हाइलाइट्स
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सीएम मोहन यादव ने प्रवास के दौरान की थी घोषणा
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चित्रकूट नगर परिषद ने घोषणा के पालन में दिए निर्देश
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चित्रकूट में अब वाहनों ने नहीं वसूला जाएगा पार्किंग शुल्क
MP News: पवित्र नगरी चित्रकूट में श्रद्धालुओं से लम्बे समय से पार्किंग के नाम पर अवैध वसूली की जा रही थी। जिसकी शिकायतें सरकार तक पहुंचीं तो रिएक्शन हुआ और सीएम मोहन यादव के निर्देश पर चित्रकूट नगर परिषद ने गुरुवार को पार्किंग वसूली बंद करने निर्देश जारी कर दिए हैं।
चित्रकूट नगर परिषद के मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने गुरुवार, 1 अगस्त 2024 को परिषद के पार्किंग प्रभारी रामऔतार केवट को निर्देश जारी किए हैं।
जिसमें सभी तरह की पार्किंग शुल्क की वसूली बंद करने के लिए कहा गया है। पार्किंग प्रभारी को लिखे लेटर में सीएम की घोषणा का भी जिक्र किया गया है।
लेटर में कहा गया कि जिन स्थलों में पार्किंग शुल्क की वसूली ठेकेदार के द्वारा की जा रही है, उन्हें पार्किंग शुल्क की वसूली बंद करने के निर्देश दें।
साथ ही यह भी कहा गया कि जिन स्थानों पर निकाय कर्मचारियों द्वारा पार्किंग शुल्क वसूला जा रहा है, वहां भी तत्काल पार्किंग शुल्क की वूसली बंद की जाए।
मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने यह भी कहा कि पार्किंग स्थल पर निशुल्क पार्किंग और वाहन ठीक से खड़े करने की सूचना वोट लगाए (MP News) जाएं।
चार पहिया वाहनों ने 20 की जगह वसूले जा रहे थे 200 रु.
जानकारी के मुताबिक दूर-दराज से दर्शनार्थियों को लेकर चित्रकूट आने वाले वाहन चालकों से यहां कुछ लोग नगर परिषद का ठेका होने का दावा करते हुए पांच गुना तक पार्किंग शुल्क वसूल रहे थे।
बताया गया यहां चार पहिया वाहन के लिए 20 रुपए शुल्क निर्धारित की गई थी, जबकि बाहर से आने वाले वाहन चालकों से 100 से 200 रुपए तक वसूले जा रहे थे।
शिकायत करने पर कोई कार्रवाई भी नहीं हे रही थी, जिसे लेकर लगातार नगर परिषद के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए जा (MP News) रहे थे।
फर्जी रसीदें दी जा रही थीं वाहन चालकों को
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के कोशांबी से दर्शनार्थियों को लेकर आए वाहन चालक ओमप्रकाश पांडेय ने बताया कि गुप्त गोदावरीमें मुझसे 100 रुपए बतौर पार्किंग शुल्क वसूली गई थी।
इसके बाद सती अनुसुइया गया तो वहां भी पार्किंग शुल्क के नाम पर 100 रुपए मांगने लगे, लेकिन उनके द्वारा दी गई रसीद में ना तो बुक क्रमांक अंकित है
और ना ही ठेकेदार का नाम लिखा था। नगर परिषद चित्रकूट की सील लगाकर फर्जी रसीदें वाहन चालकों को दी जा रही (MP News) थीं।
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ठेकेदार और अफसरों की चल रही थी मिलीभगत!
बताते हैं कि धर्मनगरी में श्रद्धालुओं से बेजा वूसली की कोई नई घटना नहीं थी। यहां हर रोज इसी तरह से चपत लगाई जाती थी,
लेकिन हैरानी की बात ये है कि जिम्मेदार अधिकारी मामले से अनजान बन जाते थे। शिकायत करने पर उनके द्वारा कभी कार्रवाई भी नहीं की जाती थी।
जिसे लेकर इस पूरे खेल में ठेकेदार और स्थानीय अफसरों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही (MP News) थी।
इतना ही नहीं स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से मामले की जांच करने और दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग तक की थी।