हाइलाइट्स
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नर्सिंग कॉलेज मान्यता संबंधी हाईकोर्ट ने दिये महत्वपूर्ण निर्देश
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लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन अध्यक्ष विशाल बघेल ने लगाई है याचिका
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एमपी हाईकोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगी
MP Nursing Scam: मध्य प्रदेश के बहुचर्चित नर्सिंग घोटाले (MP Nursing Scam) में सरकार को हाईकोर्ट से झटका लगा है।
एमपी हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार के नये नियमों से नहीं बल्कि इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मापदंड से ही सत्र 2024-25 के लिए नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी जा सकेगी।
नर्सिंग काउंसिल के मापदंड से ही कॉलेजों को मान्यता
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में नर्सिंग संस्थाओं को शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए मान्यता देने की हरी झंडी दे दी है। हालांकि कोर्ट ने कहा है कि इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मापदंडों एवं नियमों के आधार पर मान्यता प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए। एमपी नर्सिंग काउंसिल द्वारा हाईकोर्ट में आवेदन पेश कर नर्सिंग शिक्षा में सुधार करने, एकरूपता और पारदर्शिता लाने के लिए सभी नर्सिंग कॉलेजों में नर्सिंग पाठ्यक्रमों में कॉमन एंट्रेंस टेस्ट और केंद्रीयकृत काउंसिलिंग से करने की अनुमति मांगी थी। कोर्ट ने इसकी अनुमति भी दे दी।
पहले मामला जान लीजिए
गौरतलब है कि पूर्व में सरकार द्वारा कोर्ट से सत्र 2024-25 की मान्यता प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति मांगी थी।
मध्यप्रदेश में नर्सिंग शिक्षण संस्थानों को मान्यता देने के लिए नये नियम 2024 राजपत्र में प्रकाशित किए थे।
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उक्त नियमों को इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मापदंडों के विपरीत बताते हुए याचिकाकर्ता विशाल बघेल ने चुनौती दी थी।
जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने नये नियमों पर रोक लगा दी थी।
स्पेशल बेंच में हुई सुनवाई
मध्यप्रदेश में हुए नर्सिंग मान्यता फर्जीवाड़े से संबंधित मामले में लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका पर हाइकोर्ट में जस्टिस संजय द्विवेदी एवं जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की स्पेशल बेंच में 19 जुलाई को सुनवाई हुई।
एमपी नर्सिंग काउंसिल ने ही मांगी अनुमति
सुनवाई के दौरान एमपी नर्सिंग काउंसिल द्वारा हाईकोर्ट में आवेदन पेश कर प्रदेश में नर्सिंग संस्थाओं हेतु सत्र 2024-25 की मान्यता प्रक्रिया शुरू करने के लिए इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मापदंडों एवं नियमों के आधार पर मान्यता प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति मांगी।
वहीं नर्सिंग शिक्षा में सुधार करने एवं एकरूपता तथा पारदर्शिता लाने हेतु समस्त नर्सिंग कॉलेजों में नर्सिंग कोर्सों में पाठ्यक्रमों में प्रवेश एक कॉमन इंट्रेंस टेस्ट एवं केंद्रीयकृत काउंसिलिंग के माध्यम से करने की अनुमति कोर्ट से मांगी।
याचिकाकर्ता की ओर से ये दिया तर्क
याचिकाकर्ता की ओर से भी इस मामले में सहमति व्यक्त करते हुए कोर्ट से आग्रह किया गया कि इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मापदंड के आधार पर ही मान्यता प्रक्रिया होनी चाहिए।
कोर्ट को बताया गया कि प्रदेश में हुए फर्जीवाड़े का सबसे बड़ा कारण किराये के भवनों में खुले नर्सिंग कॉलेज थे।
इसलिए अब किराए के भवनों में नई मान्यता नहीं दी जानी चाहिए और नियमों में उचित संशोधन किए जाने चाहिए।
