नई दिल्ली। Padmini Ekadashi 2023: सभी तरह की मनोकामना पूर्ति के लिए यदि आप भी भगवान विषणु को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो आपको बता दें इसके लिए रखा जाने वाला पद्मिनी एकादशी व्रत आज रखा जा रहा है। सावन में शुक्ल पक्ष की एकादशी पर रखा जाने वाला ये व्रत रखने की पूजा विधि, मुहूर्त और उपाय क्या हैं, चलिए जानते हैं पंडित राम गोविंद शास्त्री से।
कब है पद्मिनी एकादशी 2023 (Padmini Ekadashi 2023 Date)
आपको बता दें पद्यमिनी एकादशी साल में एक बार आती है। अगर आप भी इस एकादशी का व्रत रखना चाहते हैं तो आपको बता दें इस साल पद्यमनी एकादशी आज है। साथ ही इस व्रत का परायण 30 जुलाई यानि रविवार को सुबह 5:41 से 8:24 तक रहेगा।
पद्मिनी एकादशी का परायण कब करना चाहिए (Padmini Ekadashi 2023 Parayan Time)
ज्योतिषाचार्य के अनुसार पद्यमनी एकादशी (Padmini Ekadashi 2023) के व्रत का परायण करने का एक सही समय होता है। साथ ही एक समय ऐसा भी है जब एकादशी व्रत का परायण नहीं करना चाहिए। हरिवासर समय में व्रत का परायण नहीं करना चाहिए।
क्या होता है हरिवासर समय (What is Harivasar Time)
हिन्दू पंचांग के अनुसार हरिवासर समय द्वादश तिथि के पहले प्रहर का समय होता है। हर तिथि को चार प्रहरों में बांटा जाता है। ऐसे में एकादशी तिथि का परायण पहले प्रहर में करना वर्जित माना गया है। इस समय के बीतने के बाद ही पद्मिनी एकादशी व्रत का परायण करना चाहिए।
हरिवासर समय में परायण करने से क्या होता है
एकादशी का परायण हरिवासन प्रहर या समय में नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस समय में परायण करने से भगवान विष्णु नारायण हो जाते हैं। ऐसे में भक्तों को उनका क्रोध झेलना पड़ सकता है।
कब रखना चाहिए पद्मिनी एकादशी का व्रत
अगर आप भी एकादशी व्रत को रखने को लेकर कंफ्यूज हैं कि इसे पहले दिन रखना चाहिए या दूसरे दिन आपको बता दें गृहस्थ जीवन यापन करने वालों को पहले दिन एकादशी का व्रत रखना चाहिए। तो वहीं विधवा या संत लोगों को दूसरे दिन एकादशी का व्रत रखना श्रेष्ठ होता है। यानि प्रथम दिन सांसारिक व्यक्तियों को तो दूसरे दिन सन्यासी लोगों को ये व्रत करना चाहिए।
पद्मिनी एकादशी 2023 तिथि और समय
पद्मिनी एकादशी प्रारंभ तिथि – 28 जुलाई रात 2:51 मिनट
पद्मिनी एकादशी समाप्ति तिथि – 29 जुलाई दिन में 1:05 मिनट
पद्मिनी एकादशी का परायण – 30 जुलाई को सुबह 5:41 से 8:24 तक
पद्मिनी एकादशी के उपाय (Padmini Ekadashi 2023 Upay)
पद्मिनी एकादशी (Padmini Ekadashi 2023) पर अगर आप अपनी मनोकामना के लिए भगवान से मन्नत मांगने जा रहे हैं तो इसके लिए आप व्रत वाले दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी नारायण मंदिर जाएं। अपने साथ पूजन के लिए पंचोपचार पूजन सामग्री साथ लेकर जाएं। ध्यान रखें अपने साथ एक पीला कपड़ा, लाल चुनरी, पीले पुष्पों की माला, लाल पुष्पों की माला लेकर जाएं। पूरे विधिवत पूजन करने के बाद भगवान विष्णु को पीले पुष्पों की माला और पीला कपड़ा साथ ही मां लक्ष्मी को लाल चुनरी और लाल पुष्पों की माला पहनाकर अपनी मनोकामना के लिए प्रार्थना करें। अगर लाल गुलाब फूलों की माला हो तो बहुत श्रेष्ठ करें। ये उपाय आपको पद्मिनी एकादशी (Padmini Ekadashi 2023) के दिन जरूर करना चाहिए।
पद्मिनी एकादशी व्रत कथा (Padmini Ekadashi 2023 Vrat Katha)
हे मुनिवर! पूर्वकाल में त्रेयायुग में हैहय नामक राजा के वंश में कृतवीर्य नाम का राजा महिष्मती पुरी में राज्य करता था। उस राजा की 1,000 परम प्रिय स्त्रियां थीं, परंतु उनमें से किसी को भी पुत्र नहीं था, जो कि उनके राज्यभार को संभाल सके। देवता, पितृ, सिद्ध तथा अनेक चिकित्सकों आदि से राजा ने पुत्र प्राप्ति के लिए काफी प्रयत्न किए, लेकिन सब असफल रहे।
तब राजा ने तपस्या करने का निश्चय किया। महाराज के साथ उनकी परम प्रिय रानी, जो इक्ष्वाकु वंश में उत्पन्न हुए राजा हरिश्चंद्र की पद्मिनी नाम वाली कन्या थीं, राजा के साथ वन में जाने को तैयार हो गई। दोनों अपने मंत्री को राज्यभार सौंपकर राजसी वेष त्यागकर गंधमादन पर्वत पर तपस्या करने चले गए।
राजा ने उस पर्वत पर 10 हजार वर्ष तक तप किया, परंतु फिर भी पुत्र प्राप्ति नहीं हुई।
तब पतिव्रता रानी कमलनयनी पद्मिनी से अनुसूया ने कहा: 12 मास से अधिक महत्वपूर्ण मलमास होता है, जो 32 मास पश्चात आता है। उसमें द्वादशीयुक्त पद्मिनी शुक्ल पक्ष की एकादशी का जागरण समेत व्रत करने से तुम्हारी सारी मनोकामना पूर्ण होगी। इस व्रत के करने से भगवान तुम पर प्रसन्न होकर तुम्हें शीघ्र ही पुत्र देंगे।
रानी पद्मिनी ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा से एकादशी का व्रत किया। वह एकादशी को निराहार रहकर रात्रि जागरण करती। इस व्रत से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। इसी के प्रभाव से पद्मिनी के घर कार्तवीर्य उत्पन्न हुए। जो बलवान थे और उनके समान तीनों लोकों में कोई बलवान नहीं था। तीनों लोकों में भगवान के सिवा उनको जीतने का सामर्थ्य किसी में नहीं था।
सो हे नारद! जिन मनुष्यों ने मलमास शुक्ल पक्ष एकादशी का व्रत किया है, जो संपूर्ण कथा को पढ़ते या सुनते हैं, वे भी यश के भागी होकर विष्णुलोक को प्राप्त होते हैं।
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