हाइलाइट्स
- मप्र पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट में खुलासा
- पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सीएम को पत्र लिखा
- सीएम से ओबीसी वर्ग की रिपोर्ट पर कार्रवाई की मांग
MP OBC Report: महू की डॉ. बीआर आंबेडकर यूनिवर्सिटी ऑफ सोशल साइंस द्वारा मप्र पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने एक रिपोर्ट तैयार कराई। एक साल से तैयार रिपोर्ट में लिखा है कि प्रदेश में ओबीसी की कुल आबादी 48% है। जबकि सरकारी नौकरियों में ओबीसी की हिस्सेदारी सिर्फ 16.8% है। सामान्य वर्ग के 21.64%, एससी के 10.49% और एसटी के 10.37% अधिकारी-कर्मचारी तैनात है।
आयोग ने चर्चा के लिए मांगा समय
ओबीसी की इस रिपोर्ट पर चर्चा के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग ने सीएम डॉ. मोहन यादव से समय मांगा है, हालांकि अब तक इस पर कोई चर्चा आगे नहीं बढ़ पाई है। जिसके बाद पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सीएम डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग द्वारा तैयार एमपी की ओबीसी की रिपोर्ट पर त्वरित कार्रवाई करने का आग्रह किया है। यदि सरकार इस मुद्दे पर शीघ्र निर्णय नहीं लेती है, तो हम इसे जनता के बीच लेकर जाएंगे और उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव संघर्ष करेंगे।
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69 विभागों में सामान्य वर्ग का 64.08% हिस्सा
यूनिवर्सिटी के इस अध्ययन में 69 सरकारी विभागों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है, जिसके अनुसार क्लास वन के पदों पर पिछड़ा वर्ग के अधिकारियों की उपस्थिति मात्र 9.5% है, जबकि सामान्य वर्ग का हिस्सा 64.08% तक दर्शाया गया है।
क्लास वन के 16 हजार से अधिक पद, आधे भी ज्यादा खाली
प्रदेश में क्लास वन के 16 हजार से अधिक पद स्वीकृत है, जिसमें से 7 हजार 800 से अधिक पद भरे हुए है, इसमें ओबीसी वर्ग के सिर्फ 749 क्लस वन अफसर पदस्थ है। जबकि सामान्य वर्ग के 5 हजार से अधिक पदों क्लास वन अफसर नियुक्त है।
15 विभाग ऐसे, जहां ओबीसी की भागीदारी 20 फीसदी
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने पत्र में लिखा है कि इसके अतिरिक्तए 15 विभाग ऐसे हैं. जहां पिछड़ा वर्ग की भागीदारी 20% से भी कम है। यह असंतुलन न केवल संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि सामाजिक न्याय की मौलिक अवधारणा के साथ भी अन्याय करता है।
ये सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए
पीसीसी चीफ पटवरी के इस पत्र में यह भी लिखा है कि मप्र सरकार की ये प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए, ताकि पिछड़े वर्ग के अधिकारों की रक्षा की जा सके। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस रिपोर्ट पर त्वरित संज्ञान ले और उन उपायों को अपनाए, जिनसे पिछड़ा वर्ग को उनका उचित हक मिल सके। सरकारी नौकरियों में भी सरकार ओबीसी की गंभीर उपेक्षा कर रही है! सरकार ओबीसी आरक्षण पर जानबूझकर देरी कर रही है।
रिपोर्ट में ये भी है प्रमुख सिफारिशें
– एससी.एसटी एक्ट की तर्ज पर ओबीसी के लिए विशेष अधिनियम बनाया जाएए जिससे उन्हें भी संवैधानिक सुरक्षा प्राप्त हो।
– जिन जिलों में ओबीसी की आबादी अधिक हैए उन्हें पिछड़ा वर्ग बहुल घोषित किया जाएए ताकि वहां के निवासियों को उनकी सामाजिक.आर्थिक स्थिति के अनुरूप लाभ मिल सके।
– सरकारी विभागों में रिक्त पड़े 40ः से अधिक पदों को शीघ्र भरा जाएए जिससे पिछड़ा वर्ग को उसका उचित प्रतिनिधिय मिल सके।
-राज्य सरकार इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करे और इसकी अनुशंसाओं को शीघ्र लागू करने की प्रक्रिया प्रारंभ करे।
– सरकारी सेवाओं में ओबीसी के आरक्षण को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए एक निगरानी तंत्र स्थापित किया जाएए जिससे सुनिश्चिंत हो कि उन्हें उनके अधिकार समय पर और पूर्ण रूप से मिलें।
– शैक्षिक संस्थानों में पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए विशेष छात्रवृत्ति और सहायता योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू किया जाएए जिससे उनकी उच्च शिक्षा तक पहुंच आसान हो सके।