कॉलेजों में प्रवेश से पहले होगा कॉमन इंट्रेंस टेस्ट
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकार को इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मापदंडों एवं नियमों के आधार पर सत्र 2024-25 की मान्यता प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दे दी है।
साथ ही नर्सिंग कोर्सों में पाठ्यक्रमों में प्रवेश कॉमन इंट्रेंस टेस्ट एवं केंद्रीयकृत काउंसिलिंग के माध्यम से करने और मान्यता के पूर्व सभी का निरीक्षण करने की इजाजत दे दी है।
साथ ही याचिकाकर्ता के आग्रह पर महाधिवक्ता को निर्देश दिये हैं कि वे मान्यता नियमों में किराए के भवन संबंधी प्रावधान को संशोधित करने हेतु सरकार को सलाह दे।
हाईकोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल और सरकार से मांगा जवाब
एमपी नर्सिंग काउंसिल द्वारा सत्र 2023-24 की मान्यता प्रक्रिया संबंधी पूर्व में लगाये गये आवेदन को वापस लेने का आग्रह हाईकोर्ट से किया गया।
जिस पर निजी विश्वविद्यालयों द्वारा आपत्ति व्यक्त की गई और कोर्ट से कहा गया कि सरकार द्वारा सत्र 2023-24 को शून्य किया जाकर एवं मान्यता की प्रक्रिया शुरू नहीं की जाकर निजी विश्वविद्यालयों को प्रभावित किया जा रहा है।
इस पर हाईकोर्ट ने एमपी नर्सिंग काउंसिल एवं राज्य शासन से 2023-24 के संबंध में ये जवाब मांगा है कि मध्यप्रदेश में इससे निजी विश्वविद्यालय को 2023-24 के प्रवेश की अनुमति क्यों नहीं दी जा सकती?
मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई को
सुनवाई के दौरान अनसूटेबल एवं डेफिशिएंट कॉलेज में अध्ययनरत कई छात्रों द्वारा हाईकोर्ट में आवेदन पेश कर ये आग्रह किया गया कि मेडिकल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित कराई जा रही सत्र 2021-22 की परीक्षाओं में उन्हें एनरोलमेंट जारी नहीं किया जा रहा है। ना ही परीक्षा में शामिल किया जा रहा है।
जिस पर हाईकोर्ट ने मेडिकल यूनिवर्सिटी से अगली तिथि तक जवाब मांगा है इस मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगी।
नये नियम में मात्र 8 हजार वर्गफीट की जरूरत
नए नियम में नवीन कालेज की मान्यता अथवा पुराने कॉलेजों की मान्यता नवीनीकरण हेतु 20 हजार से 23 हजार वर्गफिट अकादमिक भवन की अनिवार्यता को समाप्त करने हुए मात्र आठ हजार वर्ग फीट कर दिया गया था।
याचिकाकर्ता की ओर से न्यायालय को बताया गया था कि पिछले दो वर्षों में सीबीआई जांच में प्रदेश के 66 नर्सिंग कालेज अयोग्य पाए गए हैं, जिसमें सरकारी कालेज भी शामिल है।
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बैकडोर एंट्री देने के नए नियम शिथिल
विपक्ष का आरोप था कि नर्सिंग घोटाले (MP Nursing Scam) के अंतर्गत सरकार ने इन्हीं कालेजों को नए सत्र से बैकडोर एंट्री देने के लिए नए नियम शिथिल किए थे।
नर्सिंग से संबंधित मानक व मापदंड तय करने वाली अपैक्स संस्था इंडियन नर्सिंग काेंसिल के रेग्युलेशन 2020 में भी स्पष्ट उल्लेख है कि 23 हजार वर्ग फिट के अकादमिक भवन युक्त नर्सिंग कालेज को ही मान्यता दी जा सकती है।
उस समय राज्य शासन की ओर से तर्क दिया गया था कि नए नियम बनाने के अधिकार राज्य शासन को है। लिहाजा, इन्हें गलत नहीं कहा जा सकता।
29 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
सुनवाई के दौरान अनसूटेबल एवं डेफिशिएंट कॉलेज में अध्ययनरत कई छात्रों द्वारा हाईकोर्ट में आवेदन पेश कर बताया गया कि मेडिकल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित कराई जा रही सत्र 2021-22 की परीक्षाओं में उन्हें एनरोलमेंट जारी नहीं किया जा रहा है। ना ही परीक्षा में शामिल किया जा रहा है। इस पर हाईकोर्ट ने मेडिकल यूनिवर्सिटी से अगली तारीख तक जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगी।