हाइलाइट्स
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बंसल न्यूज का पंख अवॉर्ड 2025
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खेल प्रतिभाओं को सम्मान
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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीएम मोहन यादव
Pankh Award 2025: बंसल न्यूज ने लगातार तीसरे साल होनहार खिलाड़ियों को पंख अवॉर्ड दिए। पंख अवॉर्ड समारोह के मुख्य अतिथि सीएम मोहन यादव रहे। कार्यक्रम में राज्य मंत्री कृष्णा गौर, बंसल ग्रुप के MD सुनील बंसल, बंसल न्यूज के डायरेक्टर पार्थ बंसल, बंसल न्यूज हेड शरद द्विवेदी, बंसल न्यूज के बिजनेस हेड आशीष महेंद्रु और बंसल न्यूज डिजिटल के एडिटर सुनील शुक्ला भी मौजूद रहे। बंसल न्यूज ने पूरे मध्यप्रदेश के 42 प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को पंख खेल उपलब्धि पुरस्कार से नवाजा।
सीएम मोहन यादव ने की पंख अवॉर्ड की तारीफ
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पंख अवॉर्ड के लिए बंसल न्यूज को शुभकामनाएं दीं। सीएम मोहन ने कहा कि आपने प्रदेश भर के ऐसे बच्चों को जुटाकर उन्हें एक जीवन देने का प्रयास किया। उसके लिए आपका वंदन-अभिनंदन, शुभकामनाएं। ये धनराशि का सवाल नहीं है। 42 बच्चों को 51-51 हजार की राशि, ये हमारे समाज की जीवंतता का प्रमाण है।
‘ये समाज की चेतना’
बच्चा भले अपने घर में कठिनाई में खेल रहा होगा। उसको परेशानी हो रही होगी। हमारी थोड़ी मदद से उसे और कोई अवसर मिल सकता है तो ये समाज की चेतना है। यही तो जीवन है। इसी बात को सबके बीच में ले जाना चाहिए।
बंसल न्यूज हेड शरद द्विवेदी के सीएम मोहन से सवाल
सवाल – गीता का आपके दर्शन में स्थान है, वो निर्भयता सिखाती है। आपके प्रशंसक और आलोचक दोनों कहते हैं कि डॉ. मोहन यादव निर्भय हैं, वे डरते नहीं हैं। जो फैसला करना है करेंगे, क्या ये सत्य है ?
सीएम मोहन यादव – जन्म के बाद इंसान का कितनी बार जन्म होता है। जन्म के बाद किसी का जन्म होता है क्या। जन्म के बाद क्या होता है। जन्म के बाद मृत्यु होती है। ऐसा कोई है क्या जिसे मृत्यु नहीं आती। जब आती है तो क्या डरना। हम सभी जी नहीं रहे। हम सभी मृत्यु की ओर दौड़ रहे हैं। कौन कब तक दौड़ेगा, ये परमात्मा के हाथ में है। सभी का समय सीमित है।
जन्म और मृत्यु के बीच का सीमित समय जीवन है। सभी अपने एक निश्चित लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं। ये काल का समय है अर्थात महाकाल का समय है। ना कोई घटा सकता है, ना बढ़ा सकता है। क्या डरना और क्या ना डरना, बात बराबर है। हमारे लिए परमात्मा की कृपा है। उसका आनंद लेते रहें। परमात्मा ने हमें कोई मौका दिया है, उसका आनंद लेते रहें। जो अच्छा हो सकता है उसे जरूर करें।
सवाल – आप परंपरा और लकीर पर चलने वाले राजनेता नहीं नजर आए हैं। एक साल के कार्य के मूल्यांकन में हर काम में आपकी छाप और आपका इंपैक्ट दिखा है। इसका मूल तत्व क्या है ?
