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Odisha News: पटनायक सरकार की अनदेखी, राज्य में बढ़ रहा बंधुआ मजदूरी का गोरखधंधा

बागबाहरा पुलिस चौकी में 14 मजदूरों का एक समूह इस वक्त बैठा है, चेहरे पर चिंता की लकीरें नजर आ रही हैं। पैसे कमाने निकले ये लोग इस बात से

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Agnesh Parashar
Odisha News: पटनायक सरकार की अनदेखी, राज्य में बढ़ रहा बंधुआ मजदूरी का गोरखधंधा

महासमुंद। आज बागबाहरा पुलिस चौकी में 14 मजदूरों का एक समूह को रोका है। मजदूरों का ये समूह इस बात से बिल्कुल बेखबर था कि उसे उत्तरप्रदेश काम के लिए नहीं बल्कि बंधुआ मजदूरी करवाने के लिए ले जाया रहा है। जब इन लोगों को पुलिस ने पूरी दास्तान सुनाई तो,  मजदूर अचरज में पड़ गए। इस समूह में कुछ ऐसी लड़कियां भी मौजूद थी जो पहली मर्तबा घर से बाहर काम करने के निकली थी।

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काम के नाम पर बंधुआ मजदूरी

ओडिशा राज्य खनिज पदार्थों की उलब्धता सहित भगवान जगन्ननाथ के मंदिर के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। लेकिन इसी राज्य की एक और हकीकत है, जो यहां के रहवासियों की कहानी बयां करती है। ओडिशा से लोग बड़ी संख्या में रोजी-रोटी के लिए पलायान करते हैं,

अगर ये पलायान स्वेच्छा से किया जाए तो निश्चित ही इसमें कोई हैरत नहीं होनी चाहिए। लेकिन अब हर महीने  इस तरह की खबरे आम हो गई हैं जिनमें बंधुआ मजदूरी की तस्करी करने वाले को पकड़ा जाता है। दशकों से सिलसिला यूं ही चल रहा है, राज्य की पटनायक सरकार का भी इस ओर कोई ध्यान नहीं है।

सरकार की अनदेखी का परिणाम यहां के ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है, जो ठेकेदारों की बातों में आकर ओडिशा से बाहर तो चले जाते हैं, लेकिन फिर ये मजदूर जब वापस अपने राज्य लौटना चाहते हैं तो इन्हें आने नहीं दिया जाता है, कई मजदूर तो सालों के लिए  बुंधआ मजदूरी के दलदल में फस जाते हैं।

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दो लोगों पर एफआईआर दर्ज

आज फिर से 14 मजदूरों के एक समूह को पुलिस ने रोका जो कि यूपी में काम के सिलसिले में जा रहा था। पूरा घटनाक्रम महासुमंद जिले के बागबाहरा पुलिस थाने का है, जहां पुलिस की सक्रियता के चलते मजदूरों को लेने जाने वाले दलालों का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने उड़ीसा के लेबर दलाल सूरज गोस्वामी और संतोष देवागन पर मजदूरों को बंधुआ मजदूरी कराने के आरोप में धारा 370 के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

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एसडीओपी ने दी जानकारी

चुनाव बीतने के बाद ग्रामीणों की तस्करी करने वाले दलाल एक बार फिर से सक्रिय हो गए हैं। ये लोगों को लालच देकर दूसरे राज्यों में मजदूरी करने भेजते हैं। बागबाहरा थानें में एसडीओपी के पद पर पदस्थ युलैंडन यार्क हमें पूरे मामले की जानकारी दी है उन्होंने बताया कि रोके गए सभी 14 मजदूरों को ठेकेदार द्वारा अवैध तरीके से उत्तर प्रदेश लेकर जा रहा था, जहां पर इन मजदूरों को ईंट बनाने के काम में लगवाने की बता ठेकेदार ने बात कही थी।

मजदूरों में दो नाबालिग भी शामिल

पुलिस अधिकारी ने आगे हमे बताया कि 14 मजदूरों के समूह में दो नाबालिग भी शामिल हैं। जिसमें एक का नाम खगेश्वरी मांझी है और दूसरे का नाम जयकुमार है। हमने इन दोनों ही नाबालिगों से बता की इनकी उम्र 14 से 15 साल की बीच बताई जा रही है, नाबालिगों लड़कों ने हमें बताया कि उनको ठेकेदार ने यूपी जाने के एवज में कुछ एंडवास पैसे दिए थे।

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काम के एवज में दी एडवांस राशि

दोनों ही नाबालिगों को काम के सिलसिले में उनसे सूरज गोस्वामी और संतोष देवांगन नामक दो व्यक्तियों ने बात की थी और कहा था कि उन्हें यूपी के किसी ईंट भट्टे में काम करना होगा। दोनों नाबालिगों ने एडवांस राशि लेकर काम के लिए हामी भर दी थी।

समूह में शामिल महिला ने कही ये बात

14 मजदूरों में इस समूह में एक  महिला भी शामिल थी, जो अब पुसिल थाने के बाहर अपने साथियों के साथ बैंठी हैं चेहरे पर उदासी है, और मन में पैसे कमाने को लेकर विकल्पहीनता,मायूसी में खोई हुई, वे हमें बताती हैं कि मैं इस बात से बिल्कुल अंजान थी कि हमें बंधुआ मजदूरी कराने ले जाया जा रहा है।

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वे आगे कहती हैं, ठेकदार ने उन्हें काम के लिए एडवांस दिया था। हमारे ये पूछने पर कि कितना पैसा मिला था। वे कहती हैं कुछ दिनों पहले ठेकेदार ने सभी मजदूरों को बुलाया था और वहीं पर हम सभी एडवांस दिया गया था। जिसमें मुझे 20 हजार रुपए दिए गए थे। उन्होंने कहा कि हमसे भी ठेकेदार ने  ईंट भट्टे में काम करने की बात कही थी।

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लबें समय चल रहा ये सिलसिला

राज्य की बड़ी आबादी का एक  हिस्सा सिर्फ रोजगार के लिए सालों से पलायन करता आ है। रोजगार दिलाने के नाम पर अब ओडिशा में कई ऐसे ठेकेदार बन गए हैं , जो मजदूरों को  वेबकूफ बनाकर बंधुआ मजदूरी की खाई में ढकेल देते हैं, जहां पर मजदूरों को न तो समय पर पैसा मिलता और न ही समय पर खाना मिलता, यहां मिलता सिर्फ  कई घंटों लगातार काम और ठेकेदारों दुर्व्यहार।

साल 2011 में सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना के आकड़ों में ये बात सामने आई थी कि ओडिशा में 8,304 बंधुआ मजदूरों को बचाया गया था। इसमें बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग शामिल थे। हालांकि इसके बाद ये नहीं बताया गया कि इन मजदूरों का क्या हुआ क्या इन्हें कोई रोजगार उपलब्ध कराया गया है। या नहीं संबंध में राज्य सरकार की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई।

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