Panchak Death: हिन्दू धर्म में पंचकों का बड़ा स्थान है। पंचकों को शुभ काम के लिए वर्जित माना जाता है। तो वहीं अगर कुछ काम ऐसे हैं जो पंचकों (Panchak Fact) में हो तो अच्छे माने जाते हैं।
ऐसे में चलिए ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविन्द शास्त्री से जानते हैं कि पंचकों में किसी की मृत्यु हो जाए तो क्या होता है। क्या सच में पंचक में मृत्यु होने भटकती है आत्मा, पंचकों में मृत्यु (Panchak Death) होने पर क्या उपाय होते हैं।
पंचक के रहस्य
पंचकों में क्या नहीं करना चाहिए।
पंचकों में मृत्यु हो जाए तो क्या होता है।
पंचकों में क्या नहीं करना चाहिए।
पंचकों में क्या नहीं करना चाहिए
छत की ढ़लाई
ज्योतिषाचार्य के अनुसार पंचकों में कभी भी नए मकान का काम नहीं करना चाहिए। नए घर की स्लिप नहीं ढ़ालनी चाहिए। यदि ऐसा करते हैं तो आपके मकान को नुकसान हो सकता है।
घास की कटाई
ऐसा कहा जाता है कि पंचकों में कभी भी खेत या घास की कटाई नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से खेतों में आग लगने का डर होता है।
पंचकों में लकड़ी एकट्ठी नहीं करना चाहिए
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार पंचकों में कभी भी लकड़ी या गोबर के कंडे एकट्ठे नहीं करना चाहिए। यानी पंचकों के पांच दिनों में आपको आग से जुड़ा कोई भी सामान एकट्ठा नहीं करना है।
पंचकों में चारपाई बुनवाना
ऐसा माना जाता है कि पंचकों में चारपाई नहीं बुनवाना चाहिए। पहले के जमाने में लोग आधुनिक बेड पर न सोकर चापराई यानी चौखट पर सोते थे।
दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करना चाहिए
हिन्दू धर्म के अनुसार पंचकों में कभी भी दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करना चाहिए। वो इसलिए क्योंकि दक्षिण दिशा को यमराज (Panchak Tips) की दिशा माना जाता है। इसलिए पंचकों में इस दिशा की यात्रा से बचना चाहिए।
पंचकों में हो जाए मृत्यु, तो क्या होता है
हिन्दू पंचांग के अनुसार अगर पंचकों में किसी की मृत्यु (Death in Panchak) हो जाए तो ऐसा माना जाता है कि परिवार या रिश्तेदारों से भी पांच लोगों की मृत्यु की अशुभ खबर मिलती रहती है। जबकि अगर इस दौरान किसी का जन्म हो लगातार किसी के जन्म को लेकर शुभ समाचार आता है।
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कैसे दूर होता है पंचक दोष
हिन्दू पंचांग के अनुसार यदि पंचक में किसी की मृत्यु हो जाए, तो उसके अंतिम संस्कार से पहले पुत्तल विधि की जाती है। फिर इसके बाद अंतिम-संस्कार (Panchak me Antim Sanskar ke Niyam Kya hain) करना चाहिए। इसके बाद पंचक उतरने के बाद में पंचक शांति करनी चाहिए।
पंचक के 5 पुतले
पुत्तल विधि में कुश के 5 पुतले बनाए जाते हैं। फिर इस पर ऊन बांधकर जौ के आटे से लेप किया जाता है। फिर इन्हें नक्षत्रों के नाम से अभिमंत्रित किया जाता है। इसमें पांच पुतले प्रेतवाह, प्रेतसम, प्रेतप, प्रेतभूमिप, प्रेतहर्ता, शामिल होते हैं।
पंचक में मृत्यु हो तो यहां भटकती है आत्मा
अगर किसी जातक की पंचक में मृत्यु हो जाती है तो, ऐसे जातक की आत्मा भटकती रहती है, ऐसे जातक को 5 बार फिर जन्म लेना पड़ता है, 5 जन्म लेने के बाद जातक का मोक्ष होता है।
पंचक को लेकर पुराणों में है उल्लेख
1. ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार पंचक
पंचकों को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं। इसे लेकर ब्रह्मवैवर्त पुराण में लिखा गया है कि
न तस्य उध्वैगति:दृष्टा।
पंचक में मरने से ऊर्ध्वगति नहीं होती है। स्वर्ग आदि दिव्यलोक में गति नहीं होती है।
2. गरुड़ पुराण के अनुसार पंचक
गरुड़ पुराण और अनेक शास्त्रों में पंचक में शरीर का दाह-संस्कार निषेध बताया है। पंचक में मृतक का दाह-संस्कार होता है तो, परिवार में 5 बार ऐसा होता है।
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नोट: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य सूचनाओं पर आधारित है। बंलस न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह ले लें।