MSP Legal Status: कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाने की सिफारिश संसद की एक स्थायी समिति ने की है। समिति का मानना है कि यह कदम किसानों की वित्तीय स्थिति सुधारने के साथ-साथ उनकी आत्महत्या के मामलों में कमी लाने में मददगार साबित होगा।
कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) की अध्यक्षता वाली कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर संसद की स्थायी समिति ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट संसद को सौंपी। रिपोर्ट में कहा गया, ‘कृषि और किसान कल्याण विभाग को जल्द से जल्द एमएसपी को कानूनी रूप से गारंटीशुदा रूप में लागू करने की रूपरेखा तैयार करनी चाहिए।’
वर्तमान में कैसे तय होता है MSP?
वर्तमान में, सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर 23 फसलों के लिए MSP तय करती है। हालांकि, यह कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है। समिति (Parliament Committee on MSP) का तर्क है कि कानूनी गारंटीशुदा एमएसपी न केवल किसानों की आजीविका की रक्षा करेगा, बल्कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगा।
प्रमुख सिफारिशें
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- मजबूत एमएसपी प्रणाली: किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए कानूनी एमएसपी लागू करना।
- फसल अवशेष प्रबंधन: किसानों को फसल अवशेष के प्रबंधन के लिए मुआवजा प्रदान करना।
- राष्ट्रीय आयोग का गठन: खेत मजदूरों के लिए न्यूनतम जीवनयापन मजदूरी सुनिश्चित करने हेतु आयोग बनाना।
- ऋण माफी योजना: किसानों और खेत मजदूरों के लिए व्यापक ऋण माफी योजना शुरू करना।
- नाम परिवर्तन: कृषि विभाग का नाम बदलकर उसमें खेत मजदूरों को भी शामिल करना।
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कानूनी एमएसपी से संभावित लाभ
समिति ने सुझाव दिया कि कानूनी एमएसपी (MSP Legal Status) किसानों को कृषि में अधिक निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जिससे उत्पादकता और स्थिरता में सुधार होगा। इसके अलावा, सरकार को हर फसल मौसम के बाद संसद में रिपोर्ट पेश करनी चाहिए, जिसमें एमएसपी पर उपज बेचने वाले किसानों की संख्या और बाजार मूल्य के साथ एमएसपी का अंतर स्पष्ट हो।
2021 किसान आंदोलन का संदर्भ
यह उल्लेखनीय है कि एमएसपी (MSP Legal Status) की कानूनी गारंटी वर्ष 2021 में आंदोलन करने वाले किसानों की मुख्य मांगों में से एक थी। उस समय सरकार को तीन कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर विचार करने के लिए एक समिति बनाने पर सहमति देनी पड़ी थी।
पंजाब में किसानों का प्रदर्शन जारी
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर कमेटी (Parliament Committee on MSP) ने संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा को 18 दिसंबर को बैठक के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन इन संगठनों ने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया। इसके विरोध में, किसानों ने पंजाब में बुधवार को दोपहर 12 से 3 बजे तक ट्रेनों को रोकने का ऐलान किया है।
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विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि कानूनी एमएसपी किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करेगा। इससे छोटे और सीमांत किसानों को फसल की उचित कीमत सुनिश्चित होगी, जो बाजार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होते हैं।
सरकार के सामने चुनौती
हालांकि, एमएसपी (MSP Legal Status) को कानूनी रूप देने से जुड़े वित्तीय और प्रशासनिक पहलुओं को लेकर सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इसे लागू किया जाता है, तो यह कदम भारतीय कृषि प्रणाली में एक ऐतिहासिक परिवर्तन ला सकता है।
समिति की रिपोर्ट में कृषि सुधार के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं, जो किसानों के हितों की रक्षा करने के साथ ही कृषि क्षेत्र को सशक्त बना सकते हैं। अब यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह इन सिफारिशों पर कितना अमल करती है।