Patanjali Misleading Advertisement Case: पतंजलि भ्रामक विज्ञापन (Patanjali Misleading Ads) मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। इस मामले में योग गुरु रामदेव ट्रस्ट की ओर से कहा गया कि हमने 67 अखबारों में माफीनामा (apology letter) छपवाया है।
माफीनामा प्रकाशन में हमने 10 लाख से ज्यादा रुपये खर्च किए हैं। इस पर कोर्ट ने सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आपने किस साइज का माफीनामा प्रकाशित करवाया था? उसे देखने के लिए microscope की जरूरत तो नहीं पड़ेगी?
क्या विज्ञापन के बराबर है माफीनामा? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा
पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि सार्वजनिक माफीनामा छपवाने में 10 लाख रुपये का खर्च आया है। जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पूछा कि एक हफ्ते बाद सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से ठीक पहले माफीनामा क्यों जारी किया गया।
जस्टिस कोहनी ने पूछा, “क्या माफीनामे का साइज उतना ही बड़ा है, जितना आपका विज्ञापन था?”
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अन्य FMCG भी भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित कर रहे हैं और जनता को धोखा दे रहे हैं। जस्टिस कोहली ने कहा, “विज्ञापन खासतौर पर शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है, जो उत्पादों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ”
अदालत ने आगे कहा कि Drugs and Magic Remedies Act के दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जांच करने के लिए मामले में consumer affairs के मंत्रालय को शामिल करना जरूरी है।
पतंजलि ने कहा- भविष्य में कभी ऐसी गलती नहीं दोहराएंगे
पतंजलि आयुर्वेद ने सोमवार (22 अप्रैल) को कुछ न्यूज पेपर्स में माफीनामा प्रकाशित किया है। इसमें कहा कि पतंजलि आयुर्वेद सुप्रीम कोर्ट का पूरा सम्मान करता है।
सुप्रीम कोर्ट में हमारे वकीलों ने हलफनामा (Affidavit) पेश किया, उसके बाद हमने विज्ञापन प्रकाशित किया और press conference की। हम इसके लिए माफी मांगते हैं। भविष्य में कभी ऐसी गलती नहीं दोहराएंगे।