हाइलाइट्स
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बारात हादसे के बाद भी रायसेन प्रशासन ने नहीं लिया सबक
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अब सलामतपुर की सड़कों पर दौड़ रहे अनफिट ट्रक
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नागरिक आपूर्ति निगम के ट्रकों में हो रही ओवरलोडिंग
Raisen Barat Hadsa: ऊपर जो आप तस्वीर देख रहे हैं ये नर्मदापुरम जिले के आंचलखेड़ा के रहने वाले 30 साल के सत्येंद्र चौधरी की है। 11 मार्च से पहले विजय की जिंदगी में सबकुछ अच्छा था।
11 मार्च को वे अपनी गांव की बारात के साथ रायसेन के सुल्तानपुर आए। सभी बारातियों के साथ सत्येंद्र भी अपने दोस्त की बारात में खुशी से झूम रहे थे।
तभी अचानक एक लापरवाह ट्रक बारातियों को रौंदता हुआ (Raisen Barat Hadsa) निकल गया।
सिस्टम नहीं सुधरेगा: 22 दिन पहले लापरवाह ट्रक ने बर्बाद किए परिवार, फिर से सलामतपुर में ओवरलोडिंग ट्रक दौड़ा रहा नान!#MPNews #Raisen @CollectorRaisen @CMMadhyaPradesh @jitupatwari @sp_raisen @foodsuppliesmp
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अचानक शादी की खुशियां मातम में बदल गई, चीख-पुकार शांत हुई तो पता चला की हादसे में 8 बारातियों की जिंदगी छीन गई है।
एक दर्जन लोग घायल भी हुए हैं। इन्हीं गंभीर घायलों में सत्येंद्र चौधरी भी हैं। जिनकी 11 मार्च के बाद जिंदगी बर्बाद हो गई।
सत्येंद्र को गंवाना पड़ा पैर
हादसे (Raisen Barat Hadsa) के बाद सत्येंद्र की जान तो बच गई, लेकिन डॉक्टरों को उनका एक पैर काटना पड़ा। सत्येंद्र अब रातभर सो नहीं पाते हैं। इसकी वजह दर्द नहीं है।
बल्कि पैर कट जाने के बाद अब आने वाली जिंदगी की चुनौती की चिंता इसकी वजह है। सत्येंद्र की शादी दो साल पहले ही हुई थी।
होश में अब तक नहीं आया सुनील
सत्येंद्र चौधरी जैसी कहानी ही इन्हीं के गांव के सुनील खापरे की भी है। सुनील हादसे (Raisen Barat Hadsa) वाले दिन से ही होश में नहीं आ पाए हैं। इनका इलाज भोपाल के एम्स हॉस्पिटल में चल रहा है।
ये जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। सुनील की शादी तीन महीने पहले ही हुई थी। अब आते हैं आज कि दिन पर… जिस कहानी को पढ़कर आप भावुक हुए और आपको गुस्सा आया।
लेकिन अब ये जानना भी जरूरी है कि उस हादसे के बाद रायसेन प्रशासन कितना जागा।
धड़ल्ले से दौड़ रहे अनफिट ट्रक
रायसेन प्रशासन ने हादसे (Raisen Barat Hadsa) के बाद भी सबक नहीं लिया। घटना के बाद दो से तीन दिन ताबड़तोड़ कार्रवाई की, पर फिर इस मुहिम को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
रायसेन के ही सलामतपुर की बात करें तो यहां नागरिक आपूर्ति निगम यानी नान के ट्रांसपोर्टर धड़ल्ले से अनफिट ट्रक को ओवरलोड भरकर सड़कों पर दौड़ा रहे हैं।
हादसा हुआ तो जिम्मेदारी किसकी?
वेयरहाउस में रखे सरकारी गेहूं को नागरिक आपूर्ति निगम के ट्रांसपोर्टर अपने ट्रकों में भरकर सलामतपुर के रैक प्वाइंट तक ले जाते हैं। यहां ये गेहूं मालगाड़ियों में लोड होता है।
इनमें से कई ट्रकों का इंश्योरेंस भी नहीं है। ऐसे में वेयरहाउस से रैक प्वाइंट सलामतपुर के बीच ओवरलोडिंग के कारण कोई हादसा (Raisen Barat Hadsa) हो जाता है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी, ये बड़ा सवाल है।
FCI के ट्रक अंडरलोड तो नान के ओवरलोड क्यों?
निर्धारित मापदण्डों के अनुसार 6 चक्का ट्रक में 12 टन तक माल भरा जा सकता है। इसी तरह 10 चक्का ट्रक में 19 टन और 12 चक्का ट्रक में 24 टन तक लोडिंग की जा सकती है।
FCI के सभी ट्रक रायसेन में अंडरलोड भरे जा रहे हैं, लेकिन नागरिक आपूर्ति निगम के ट्रक ओवरलोड भरे जा रहे हैं।
चार से पांच टन तक हो रही ओवरलोडिंग
नागरिक आपूर्ति निगम के ट्रांसपोर्टर रैक प्वाइंट तक 6 चक्का ट्रक में 12 की जगह 16 टन, 10 चक्का ट्रक में 19 की जगह 24 टन और 12 चक्का ट्रक में 24 की जगह 29 टन तक की ओवरलोडिंग कर रहे हैं।
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गुना हादसे से भी सबक नहीं
पीड़ितों का मानना है कि 10 मार्च को रायसेन के सुल्तानपुर में हुआ हादसा (Raisen Barat Hadsa) गुना हादसे से सबक नहीं लेने का नतीजा था।
अनफिट बस 27 दिसंबर को गुना के सेमरी घाट में पलट गई। 13 यात्रियों की मौत हो गई, 17 घायल हो गए।
अब सलामतपुर में सरकारी गेहूं को ढोने के लिए अनफिट ट्रक सड़कों पर खुलेआम फर्राटे से दौड़ रहे हैं।
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जिम्मेदारों ने नहीं उठाए फोन
सलामतपुर में गेहूं के परिवहन में हो रही लापरवाही को लेकर बंसल न्यूज डिजिटल ने नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक कार्यालय और आरटीओ से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन फोन ही नहीं उठाए गए।