सीएम मोहन यादव – मूल तत्व पर जाना पड़ेगा तो हमें दिल्ली की तरफ देखना पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ देखना पड़ेगा। आप कल्पना करिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीवन में पहला चुनाव लड़ते हैं और इतने बड़े धनी राज्य के मुख्यमंत्री बन जाते हैं। दूसरा चुनाव लड़ते हैं फिर मुख्यमंत्री, तीसरा चुनाव लड़ते हैं फिर मुख्यमंत्री। मुख्यमंत्री बनने के साथ ही उनके जीवन में कितने कष्ट आए। गोधरा जैसा बिना बात का कलंक उनके सिर पर आया। कहीं से उनका संबंध नहीं था। झूठी बातें फैलाई गईं। मोदी जी ने अपने शासन से सुशासन बना दिया। आज तक वहां कांग्रेस हारती गई। दिल्ली आने के बाद उनके एक-एक फैसले देख लें।
आप कभी कल्पना कर सकते हैं कि कोविड के काल में प्रधानमंत्री आकर सबके बीच में कहे कि लॉकडाउन। मैं भी अपने आप में हिल गया। अगर लॉकडाउन कराना भी था तो अधिकारी को खड़ा कर देते। खुद पर तो नहीं आती। लेकिन प्रधानमंत्री होने के बाद भी लॉकडाउन की घोषणा करके देश को महफूज करते हैं। एक तरफ दवाई बनाने को प्रोत्साहन देते हैं, दूसरी तरफ इलाज की सुविधा बढ़ाने का प्रयास करते हैं।
नोटबंदी का फैसला देखिए। खुद मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई थी। आप दृश्य की कल्पना कीजिए कि पूरे देश के लिए एक साथ इतनी बड़ी चुनौती का कोई सामना करे। सर्जिकल स्ट्राइक, पाकिस्तान की तरफ देखने को लोग तैयार नहीं हैं। ये उसकी सीमा में जाकर मारकर हमारे लोग आ जाएं। ये जो कॉन्फिडेंस लाए हैं। धारा-370। एक तरफ इतने प्रचंड बहुमत से कोई प्रधानमंत्री बनकर आते हैं। वे एक-एक फैसले से अपनी पूरी सरकार दांव पर लगा रहे हैं। किसी कारण से एक भी दांव उल्टा हो जाए तो आप कल्पना करो।
पीएम मोदी ने कहा कि कोई बात नहीं। राष्ट्र के हित के लिए है। GST लागू करना है तो GST लागू करिए। कई राज्य सरकारों का बहुमत भी नहीं था। था तो सिर्फ उनका आत्मविश्वास कि GST धन संग्रह से हमारी भारत सरकार का, पूरे देशों में भारत का मान-सम्मान बढ़ेगा। आर्थिक रूप से संपन्न होंगे। सभी प्रकार के संसाधन देने के लिए संपन्नता की जरूरत थी।
कभी हम उस समय सुनते थे कि पाकिस्तान अमेरिका की मदद से एफ-16 विमान ला रहा है। हमारे क्या हाल थे। चाइना बॉर्डर पर सड़क बना रहा है। बंकर बना रहा है। गांव बसा रहा है। हम सोचते थे कि हमारी सरकार से अपने शहर की सड़कें नहीं सुधर रहीं, ये वहां कहां से पैसे लगा देंगे, लाएंगे कहां से। ये आज कितना सफल हो रहा है। मोदी जी के फैसले हम सबके लिए प्रेरणादायी हैं। मेरी सरकार में नहीं, हम सबके जीवन में भी। हम अपने जीवन में अपने आपको कठोर रखकर जो हो सकता है, ऐसे सारे कामों में लगे रहो। परमात्मा यश देगा।
सवाल – आपका जो मध्यप्रदेश है जिसे आप देखते हैं, निश्चित तौर पर आर्थिक संपन्नता, रोजगार दर बढ़े और शिक्षा और स्वास्थ्य, मैं ये मानूं कि अब 5 साल डॉ. मोहन यादव का रोडमैप भागेगा तेजी से, निवेश लाने पर, नौकरियां लाने पर, हेल्थ और शिक्षा को मजबूत करने पर ?
सीएम मोहन यादव – मैं अपने ऊपर कभी नहीं लेता हूं। मैं, मैं करके कभी नहीं बोलता। हम करके बोलता हूं। हम करके इसलिए बोलता हूं कि मैं अगर घर से सोचकर चला कि मेरे को ऐसा बनना है और बना दिया ऐसा तो नहीं है। लोकतंत्र में करोड़ों लोगों ने वोट दिए हैं। करोड़ों लोगों ने वोट देकर अपनी सहभागिता दी है हमारे उस विकास के रोडमैप के प्रति। मैं उसका केवल प्रतिकृति हूं। असल में तो ये सब चाहते हैं कि ऐसा होना चाहिए। वो चाहते हैं तो मुझे करना ही पड़ेगा। इसलिए हर एक व्यक्ति जो वोट देता है वो सभी शामिल हैं। मैंने दिल्ली में भाषण में कहा था कि केजरीवाल जी अगर आप जीत की माला पहनते हैं। अपने आपको मुख्यमंत्री मानते हैं। अगर किसी कारण से कोर्ट ने आपको जेल में डाल दिया। आप कह रहे हैं कि मैं इस्तीफा नहीं दूंगा। मैं ये समझता हूं कि आप जेल में नहीं हो। जितनी जनता ने वोट दिया है वो सब जेल में हैं, क्योंकि उनकी भावनाओं के साथ अन्याय हुआ है। हमारी तैयारी होनी चाहिए कि हमारा जो होना है हो जाए, लेकिन जनता की भावनाओं के साथ कोई अन्याय नहीं होना चाहिए। इस बात पर रहना चाहिए।
बंसल न्यूज के एग्जीक्यूटिव एडिटर मनोज सैनी का सीएम मोहन यादव से सवाल
सवाल – 2003 में आपने बड़नगर से टिकट छोड़ा था, टिकट पाने के लिए बहुत कुछ होता है, लेकिन छोड़ने के लिए बहुत कम होते हैं। छोड़ने का मन उस समय कैसे आ गया था। क्या जो छोड़ा उसी वजह से आज ये सब है ?
