Patrakar Mukesh Chandrakar murder: बस्तर संभाग के बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकार की हत्या ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है। मुकेश का शव उनके चचेरे भाई ठेकेदार सुरेश चंद्राकार के फार्म हाउस के सेप्टिक टैंक से बरामद हुआ। इस हत्याकांड के पीछे जिस शख्स का नाम सामने आया है, उसने एसपीओ से लेकर बड़े कारोबारी बनने का सफर पूरा किया है।
एसपीओ की नौकरी करता था आरोपी
सुरेश चंद्राकार, जो बस्तर के बड़े ठेकेदारों में से एक है, महाराष्ट्र के दलित समुदाय से ताल्लुक रखता है। शुरुआत में वह एक साधारण व्यक्ति था और जीवन यापन के लिए एसपीओ (स्पेशल पुलिस अधिकारी) की नौकरी करता था।
2005 में नक्सलियों के बढ़ते प्रभाव के कारण बस्तर में स्थानीय युवाओं को एसपीओ बनाया गया था। इन युवाओं को नक्सलियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए 10,000 रुपये मानदेय दिया जाता था। सुरेश ने इस दौरान एक मजबूत नेटवर्क बनाया और बाद में ठेकेदारी में हाथ आजमाया।
बस्तर में करोड़ों के सड़क निर्माण के मिल गए ठेके
चंद सालों में सुरेश ने बस्तर में करोड़ों के सड़क निर्माण के ठेके हासिल कर लिए। उसने अपनी इस शोहरत का खूब दिखावा किया। उसने शादी के बाद अपनी पत्नी को हेलिकॉप्टर से लाया। मीडिया में इस घटना को लेकर सुर्खियां बनीं।
मुकेश चंद्राकार और सुरेश के बीच विवाद तब उत्पन्न हुआ जब मुकेश ने सड़क निर्माण के एक मामले में भ्रष्टाचार का खुलासा किया। खबर के अनुसार, बिना काम किए ही सुरेश को पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने पेमेंट कर दिया था। इस विवाद के बाद दोनों में दरार आ गई, और मुकेश ने इस मामले को एक न्यूज चैनल में उजागर कर दिया।
यह माना जा रहा है कि पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या का मुख्य कारण उनके द्वारा उजागर किया गया भ्रष्टाचार था। जानकारों के अनुसार, पिछले पांच सालों में बस्तर में निर्माण कार्यों में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है, और अब धीरे-धीरे इसके काले कारनामे सामने आ रहे हैं।
बस्तर में ठेकेदारों को कई तरह की मिलती है सुविधाएं
नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में हर साल करोड़ों रुपये का बजट खर्च किया जाता है। यहां के निर्माण कार्यों में अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक टेंडर होते हैं, और ठेकेदारों को कई तरह की सुविधाएं और राहतें मिलती हैं। इसी कारण, कई बार आधे-अधूरे कार्यों के बावजूद ठेकेदारों को पूरा भुगतान किया जाता है। यहां तक कि कुछ मामलों में काम हुआ ही नहीं, फिर भी पूरे पैसे दे दिए जाते हैं।
सूत्रों के अनुसार, इस भ्रष्टाचार का कुछ हिस्सा नक्सलियों तक भी पहुंचता है। मुकेश चंद्राकर ने जिस मामले का खुलासा किया, उसमें भी यही तरीका अपनाया गया था। बीजापुर के गंगालूर से नेलशनार तक सड़क निर्माण का ठेका दिया गया था।
बारिश में पूरी तरह उखड़ गई थी सड़क
इसके लिए लोक निर्माण विभाग ने ठेकेदार के साथ 16 अनुबंध किए थे, जिनकी कुल लागत 56 करोड़ रुपये थी। लेकिन सड़क की गुणवत्ता बहुत खराब थी। फिर भी, ठेकेदार ने अफसरों के साथ मिलकर निर्माण लागत बढ़ाकर 112 करोड़ रुपये करवा लिए।
यह सड़क कथित तौर पर मई-जून 2024 में तैयार होनी थी, लेकिन जुलाई में हुई बारिश में यह पूरी तरह उखड़ गई। तब तक राज्य में सत्ता बदल चुकी थी। जब पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने इस भ्रष्टाचार को उजागर किया, तो सरकार ने मामले की जांच शुरू कर दी। आरोप है कि इससे ठेकेदार नाराज हो गया और उसने मुकेश चंद्राकर की हत्या करवा दी।
सुरेश के फार्म हाउस में हुई मुकेश की हत्या
सुरेश चंद्राकार ने सिर्फ 14 सालों में बस्तर का एक बड़ा कारोबारी बनने के बाद अपने चचेरे भाई मुकेश चंद्राकार की हत्या करवाई, हालांकि यह अभी एक आरोप है। मुकेश की हत्या उनके फार्म हाउस में हुई है और मुख्य आरोपी ने सुरेश का नाम भी लिया है।
पुलिस ने तीन संदेहियों को पकड़ा
बता दें कि पत्रकार मुकेश चंद्रकार की हत्या के मामले में पुलिस ने तीन संदेहियों को पकड़ा है. इनमें रितेश चन्द्रकार को रायपुर एयरपोर्ट से पकड़ा गया, वहीं अन्य संदेही सुपरवाइजर महेन्द्र रामटेके और दिनेश चन्द्राकर को बीजापुर से पकड़ा गया है. वहीं घटना के मुख्य आरोपी ठेकेदार सुरेश चन्द्राकर को पकड़ने के लिए पुलिस अलग-अलग टीम का गठन कर घेराबंदी करने में जुटी है.
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