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GST on Online Payment: अगर आप भी करते हैं ऑनलाइन पेमेंट तो आपके लिए अच्छी खबर, अभी नहीं देना पड़ेगा 18 प्रतिशत GST

GST On Online Payment: अगर आप भी करते हैं डिजिटल पेमेंट तो आपके लिए अच्छी खबर, अभी नहीं देना पड़ेगा 18 प्रतिशत GST

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Manya Jain
GST On Online Payment

GST On Online Payment

GST On Online Payment: सोमवार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की अध्यक्षता में को जीएसटी काउंसिल (GST Council) की बैठक हुई. इस बीच बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड से 2,000 रुपये से कम के ऑनलाइन ट्रांजैक्शन पर बिलडेस्क और सीसीएवेन्यू जैसे पेमेंट एग्रीगेटर्स (Payment Aggregators) पर 18% जीएसटी लगाने वाले एलान पर थी.

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हालांकि इस मामले को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है. जिसे अभी के लिए फिटमेंट कमेटी के पास भेज दिया गया है.

अभी मुद्दे पर नहीं हुआ निर्णय 

बता दें इस मामले पर बैठक में फिटमेंट कमेटी की ओर से ये बात कही गई थी कि पेमेंट एग्रीगेटर्स से इस कमाई पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाए. इसलिए GST काउंसिल की सोमवार को हुई बैठक में ये प्रस्ताव रखा गया था.

लेकिन अब जीएसटी काउंसिल ने इस पर फैसला (GST on online transactions) लेते हुए कहा कि जीएसटी मीटिंग में 2000 या उससे कम के ट्रांजेक्शन पर 18 फीसदी लगाने पर कोई फैसला नहीं हुआ है. लेकिन 2,000 रूपए से कम की ट्रांजेक्शन पर होने वाली कमाई पर पेमेंट एग्रीगेटर्स पर टैक्स लगाने की चर्चा जरूर की गई थी.

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लेकिन अभी इस मामले में कोई निर्णय नहीं लिया गया है. जिसके बाद इस मुद्दे को फिटमेंट कमेटी पर छोड़ दिया गया है. इस मुद्दे पर कमेटी द्वारा विचार के बाद जीएसटी काउंसिल को रिपोर्ट सौंपी जाएगी.

हालांकि फिटमेंट कमेटी का मानना है कि इस तरह के जीएसटी से ग्राहकों पर असर पड़ने की संभावना नहीं है.

कमेटी ने दिया ये तर्क 

2000 रुपये से कम के ऑनलाइन लेन-देन पर जीएसटी लागू (TDS on online payments GST) करने के प्रस्ताव में यह तर्क दिया गया था कि पेमेंट एग्रीगेटर्स लेन-देन के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं, इसलिए उन्हें बैंकों के रूप में नहीं माना जाना चाहिए.

इसका अर्थ है कि फिटमेंट पैनल इन लेन-देन पर जीएसटी लागू करने के पक्ष में है. वर्तमान में, पेमेंट एग्रीगेटर्स को 2000 रुपये से कम के लेन-देन पर जीएसटी से छूट प्राप्त है.

भारत में 80% ट्रांजैक्शन 2,000 से कम 

भारत में कुल डिजिटल भुगतान का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा उन लेन-देन का होता है जो 2,000 रुपये से कम के होते हैं। 2016 में नोटबंदी के समय सरकार द्वारा जारी एक अधिसूचना के तहत पेमेंट्स एग्रीगेटर्स को इन लेन-देन पर व्यापारियों को दी जाने वाली सेवाओं पर टैक्स से छूट दी गई थी।

वर्तमान में, एग्रीगेटर्स व्यापारियों से प्रति लेन-देन 0.5% से 2% तक का शुल्क लेते हैं। यदि इन छोटे लेन-देन पर जीएसटी लागू किया जाता है, तो यह संभावना है कि पेमेंट्स एग्रीगेटर्स इस अतिरिक्त लागत को व्यापारियों पर स्थानांतरित कर सकते हैं।

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कौन है पेमेंट एग्रीगेटर ?

पेमेंट एग्रीगेटर वे कंपनियाँ या संस्थाएँ होती हैं जो व्यापारियों को विभिन्न ऑनलाइन भुगतान विकल्प प्रदान करने की सुविधा देती हैं। ये एग्रीगेटर्स कई भुगतान विधियों, जैसे कि क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, यूपीआई, नेट बैंकिंग आदि को एक ही प्लेटफार्म पर इकट्ठा करके व्यापारियों को सेवाएं उपलब्ध कराते हैं।

पेमेंट एग्रीगेटर व्यापारियों और ग्राहकों के बीच एक मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं, जिससे लेन-देन का प्रोसेसिंग आसान और सुरक्षित हो जाता है। इनके जरिए व्यापारी अपने ग्राहकों से विभिन्न माध्यमों से भुगतान प्राप्त कर सकते हैं, बिना अलग-अलग पेमेंट गेटवे से जुड़ने की आवश्यकता के।

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