राहुल गाँधी द्वारा मोदी सरनेम टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सजा निलंबित कर दी है। इसपर भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने कहा है कि राहुल गांधी की टिप्पणियों की उनके जैसे सार्वजनिक व्यक्ति से उम्मीद नहीं थी। राहुल गांधी को 12, तुगलक लेन वाला सरकारी बंगला फिर से आवंटित हो गया है।
क्या कहा न्यायविद हरीश साल्वे ने
प्रख्यात न्यायविद् हरीश साल्वे ने कहा है कि राहुल गांधी द्वारा अपनी “मोदी उपनाम” टिप्पणी में इस्तेमाल की गई भाषा असाधारण रूप से अपमानजनक थी, उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता की सजा को निलंबित करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला मामले की खूबियों के आधार पर नहीं बल्कि अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए चिंता के आधार पर लिया गया।”
उन्होंने आगे कहा,”राहुल गांधी को दोषी ठहराया जाना चाहिए या नहीं यह एक अलग मुद्दा है। लेकिन बात करने का बेहद अपमानजनक तरीका…आप झूठे आरोप लगा रहे हैं और फिर आप कहते हैं कि मैं सार्वजनिक जीवन में हूं। हर कोई जानता है, चाहे वह इससे कितना भी इनकार करे। वह प्रधानमंत्री बनने का सपना देखते हैं। क्या इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना उनका कद है?”
“सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने कहा कि उन्होंने जो कहा वह गलत था और इस तरह की बात करना सही नहीं है। लेकिन दोषसिद्धि पर रोक लगा दी गई क्योंकि उनकी अपील (दोषी ठहराए जाने के खिलाफ) पर फैसला होने तक निर्वाचन क्षेत्र को प्रतिनिधित्व नहीं मिलना चाहिए। इसीलिए ऐसा किया गया था रुके, योग्यता के आधार पर नहीं,” श्री साल्वे ने जोर देकर कहा।
इस मामले में हुई थी सजा
बता दें, राहुल गांधी को 2019 के लोकसभा अभियान के दौरान उनके भाषण के लिए 23 मार्च को गुजरात में दो साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने कांग्रेस नेता पर यह कहने के लिए मुकदमा दायर किया: “सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी कैसे है?”
supreme court ने सजा पर लगाई रोक
केरल के वायनाड से लोकसभा सांसद राहुल गांधी को दोषी ठहराए जाने के तुरंत बाद अयोग्य घोषित कर दिया गया। उन्होंने इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसने उनकी दोषसिद्धि को यह कहते हुए रोक दिया कि उनकी टिप्पणियाँ अच्छी नहीं थीं, लेकिन संसद से उनकी अयोग्यता उनके मतदाताओं को प्रभावित करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”इसमें कोई संदेह नहीं है कि याचिकाकर्ता (Rahul Gandhi) के बयान अच्छे नहीं थे। याचिकाकर्ता को भाषण देने में अधिक सावधानी बरतनी चाहिए थी,” जिससे कांग्रेस नेता चालू सत्र में संसद में लौट सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल जज ने जेल में अधिकतम दो साल की सजा सुनाई थी और अगर सजा एक दिन भी कम होती तो राहुल गांधी सांसद के रूप में अयोग्य नहीं होते। शीर्ष अदालत ने कहा, “ट्रायल जज द्वारा अधिकतम जुर्माना लगाने का कोई कारण नहीं बताया गया है, अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है।”
राहुल को वापस मिला सरकारी बंगला
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को 12, तुगलक लेन वाला सरकारी बंगला फिर से आवंटित हो गया है। वह बतौर सांसद बीते 19 साल से इसी बंगले में रह रहे थे। बंगाला खाली करते हुए उन्होंने कहा था कि मैंने सच बोलने की कीमत चुकाई है।
मानहानि के मामले में दोषी पाए जाने के बाद 24 मार्च को लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसद की सदस्यता को रद्द कर दिया था। फिर 22 अप्रैल को उन्होंने बंगला खाली किया था। मंगलवार को जब मीडिया ने उनसे बंगला मिलने के बाबत सवाल पूछा तो राहुल गांधी ने कहा कि, ‘पूरा हिंदुस्तान मेरा घर है।
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