Omkareshwar Temple : महाशिवरात्रि के अवसर पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे मंदिर के बारे में जहां मान्यता है कि हर रात भगवान शिव और माता पार्वती यहीं आकर विश्राम करते हैं और चौसर भी खेलते हैं। यह मंदिर खंडवा का ओंकारेश्वर मंदिर है। जो 12 ज्योतिर्लिंगों में चौथा ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर मंदिर है। ओंकारेश्वर मध्यप्रदेश के इंदौर शहर के पास स्थित है। नर्मदा नदी के मध्य ओमकार पर्वत पर स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर हिंदुओं की आस्था का केंद्र है।
मंदिर को लेकर एक मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती तीन लोकों का भ्रमण कर रात में यहां विश्राम करने आते हैं। रात को सोने से पहले भगवान शिव और माता पार्वती यहां चौसर खेलते हैं। इसी को लेकर मंदिर में शयन आरती की जाती है। शयन आरती के बाद ज्योतिर्लिंग के सामने रोज चौसर-पांसे की बिसात सजाई जाती है। रात में गर्भ गृह में कोई भी नहीं जाता लेकिन सुबह पासे उल्टे मिलते हैं। ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान शिव की गुप्त आरती की जाती है जहां पुजारियों के अलावा कोई भी गर्भ गृह में नहीं जा सकता। पुजारी भगवान शिव का विशेष पूजन एवं अभिषेक करते हैं।
पांच मंजिला है मंदिर
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग परिसर एक पांच मंजिला इमारत है। पहली मंजिल पर भगवान महाकालेश्वर का मंदिर है और तीसरी मंजिल पर सिद्धनाथ महादेव की। जबकि चौथी मंजिल पर गुप्तेश्वर महादेव और पांचवी मंजिल पर राजेश्वर महादेव का मंदिर है। ओंकारेश्वर में अनेक मंदिर हैं नर्मदा के दोनों दक्षिणी व उत्तरी तटों पर मंदिर हैं। पूरा परिक्रमा मार्ग मंदिरों और आश्रमों से भरा हुआ है। कई मंदिरों के साथ यहां अमलेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा जी के दक्षिणी तट पर विराजमान हैं।
भोलेनाथ के दर्शन का महत्व
मन्दिर के पुजारी के अनुसार, द्वादश ज्योतिर्लिंगों में चतुर्थ ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर के नाम से है। जैसे उज्जैन के महाकाल में भस्म आरती का महत्व है। ठीक वैसे ही यहां ओंकारेश्वर में शयन आरती का महत्व है। ये तपस्थली राजा मान्धाता की रही है। यहां पर चौसर पासे की दो सेज लगती है। माँ की सेज और भोलेनाथ की सेज दो सेज लगती है। जहां भोलेनाथ की इच्छा हो, अथवा मां की इच्छा हो। वहां वे चौसर पासे खेलते है। यहां पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन और मां नर्मदा में स्नान करने का बड़ा महत्व है।