सीएम मोहन यादव – आप बताइए ये बिजली का बल्ब जल रहा है, लेकिन उस स्विच की ताकत क्या है, इसे मालूम नहीं है क्या ? अगर वो स्विच ऑफ हो गया तो ये मर जाए तो भी नहीं जलेगा। इसकी अपनी क्षमता, योग्यता हो सकती है। लेकिन बिजली के करंट से प्रवाहमान होने की जहां की स्थिति बनेगी। उस स्थिति का भी इसको भान रहना चाहिए। ये अगर उससे अलग जाएगा तो बात नहीं जमेगी। मेरे राजनीतिक जीवन में आज की स्थिति में मेरा 43वां साल चल रहा है। मैं 1982 में साइंस कॉलेज में जॉइंट सेक्रेटरी लड़ा। 83-84 में यूनिवर्सिटी प्रेसिडेंट हुआ। 92 तक मैं नगर मंत्री बनकर अपनी राजनीतिक यात्रा विद्यार्थी परिषद में चालू करता हूं। मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के पूरे प्रांत का अकेला प्रदेश मंत्री रहता हूं। एक बार नहीं 2 बार, इसके बाद फिर 2 बार राष्ट्रीय मंत्री रहता हूं। मैं जगत प्रसाद नड्डा जी, धर्मेंद्र प्रधान जी के साथ विद्यार्थी परिषद में राष्ट्रीय स्तर पर रहा हूं। लेकिन 90 के बाद 92 तक राष्ट्रीय मंत्री बनने के बाद फिर एकदम छोटा-सा संघ का काम मिलता है उसे करता हूं। ना मुझे बड़े से बड़े पद पर पहुंचने का गुरूर है, ना छोटे पद पर मलाल है। कहीं भी बैठा दो काम तो करना है। ये भाव मैंने 90-92 में लिया। इसके बाद से 93 से लेकर 2003 तक युवा मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति का सदस्य बना। 2000 में भाजपा का जिले का महामंत्री बना। छोटे से छोटे काम में भी आनंद लेना। 2003 में टिकट मिल गई, कोई बात नहीं। मेरे वरिष्ठों ने कहा कि आपसे 20 साल बड़े हैं। इनकी इच्छा है। आप इनके लिए टिकट छोड़ दो तो मैंने कहा बिल्कुल छोड़ दूंगा। साध्वी उमा जी ने भयानक नाराजगी जताई। उनका जो प्रेम था, लेकिन उससे बड़ी वो उस समय की बड़ी लीडर थीं। उन्होंने कहा भाई कोई पार्षद, सरपंच का पद नहीं छोड़ता, तुम विधानसभा का टिकट ऐसे कैसे छोड़ सकते हो। मैंने दीदी से क्षमा मांगते हुए कहा कि दीदी मैं स्वयंसेवक हूं, इसलिए स्वयंसेवक को जो आज्ञा मिल जाए वो करना है। ये दिया तो करना है, नहीं तो नहीं करना। मैं बिजली का बल्ब हूं, बटन दबाएंगे तो चालू, बटन दबाएंगे तो बंद। इतना ही अपना काम है।
ये थोड़ा-सा बैलेंस, पार्टी भी सब देखती है। 2003 में टिकट छोड़ता हूं। 2004 जनवरी में सरकार बनते ही मुझे उज्जैन विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाते हैं। उसके बाद परमात्मा की दया से लगभग मैं 8 साल अध्यक्ष रहता हूं। फिर 4 साल टूरिज्म कॉर्पोरेशन का चेयरमैन बनता हूं। फिर विधायक बनता हूं, फिर शिक्षा मंत्री बनता हूं। बाकी की कहानी आपको मालूम है। पद से हमारे को मद नहीं चढ़े परमात्मा इतना ही दे दे बस बहुत है।