One Nation One Election: देश की राजधानी दिल्ली से इस वक्त की सबसे बड़ी खबर सामने आई है कि मोदी कैबिनेट ने वन नेशन वन इलेक्शन को मंजूरी दे दी है। आपको बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कमेटी की रिपोर्ट को मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिली है। मिली जानकारी की मानें तो खबर ये है कि भी सरकार शीतकालीन सत्र में इस पर एक बिल ला सकती है।
32 दलों ने दिया समर्थन
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की पहल पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने 62 राजनीतिक दलों से संपर्क किया था। इनमें से 47 दलों ने प्रतिक्रिया दी, जिनमें से 32 दलों ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया।
वहीं, 15 दलों ने इसका विरोध जताया। इसके अलावा, 15 अन्य राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। यह पहल पूरे देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की है, जिसे कुछ दल प्रशासनिक सुविधा और खर्च में कटौती के लिए सही मानते हैं, जबकि अन्य दल लोकतांत्रिक प्रक्रिया और संघीय ढांचे पर इसके प्रभाव को लेकर चिंतित हैं।
विधानसभा का चुनाव कैसे होगा साथ
वन नेशन-वन इलेक्शन की संभावना एक देश-एक चुनाव लागू करने के लिए कई राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को कम किया जाएगा। भारत के जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव 2023 के आखिर में हुए हैं, सिर्फ उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। सामने आई रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विधि आयोग के प्रस्ताव पर सभी दल सहमत हुए तो यह 2029 से ही लागू होगा। इसके साथ ही इसके लिए दिसंबर 2026 तक 25 राज्यों में विधानसभा चुनावों को कराना होगा।
पहला चरण में 6 राज्यों में वोटिंग नवंबर 2025 तक करानी होगी। इससे बिहार का मौजूदा कार्यकाल पूरा हो जाएगा और फिर बाद का 3 साल 6 महीने ही रहेगा।
असम, केरल, तमिलनाडु, प. बंगाल और पुडुचेरी मौजूदा कार्यकाल 3 साल 7 महीने घटेगा। उसके बाद का कार्यकाल भी 3 साल 6 महीने का रहेगा।
दूसरा चरण में 11 राज्यों में वोटिंग दिसंबर 2026 में कराई जाएगी। उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब व उत्तराखंड में मौजूदा कार्यकाल 3 से 5 महीने घटेगा। उसके बाद 2 साल 4 महीने का रहेगा।
गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुराः मौजूदा कार्यकाल 13 से 17 माह घटेगा। बाद का कार्यकाल 2 साल 4 महीने रहेगा।
इन दो चरणों के बाद देश की सभी विधानसभाओं का कार्यकाल जून 2029 में समाप्त होगा। सूत्रों के अनुसार, कोविंद कमेटी विधि आयोग से एक और प्रस्ताव मांगेगी, जिसमें स्थानीय निकायों के चुनावों को भी शामिल करने की बात कही जाएगी।
एक साथ चुनाव कराने के बताए जा रहे ये फायदे (One Nation One Election)
चुनाव खर्च में बचत: बार-बार होने वाले चुनावों पर करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। एक साथ चुनाव से सरकार और राजनीतिक दलों दोनों का खर्च कम होगा।
लगातार चुनाव से निजात: अलग-अलग समय पर चुनाव कराने से राजनीतिक अस्थिरता और प्रशासनिक कठिनाइयां होती हैं। एक साथ चुनाव से यह समस्या खत्म हो जाएगी।
विकास कार्यों पर फोकस: बार-बार चुनाव होने पर सरकार का ध्यान विकास कार्यों से हटकर चुनावी प्रचार और तैयारी पर चला जाता है। एक साथ चुनाव से सरकार विकास पर अधिक ध्यान दे सकेगी।
आचार संहिता का बार-बार प्रभाव: चुनाव के दौरान आचार संहिता लागू होने से विकास योजनाओं और सरकारी फैसलों पर अस्थायी रोक लग जाती है। एक साथ चुनाव से आचार संहिता का प्रभाव सीमित रहेगा।
काले धन पर लगाम: बार-बार चुनावों में बड़े पैमाने पर काले धन का इस्तेमाल होता है। एक साथ चुनाव कराने से काले धन पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाया जा सकेगा।
यह सुझाव चुनाव प्रक्रिया को अधिक कुशल बनाने और प्रशासनिक स्थिरता लाने के लिए दिया गया है।
शीतकालीन सत्र में संसद में विधेयक लाएगी सरकार (One Nation One Election)
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने ‘एक देश, एक चुनाव’ की एक रिपोर्ट को नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। अब संभावना है कि केंद्र सरकार इस बिल को आगामी शीतकालीन सत्र में संसद में पेश करेगी।
यह एक संविधान संशोधन वाला बिल है, जिसका अर्थ है कि इसे लागू करने के लिए संसद के अलावा राज्यों की सहमति भी आवश्यक होगी। चूंकि यह मुद्दा देश के चुनावी ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाला है, इसलिए राज्यों की भागीदारी और सहमति अहम होगी।
2024 के आम चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का वादा किया था, और यह कदम उसी दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।
पहले मिले थे इसके संकेत
मार्च में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में प्रस्तुत की गई 18,626 पेजों की रिपोर्ट के बाद, ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के संदर्भ में संकेत मिल चुके थे। 17 सितंबर को कैबिनेट द्वारा इस पर मंजूरी मिलने से पहले ही गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि मोदी सरकार 3.0 के कार्यकाल के दौरान अगले 5 सालों में इस योजना को लागू किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में भी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का जिक्र किया था, और बताया था कि लगातार चुनाव देश के विकास को धीमा कर रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत एक साथ चुनाव कराने से चुनावी प्रक्रिया को व्यवस्थित करने और प्रशासनिक कार्यों को सुचारू रूप से चलाने का उद्देश्य है।