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हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा बड़ा होकर उनका सम्मान करे, उनका ख्याल रखे और जीवन में अच्छा इंसान बने। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बच्चे ऐसा क्यों नहीं करते? क्यों कई बार वो बड़े होने पर बात करना तक पसंद नहीं करते? इसका कारण सिर्फ समय नहीं, बल्कि परवरिश से जुड़ी कुछ सामान्य लेकिन गंभीर गलतियां हो सकती हैं।
बच्चों के मन में बड़ों के प्रति सम्मान बना रहे, इसके लिए जरूरी है कि आप खुद एक उदाहरण पेश करें। आइए जानते हैं उन आदतों के बारे में, जिन्हें बदलना हर माता-पिता के लिए जरूरी है:
1. गुस्से और चिड़चिड़ेपन से बचें
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बच्चों के सामने बार-बार गुस्सा न करें[/caption]
बच्चों के सामने बार-बार गुस्सा करना या उन्हें डांटना उन्हें भी चिड़चिड़ा और गुस्सैल बना देता है। अगर आप चाहते हैं कि वे आपकी बातों को समझें और आदर करें, तो प्यार और धैर्य से पेश आएं। शांत रहकर समझाने से बच्चे ज़्यादा असर में आते हैं।
2. बच्चों को समय दें और उनकी बातें ध्यान से सुनें
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बच्चों को समय दें और उनकी बातें ध्यान से सुनें[/caption]
जब बच्चे अपनी छोटी-छोटी बातों को भी आपके साथ साझा कर पाते हैं, तो उनमें आत्मविश्वास बढ़ता है। उन्हें यह एहसास होता है कि वे आपके लिए मायने रखते हैं। उन्हें सुनना और समझना उनके साथ आपके रिश्ते को मजबूत बनाता है।
3. उनके फैसलों का सम्मान करें
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हर बात में बच्चों पर अपनी इच्छाएं थोपना उन्हें भीतर से तोड़ सकता है। जब आप उन्हें अपनी पसंद-नापसंद, करियर या हॉबीज़ पर फैसला लेने देते हैं, तो वे आत्मनिर्भर बनते हैं और आपको एक गाइड की तरह देखते हैं, न कि दबाव देने वाले अभिभावक की तरह।
4. सकारात्मक अनुशासन अपनाएं
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गलतियों पर डांट या सजा देने की बजाय बच्चों को समझाएं[/caption]
गलतियों पर डांट या सजा देने की बजाय उन्हें यह समझाएं कि सही क्या है और क्यों। प्यार और समझदारी से सिखाई गई सीखें बच्चों के दिल में घर कर जाती हैं और आपके रिश्ते को भी मधुर बनाती हैं।
5. खुद बनें आदर्श
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बच्चे वही सीखते हैं जो वे घर में देख रहे होते हैं। अगर आप दूसरों से सम्मान से बात करते हैं, ईमानदार और मेहनती हैं, तो बच्चे भी यही गुण अपनाएंगे। याद रखें, बच्चे किताबों से कम और अपने माता-पिता से ज़्यादा सीखते हैं।
बच्चे कब बड़ों की इज्जत करना छोड़ देते हैं?
जब घर में लगातार गुस्सा, चिल्लाना या अपमानजनक भाषा का माहौल होता है, तो बच्चे इसे सामान्य समझने लगते हैं और दूसरों का आदर करना छोड़ देते हैं।
जब बच्चे अपनी बात साझा नहीं कर पाते या उन्हें बार-बार अनसुना किया जाता है, तो उनके मन में यह बैठ जाता है कि उनकी बातों का कोई महत्व नहीं।
जब माता-पिता हर बात पर अपनी इच्छाएं थोपते हैं और बच्चों की राय नहीं पूछते, तो बच्चे धीरे-धीरे भावनात्मक दूरी बना लेते हैं।
अगर माता-पिता खुद दूसरों का सम्मान नहीं करते, तो बच्चे भी उसी व्यवहार को अपनाते हैं।
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