Online Fake Reviews Update: ऑनलाइन शॉपिंग में क्या आप भी प्रोडक्ट का रिव्यू देखकर फैसला करते हैं। क्या कभी आपने सोचा है कि जो रिव्यू आप पढ़ रहे हैं, वह कहीं फर्जी यानी फेक तो नहीं।
जी हां, अमेजन-फ्लिपकार्ट और मिंत्रा जैसी तमाम ई-कॉमर्स कंपनियों (e-commerce companies) को जल्द ही अपनी वेबसाइट या पोर्टल से फेक प्रोडक्ट रिव्यू को हटाना पड़ेगा।
सरकार ने कस्टमर्स की तरफ से financial loss और मानसिक प्रताड़ना की शिकायत मिलने के बाद अब सख्त कदम उठाने का फैसला कर लिया है।
फेक रिव्यू पर सरकार सख्त
ई-कॉमर्स कंपनियों के fake review मामलों की शिकायतों के बाद सरकार ने कड़ा एक्शन लिया हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ई-कॉमर्स कंपनियों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से कस्टमर्स के कमेंट डिलीट या एडिट करने का ऑप्शन नहीं होगा, जिससे इन प्लेटफॉर्म पर किसी प्रोडक्ट के सही रिव्यु मिल सकेंगे।
साथ ही कस्टमर की निगेटिव कमेंट डिलीट नहीं कर सकेंगे। ऐसे में कोई कंपनी यह नियम तोड़ती है, तो उन पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही प्रोडक्ट की गुणवत्ता गलत तारीफ करने वाले फेक रिव्यू हटाने का आदेश दिया है।
पोर्टल से हटाना पड़ सकता है घटिया सामान
गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (quality control order) के तहत उत्पादों को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के मानदंडो से होकर गुजरना पड़ेगा। ऐसे में लो क्वॉलिटी वाले प्रोडक्ट को पोर्टल से हटाने की नौबत भी आ सकती है।
ई-कॉमर्स मंचों पर उत्पादों और सेवाओं की फर्जी रिव्यू के मामले अब भी सामने आ रहे हैं। भ्रामक रिव्यू (misleading review) और रेटिंग ग्राहकों को गलत जानकारी के आधार पर सामान या सेवाएं खरीदने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।
क्यों जरूरी हैं ये स्टैंडर्ड
उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा, ‘ये स्टैंडर्ड बहुत जरूरी हैं क्योंकि ऑनलाइन खरीदार इन समीक्षाओं पर बहुत ज्यादा निर्भर होते हैं, क्योंकि वो प्रोडक्ट्स को फिजिकली देख नहीं सकते उसकी जांच नहीं कर सकते हैं।
ऐसे में फर्जी रिव्यू न सिर्फ ई-कॉमर्स प्लेटफार्म की विश्वसनीयता को खतरे में डालते हैं बल्कि उपभोक्ताओं की गलत खरीदारी का कारण भी बनते हैं। ‘
लगातार आ रही थी शिकायतें
उपभोक्ता मामलों (consumer affairs) के विभाग ने ये कदम तब उठाया है जब कंपनियां अपनी तरफ से फर्जी रिव्यू पर लगाम लगाने में असफल रही हैं। इसके अलावा ई-कॉमर्स से जुड़ी उपभोक्ता शिकायतों में हो रही बढ़ोतरी भी इसकी एक वजह है।
आंकड़ों के मुताबिक 2018 में जहां ये शिकायतें 95,270 थीं वहीं 2023 में ये बढ़कर 4,44,034 हो गईं। ये अबतक दर्ज हुई कुल शिकायतों का 43% है।