रिपोर्ट – शौर्य
Pankaj Tripathi MCU: आज मैं यहां कालीन भैया बनकर नहीं बल्कि मोटिवेशनल स्पीकर बनकर आया हूं। एक्टर पंकज त्रिपाठी ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स से कहा कि जब आप सभी लोग इस सभागार से बाहर निकलें तो इतना मोटिवेटेड होकर निकलें कि आप चलें नहीं बल्कि उड़ने लगें। मिर्जापुर के कालीन भैया यानी दिग्गज एक्टर पंकज त्रिपाठी भोपाल की MCU के प्रोग्राम द एक्पर्ट शो में पहुंचे थे। वहां उन्होंने स्टूडेंट्स को अपने फिल्मी सफर के बारे में बताया।
द एक्पर्ट शो में फेमस वॉइस ओवर आर्टिस्ट विजय विक्रम सिंह ने एक्टर पंकज त्रिपाठी से कई रोचक सवाल पूछे। दोनों दिग्गजों ने अपने अनुभव स्टूडेंट्स के साथ शेयर किए और उन्हें मोटिवेट किया।
‘टैलेंटेड लोगों पर जरूर लिखें’
पंकज त्रिपाठी ने पत्रकारिता के विद्यार्थियों से कहा कि जब वे इस क्षेत्र में कदम रखें तो टैलेंटेड लोगों पर जरूर लिखें और उनकी कहानियों को सामने लाएं। उन्होंने कहा कि टैलेंट को पहचानें और उसे उजागर करें। पंकज त्रिपाठी ने योग और किताबों की महत्वता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करना बेहद जरूरी है। ये बॉडी और दिमाग का कनेक्शन बेहतर करता है।

सफलता कैसे संभालें ?
विद्यार्थी जीवन में सफलता और असफलता को लेकर पंकज त्रिपाठी ने बताया कि दोनों ही जीवन का एक पार्ट हैं। असफलता कैसे संभालनी है इस पर लाखों मोटिवेशनल किताबें मिल जाएंगी, लेकिन सफलता कैसे संभालनी है, इस पर कोई पॉडकास्ट नहीं मिलेगा। आप अपने जीवन में हमेशा फोकस रहें, ईमानदार रहें। हमें अपनी पहचान कभी नहीं भूलनी चाहिए। हमारी पहचान ही हमारी ताकत है। अगर हम एमपी से हैं तो एमपी की भाषा बोलनी चाहिए, आप जहां से हैं उसे अपनी ताकत समझिए।
पंकज त्रिपाठी को 8 साल तक नहीं मिला था काम
पंकज त्रिपाठी ने बताया कि कैसे वे रोज ऑडिशन देने जाया करते थे। उन्हें 8 साल तक कोई काम नहीं मिला था। एक आलोचक ने अखबार में उनकी एक्टिंग पर तंज कसते हुए लिखा था कि अभिनय में पंकज त्रिपाठी की अपार संभावना है। जिसे उन्होंने हमेशा अपने दिल में रखा और खूब मेहनत की। उस एक लाइन ने उनमें अपार हौसला भर दिया था।
46 हजार रुपए लेकर मुंबई आए थे पंकज त्रिपाठी
पंकज त्रिपाठी बताते हैं कि वे सिर्फ 46 हजार रुपए लेकर मुंबई आए थे। कुछ समय के बाद उनके पास मात्र 10 रुपये थे। लेकिन उनके दिमाग कभी ये नहीं आया कि वे वापस लौट जाएं। उन्होंने कहा कि मैं महीने के 29 दिन काम करता था और साल के 350 दिन, मैं बर्नआउट हो जाता था। मुझे काम से बोरियत होने लगी थी। फिर मैंने छुट्टी के महत्व को समझा। अब मैं हर प्रोजेक्ट के बाद 30 दिन की छुट्टी लेता हूं और फिर दोबारा काम करता हूं।

