What is Digital Dimentia: डिजिटल डिमेंशिया एक स्वास्थ्य समस्या है, जो तकनीक के अत्यधिक और ज्यादा उपयोग के कारण उत्पन्न होती है। यह टर्म पहली बार जर्मन न्यूरोसाइंटिस्ट मैनफ्रेड स्पिट्जर द्वारा 2012 में इस्तेमाल किया गया था।
डिजिटल डिमेंशिया का अर्थ है, वह स्थिति जिसमें अत्यधिक डिजिटल उपकरणों के उपयोग के कारण मानसिक क्षमताओं में गिरावट आ जाती है।
इस स्थिति में व्यक्ति की याददाश्त, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता, और समस्या-समाधान की क्षमता प्रभावित होती है, जो सामान्य रूप से बुढ़ापे में दिखाई देने वाली डिमेंशिया जैसी समस्याओं से मिलती-जुलती है।
डिजिटल डिमेंशिया के प्रभाव
डिजिटल डिमेंशिया का सबसे बड़ा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। जब हम अपने रोजमर्रा के कार्यों के लिए तकनीकी उपकरणों पर अत्यधिक निर्भर हो जाते हैं, जैसे कि फोन, कंप्यूटर, और टैबलेट, तो हमारे मस्तिष्क की कुछ क्षमताएं कमजोर हो जाती हैं।
उदाहरण के लिए, अगर हम बार-बार अपने फोन पर नोट्स बनाते हैं या कैलकुलेटर का इस्तेमाल करते हैं, तो हमारी मस्तिष्क की गणना और याददाश्त करने की शक्ति धीरे-धीरे कम हो जाती है।
इसका असर केवल मस्तिष्क तक ही सीमित नहीं है। लंबे समय तक स्क्रीन के सामने बैठने से शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि आंखों में तनाव, गर्दन और पीठ में दर्द, और नींद में कमी।
इसके अतिरिक्त, अत्यधिक स्क्रीन समय का उपयोग सामाजिक और भावनात्मक जीवन को भी प्रभावित करता है, क्योंकि व्यक्ति वास्तविक जीवन की जगह वर्चुअल दुनिया में अधिक समय बिताने लगता है।
डिजिटल डिमेंशिया के लक्षण
डिजिटल डिमेंशिया के लक्षण धीरे-धीरे प्रकट होते हैं और व्यक्ति को इस समस्या का एहसास तब होता है जब स्थिति गंभीर हो जाती है। निम्नलिखित लक्षणों के माध्यम से इसे पहचाना जा सकता है:
याददाश्त में कमी: व्यक्ति छोटी-छोटी चीजें भूलने लगता है, जैसे कि किसी व्यक्ति का नाम, कोई महत्वपूर्ण तारीख या किसी जगह का नाम।
ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई: व्यक्ति एक ही समय में कई काम करने में असमर्थ होता है और उसका ध्यान भटकता रहता है।
फैसला लेने में कठिनाई: सामान्य रूप से किए जाने वाले निर्णयों में उलझन महसूस करना और उचित निर्णय न ले पाना।
सोशल इंटरैक्शन में कमी: व्यक्ति वास्तविक जीवन में अन्य लोगों से मिलने-जुलने की बजाय डिजिटल उपकरणों में अधिक समय बिताने लगता है, जिससे सामाजिक कौशल में गिरावट आती है।
भावनात्मक अस्थिरता: डिजिटल दुनिया में अधिक समय बिताने के कारण व्यक्ति का मूड अस्थिर हो सकता है और वह तनाव, चिंता, या डिप्रेशन का शिकार हो सकता है।
कैसे बचें
डिजिटल डिमेंशिया से बचने के लिए हमें अपने डिजिटल उपकरणों का उपयोग संतुलित तरीके से करना चाहिए। नियमित ब्रेक लेना, स्क्रीन टाइम को सीमित करना, और मस्तिष्क को सक्रिय रखने के लिए मानसिक व्यायाम करना, जैसे कि किताबें पढ़ना, पहेलियाँ हल करना, और शारीरिक गतिविधियों में भाग लेना, महत्वपूर्ण है।
अपने जीवन में डिजिटल और वास्तविक दुनिया के बीच संतुलन बनाकर हम डिजिटल डिमेंशिया के प्रभावों से बच सकते हैं और अपने मस्तिष्क को स्वस्थ और सक्रिय रख सकते हैं।