगवान विष्णु-मां लक्ष्मी की प्रतिमा
  • पीला कपड़ा
  • आम के पत्ते
  • कुमकुम
  • धूप
  • दीप
  • फल
  • फूल
  • मिठाई
  • अक्षत
  • पंचमेवा

हवन के लिए

  • गोबर के कंडे
  • पांच प्रकार की लकड़ी
  • घी
  • हवन कुंड
  • तिल जवा पूजा सामग्री

पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि

  • अगर आप भी पौष माह में पुत्रदा एकादशी का व्रत करने वाले हैं तो आपको इस पूजा के नियम पता होने चाहिए।
  • इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके पीले वस्त्र पहनें।
  • घर के मंदिर की सफाई करें।
  • मंदिर में गंगाजल छिड़क कर उसे शुद्ध करें।
  • इसके बाद आटे का चौक बना कर उस पर लकड़ी की चौकी रखें।
  • इस पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर श्रीहरी की मूर्ति स्थापित करें।
  • इसके बाद घी का दीपक बनाकर उसे जलाएं।
  • इसके बाद श्रीहरी को हल्दी, कुमकुम से तिलक करें।
  • इसके बाद विधि विधान से पूरी पूजा करके भगवान विष्णु की कथा सुनें।
  • भगवान विष्णु की विधिपूर्वक आरती करके विष्णु चालीसा का पाठ करें।
  • अब भगवान विष्णु को तुलसी दल के साथ पंचमेवा, फल, मिठाई और खीर का भोग जरूर अर्पित करें।
  • आखिर में भगवान को पीली चीजों का भोग लगाएं।

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