MCU के स्टूडेंट्स ने अभिनेता पंकज त्रिपाठी से खूब सवाल पूछे।
एक अभिनेता और एक निर्देशक के बीच का संवाद ऑन सेट या सीन से पहले कैसा होना चाहिए ?
जवाब – एक अभिनेता और निर्देशक के बीच का संवाद, शॉट के पहले या फिल्मिंग के दरमियान बिल्कुल प्रेमी और प्रेमिका वाले होते हैं। मुझे निर्देशक बसु, कसम और लक्ष्मण उदेकर कुछ नहीं बोलते हैं। आंखों से देख लेते हैं और मैं आंखों से समझ लेता हूं कि इनको क्या चाहिए ? और शॉट होने के बाद भी मैं उनकी आंखों को देखता हूं, मॉनिटर नहीं देखता हूं और मुझे समझ आ जाता है कि जो चाहिए वह नहीं मिला। तो मैं खुद ही बोलता हूं एक और सर। तो वह आंखों की भाषा है, वह प्रेमिका जैसी होनी चाहिए।
सिद्धि गुप्ता ने पूछा कि वो किरदार जो आपने अब तक नहीं निभाया और जो समाज को एक गहरी सीख दे सकता है ?
जवाब – हमारे यहां प्रमुख रूप से सिनेमा मनोरंजन के लिए बनता है। मेरी फिल्में जैसे गुंजन सक्सेना, बरेली की बर्फी, ओह मॉय गॉड एक महत्वपूर्ण विषय पर बनी है। वे संवेदनशील तरीके से कहानी को बतलाती है। कुछ किरदार और कहानियां ऐसी होती है जिसमें मैसेज से ज्यादा महत्वपूर्ण मनोरंजन होता है। हालांकि बिना मैसेज के कोई कहानी नहीं होती। अगर आप मिर्जापुर जैसे क्राइम ड्रामा को देखें, वहां भी यह मैसेज है कि यह दुनिया ऐसी है वन वे है कि आप आएंगे तो आपको भुगतना पड़ेगा। मुन्ना जैसा किरदार अपने जीवन को खो देता है। तो ऐसा नहीं है कि वहां ग्लोरिफाय कर रहे हैं। तो कोई भी कहानी में मैसेज होता है वक्त और ऑडियंस आपको ढूंढना पड़ेगा।
ओम दानी ने पूछा कि फिल्म या वेब सीरीज की शूटिंग महीनों तक चलती है। इसी बीच एक अभिनेता के जीवन में अच्छा-बुरा बहुत कुछ घटित होता है। इन सबके बावजूद कैरेक्टर को लेकर चलना कितना मुश्किल होता है। कैरेक्टर को जीवित रखने के लिए एक अभिनेता क्या करता है ?

जवाब – हम किरदारों की पीड़ा अपने घर लाते हैं और अपनी खुशियां ले जाते हैं। मेरे जीवन में सबके जीवन में ऐसा होता है कि शूटिंग चल रही हो और कोई एक दुखद समाचार मिले और हम कॉमेडी फिल्म कर रहे हैं। तो हम खुद हंस रहे हैं। उस घटना के बाद जो कि मेरे जीवन में हंसी नहीं है। हम कई बार अपने नैचुरल स्टेट के पार कोई इमोशन प्ले कर रहे होते हैं, वह कहीं ना कहीं परेशान करता है। तो यह होता है और यह इसमें एक्टिंग की ट्रेनिंग काम आती है। एक लाइन है जो आप थिएटर करेंगे, शो मस्ट गो ऑन। यह काम होना चाहिए। अब आज की शूटिंग है, 250 लोग आए हैं, कैमरे हैं, सब कुछ सेट है, तो मेरी अगर इतनी क्षमता नहीं है कि मैं खड़ा भी ना हो पाऊं, तो हम अपने दुख को दबाकर और अपने ऊपर मुस्कान लाकर वो काम उस दिन पूरा करते हैं।
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