हाइलाइट्स
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2015 में एक खेत किराये पर लेकर शुरू की थी फैक्ट्री
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सुरक्षा मानकों का पालन नहीं कर रही थी फैक्ट्री
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कलेक्टर ने सील करने के दिये थे आदेश
Harda Factory Blast: हरदा फैक्ट्री ब्लास्ट हादसे में अब तक 11 लोगों की मौत की पुष्टी हो गई है। इस हादसे ने कई सवाल खड़े किये हैं।
खासकर जिला मुख्यालय में अधिकारियों की नाक के नीचे ट्रकों से बारूद आ गया और जिम्मेदारों की नींद तक नहीं खुली। हादसे में प्रशासन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
हरदा कलेक्टर ऋषि गर्ग ने फैक्ट्री (Harda Factory Blast) को सील करने के आदेश दिये थे, लेकिन तत्कालीन कमिश्नर माल सिंह से स्टे दे दिया। यह स्टे फैक्ट्री संचालक के दीवाली पर पटाखों का हवाला देने से मिला था।
फैक्ट्री सुरक्षा मानकों का पालन नहीं कर रही थी
तत्कालीन हरदा एसडीएम श्रुति अग्रवाल के अनुसार पटाखा फैक्ट्री (Harda Factory Blast) सुरक्षा मानकों का पालन नहीं पाने पर उन्होंने जांच प्रतिवेदन कलेक्टर को सौंपा था।
कलेक्टर ऋषि गर्ग ने फैक्ट्री को सील करने के आदेश दिए थे।
तत्कालीन कमिश्नर ने दिया स्टे
हरदा एसडीएम केसी परते के अनुसार पटाखा फैक्ट्री (Harda Factory Blast) मामले में तत्कालीन कमिश्नर (अभी इंदौर कमिश्नर) माल सिंह ने अगली सुनवाई तक के लिए संचालक राजेश अग्रवाल को स्टे दिया था, लेकिन उसने फैक्ट्री फिर खोल ली।
कमिश्नर का यह पक्ष आया सामने
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— Bansal News (@BansalNewsMPCG) February 7, 2024
तत्कालीन नर्मदापुरम कमिश्नर माल सिंह के अनुसार उन्होंने कलेक्टर को इनका फैक्ट्री (Harda Factory Blast) संचालक का पक्ष सुनकर नियमानुसार मामले का निराकरण करने के निर्देश दिए थे।
दिवाली की वजह से सिर्फ अगली पेशी तक के लिए स्टे दिया था न कि पूरी तरह खोलने के लिए कहा था।
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अग्रवाल बंधुओं के पास 6 लाइसेंस, रद्द सिर्फ एक ही हुआ
अग्रवाल बंधुओं के नाम पर हरदा में छह विस्फोटक लाइसेंस की जानकारी मिली है। इनमें एक ही रद्द हुआ है। 2015 में एक खेत में 3000 रुपए महीना किराये पर उसने गोदाम लेकर पटाखे बनाने का काम शुरू किया।
तब हादसे में दो जानें गई। 2021 में अग्रवाल को 10 साल की सजा हुई, पर हाई कोर्ट में जमानत मिल गई। फैक्ट्री (Harda Factory Blast) फिर चलने लगी।
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कांग्रेस ने भी अधिकारियों पर उठाए सवाल
हरदा पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट (Harda Factory Blast) मामले में कांग्रेस ने भी सवाल उठाए हैं। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि जब फैक्ट्री को सील करने का आदेश था तो तत्कालीन कमिश्नर ने किन परिस्थितियों में उस पर स्टे दे दिया। वहीं पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा ये अधिकारियों की मिली भगत से अवैध कारोबार चल रहा है।