नई दिल्ली। आज पूरे देश में (Akshaya Tritiya) अक्षय तृतीया के साथ—साथ परशुराम Parshuram Jayanti 2022 जयंती मनाई जा रही है। पर क्या आप जानते हैं भगवान परशुराम जी को पहले राम जी का नाम दिया गया था। इसके पीछे Parshuram Jayanti 2022 क्या पौराणिक कथाएं हैं। चलिए जानते हैं कैसे। क्या आप जानते हैं कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानि इस दिन भगवान विष्णु ने अपना 6वां अवतार लिया था। जब वे आवेशावतार भगवान परशुराम के रूप में जाने गए थे।
यही कारण है कि इस दिन को परशुराम जयंती (Parshuram Jayanti) के रूप में मनाई जाती है। आपको बता दें इस साल अक्षय तृतीया 03 मई दिन मंगलवार को आ रही है। ज्योतिषाचार्य पंडित सनत कुमार खंपरिया के अनुसार जानते हैं कि भगवान परशुराम की कुछ खास बातें, जिन्हें जानना जरूरी है।
भगवान परशुराम से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
1 — भगवान विष्णु ने वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि को प्रदोष काल में ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के घर चौथी संतान के रुप में जन्म लिए थे।
2 — आपको बता दें परशुराम जी भगवान शिव के परम भक्त थे। उन्होंने अपनी कठोर तपस्या से भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न कर उन्होंने वरदान स्वरुप उनको अपना एक अस्त्र परशु यानी फरसा दिया था।
3 — विष्णु पुराण के अनुसार, परशुराम जी का मूल नाम राम रखा गया था। लेकिन परशु धारण करने के कारण उनका नाम बदल कर परशुराम हो गया।
4 — पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने परशुराम जी को त्रेता युग में रामावतार होने पर वे पृथ्वी पर वास करने का वरदान दिया था। वे तपस्या में लीन रहेंगे। इसलिए माना जाता है कि वे आज भी जीवित हैं।
5 — ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने उनको सुदर्शन चक्र दिया था। ताकि यही सुदर्शन चक्र वे द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण को दे सकें। फिर द्वापर युग में परशुराम जी ने श्रीकृष्ण को उनके गुरुकुल में चक्र सौप दिया।
6 — भगवान परशुराम शस्त्र विद्या में बहुत ही पारंगत थे। इतना ही नहीं उन्होंने भीष्म, द्रोष और कर्ण को तक शस्त्र विद्या दी थी। ऐसा भी कहा जाता है कि कलयुग में जब भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा, तो भगवान परशुराम उनको शस्त्र विद्या का ज्ञान देंगे।
7 — पौराणिक कथाओं के अनुसार, क्षत्रियों के दंभ को तोड़ने के लिए भगवान परशुराम ने 21 बार उनका संहार किया।
8 — इस पौराणिक कथा से सभी परिचित हैं जब एक बार परशुराम जी भगवान शिव से मिलने कैलाश पर्वत पर पहुंचे, तो गणेश जी ने उनको रोक लिया। वे उनको मिलने नहीं दे रहे थे। तब उन्होंने क्रोधित होकर गणेश जी पर परशु से वार कर दिया। जिससे गणेश जी का एक दांत टूट गया था। इसी कारण भगवान श्री गणेश एक दंत कहलाए थे।